Bareilly: गुरुजी का कभी हाथ उठाकर खड़े हो जाओ कहना मैदान के दो चक्कर दौड़ लगाओ की सजा मुर्गा बनने या उठक-बैठक का दण्ड देना शायद आपको आज भी याद होगा. उस वक्त भले ही बुरा लगता हो लेकिन ऐसे पनिस्मेंट के जरिए इनडायरेक्टली आपकी एक्सरसाइज भी हो जाती थी. एक रिसर्च के हवाले से यह सिद्ध हो चुका है कि यूथ की स्टार्टिंग ऐज में होने वाली एक्सरसाइज आगे की ऐज में उनकी हड्डियों की मजबूती तय करती है. यह दीगर है कि अब टीचर्स ने फिजिकल एक्सरसाइज की पनिस्मेंट से हटकर स्टूडेंट पर होमवर्क का वर्कलोड बढ़ा दिया है.


योग की regular class हो ऑल इंडिया सोशियोलॉजिकल सोसाइटी के सेकेट्ररी राजेश मिश्र बताते हैं कि सोशल वैल्यूज में भी काफी चेंजेस आ चुके है। अब टीचर की सजा को पेरेंट अपने अहम का प्रश्न बना लेते है। सरकार ने इन पनिस्मेंट को लेकर  इस्ट्रिक्ट रूल अप्लाई कर दिए है। इसका मतलब यह नहीं है कि टीचर को स्टूडेंट्स को फिजिकल टॉर्चर करने का राइट मिले लेकिन पुराने समय की सजा के पीछे छिपे योग व्यायाम के तथ्य को नकारा नहीं जा सकता है। अब यह किया जा सकता है कि स्कूलों में योग एजुकेशन को स्कूलों के रेगुलर कर देना चाहिए। पेरेंट को भी बच्चों को योग के लिए प्रेरित करना चाहिए। हड्डियां मजबूत करती थी सजा


योग टीचर ब्रजेश गुप्ता के एकॉर्डिंग पहले स्कूल्स में मिलने वाली पनिस्मेंट में योग के आसान छिपे रहते थे। टीचर अनजाने में ही बच्चों से प्राचीन योग के कई आसन करवा लेता था। मसलन मुर्गा बनाने की सजा में छिपी अवस्था को योग में पदहस्त आसान कहते है। अक्सर टीचर स्टूडेंट्स को बिना कुर्सी के बैठने की अवस्था की सजा देते थे जो कि योग में उत्कट आसान कहलाता है। एक टांग पर खड़े होने की सजा भी योग में तड़ आसान के अंतर्गत आता है। ब्रजेश ने बताया कि इसके अलावा मैदान में दौडऩे की या ऊठक-बैठक की सजा से भी शरीर के जोड़ों को मजबूती मिलती है। जिन स्टूडेंट्स को ये सजाएं मिलती थी या जो रेगुलरली इन आसनों को करते है उनमें हड्डियों का टूटना और गठिया से संबंधित प्राब्लम्स कम देखने को मिलती है।20 साल में होता है तय   य्रुनीवर्सिटी ऑफ गोथेनबर्ग के शोध के अनुसार 20 साल की उम्र तक व्यायाम करने से हड्डियों का विकास के लिए अच्छा होता है। इससे अधिक उम्र में हड्डियों के टूटने की प्रॉब्लम नहीं रहती है। हालिया शोध के मुताबिक हड्डियां अधिक उम्र पर कितना मजबूत होंगी। यह 20 की उम्र से पहले ही तय हो जाता है। इस उम्र में हड्डियोंं का घनत्व जितना ज्यादा होता है, आगे जाकर उनके टूटने का खतरा उतना ही कम होता है। इन एक्सरसाइज से रीढ़, नितंब और पैर के ऊपरी पार्ट के जोड़ो में ताकत आती है। Regular exercise जरूरी है 

गंगाचरण हॉस्पिटल के आर्थोपेडिक डॉ। प्रमेन्द्र महेश्वरी ने रेगुलर एक्सरसाइज को जरूरी मानते हुए कहा कि बच्चों की हड्डियों का डेवलपमेंट 25 साल की उम्र तक होता है। पेरेंट को इस बात का ध्यान रखते हुए अपने बच्चों को कैल्शियम और प्रोटीन युक्त डायट देनी चाहिए। इस ऐज ग्रुप में बच्चें जो खाते हैं वह उनके बॉडी में स्टे करता है और बोन्स को मजबूती देता है। उन्होंने बताया कि 18 से 25 साल की ऐज ग्रुप में 100 प्रतिशत फूड यूटिलाइज होता है। 25 से 50 साल की ऐज ग्रुप मे बॉडी में डी-जनरेशन स्टार्ट हो जाता है। इस ऐज ग्रुप में 50 प्रतिशत ही यूटिलाइज होकर बॉडी को स्ट्रेंथ देता है। 25 साल की उम्र के बाद हड्डियों का क्षरण नैचुरली होना स्टार्ट हो जाता है। हड्डिया हर साल 1 से 2 प्रतिशत वीक होने लगती है। हमारी बॉडी में हार्मोन पर बहुत कुछ डिपेंड करता है। ब्वॉयज में टेस्टोस्टरॉन हार्मोन और गल्र्स में इटोजन हार्मोन इन परिवर्तन के लिए जिम्मेदार होते हैं। गल्र्स को इस तरह के एक्सरसाइज की ज्यादा जरुरत होती है। देखा गया है कि गल्र्स में कमर दर्द, हड्डियों का टूटने के केसेज ज्यादा देखे गए है। Report by: Abhishek Mishra

Posted By: Inextlive