Bareilly: हर किसी की लाइफ में एक ऐसा गुरु जरूर होता है जिसने छुपे टैलेंट को पहचान कर तराशा हो. टीचर क्लास में पढ़ाते समय किसी स्टूडेंट के साथ भेदभाव नहीं बरतते. उनके लिए सारे स्टूडेंट एक समान होते हैं. लाइफ के उस स्पेशल टीचर के लिए हर किसी के दिल में जगह जरूर होती है. टीचर्स डे पर सिटी की कुछ जानी मानी हस्तियों ने उनकी एकेडमिक लाइफ और उनके फेवरेट टीचर्स के साथ खट्टे-मीठे अनुभव को आई नेक्स्ट से शेयर किया.


जिंदगी के नए फलसफे सिखाएजुस्तजू हो तो सफर खत्म कहां होता है। यूं तो हर मोड़ पर मंजिल का गुमां होता है। इन लाइनों की तरह ही मेरी एकेडमिक लाइफ में एक से बढ़कर एक टीचर्स आए। लाइफ में जब पहला टीचर आया तो महसूस हुआ कि उनसे बेहतर कोई हो ही नहीं सकता। फिर दूसरे टीचर ने जिंदगी के नए फलसफे सिखाए। मेरी एकेडमिक लाइफ में सबसे पहले क्लास 6 में आए इंग्लिश के दो टीचर्स जेपी मिश्र और मो। इबरीफ खां से आज तक मैं प्रभावित हूं। लाइफ के नेक्स्ट स्टेज पर 5 और टीचर्स ने मेरी स्टडीज को नए मुकाम दिए। ये मेरा सौभाग्य रहा कि हर कदम पर मुझे बेहतर और बेमिसाल टीचर्स मिले। स्टूडेंट्स के लिए मैं सजेस्ट करता हूं कि लर्निंग प्रोसेस को इंज्वॉय करें।-प्रो। मो। मुजम्मिल, वीसी, आरयू 



बच्चे जैसा दिया लाड-प्यार

मुझे बचपन से ही म्यूजिक और डांस का शौक था। स्कूल डेज से ही डांस करता था। सूरजभान इंटर कॉलेज के सभी टीचर्स का मैं चहेता था। जब कभी फ्री आवर में मैं डांस करता था तो सभी मुझे एप्रीशिएट करते थे। सच कहूं तो यह एप्रीसिएशन ही मेरी सफलता का कारण साबित हुआ। अपनी लाइफ में सबसे ज्यादा एप्रीसिएशन मुझे मैथ्स की टीचर मोनिका से मिला। स्कूल के बाद जब मैं उनसे पढऩे जाता, तो वह मुझे अपने बच्चे की तरह ट्रीट करती थीं। सर्दियों में कंबल देकर कहती थीं, पहले इसे ओढ़ लो फिर पढऩा। साथ ही उन्होंने मेरे टैलेंट को न सिर्फ पहचाना, बल्कि उसे निखारने के लिए हमेशा प्रेरित भी करती रहीं। वहीं मेरे डांस टीचर बिलाल ने भी मेरी प्रतिभा को काफी निखारा। स्टूडेंट्स को खुद को मेंटली और फिजिकली निखारना होता है, इसकी पहल टीचर ही करता है। - पारस अरोरा, टीवी आर्टिस्ट  टीचर ने दिखाई मंजिल की राह
अपनी सक्सेस का क्रेडिट मैं अपनी फेवरेट टीचर सत्यम को ही दूंगी। करियर का फस्र्ट स्टेप लेते समय मेरे अंदर काफी कश्मकश थी। मेरी टीचर सत्यम ने मुझे सही रास्ता दिखाते हुए मोटीवेट किया। सिटी के सेंट फ्रांसिस स्कूल में वह मेरी केमेस्ट्री की टीचर थीं। उन्होंने मेरी शू डिजाइन देखकर फोर्स कर के उन्हें आगरा भिजवाया। इसके बाद ही फुटवियर डिजाइनिंग में मुझे लाइफ का पहला ब्रेक मिला। जब मैं पढ़ती थी तब भी वह मेरे सबसे करीब थीं। अब भी वह मेरे दिल के सबसे करीब हैं। बिना मेहनत कोई सफलता की सीढ़ी नहीं चढ़ सकता लेकिन इस सीढ़ी को चढऩे का मोटीवेशन मुझे मेरी टीचर से ही मिला। लाइफ में काफी सारे उतार-चढ़ाव आए मगर टीचर के सपोर्ट से मैं बराबर आगे बढ़ती चली गई। - स्वाति मेहरोत्रा, फैशन फुटवियर डिजाइनर

Posted By: Inextlive