सूखे नलों से कैसे बुझेगी प्यास
पिछले दो साल से जलकल विभाग को नहीं मिले नए हैंडपंप
शहर में निगम के 2660 हैंडपंप, कई खराब, रिबोरिंग की जरूरत नए 17 ओवरहेड टैंक व 43 नलकूप का निर्माण इस गर्मी तक अधूरा 105 से 120 एमएलडी पानी की बढ़ेगी मांग, 12 फीसदी हो रहा बर्बाद BAREILLY:मार्च के चौथे हफ्ते में ही निकल रही चिलचिलाती धूप ने अगले कुछ हफ्तों में होने वाली तीखी गर्मी की तस्वीर दिखानी शुरू कर दी है। लेकिन इस गर्मी में पानी की मांग पूरी करने के लिए जलकल विभाग की तैयारियों का हाल अभी से पब्लिक के माथे पर पसीना लाने के लिए काफी है। इस गर्मी शहर में पानी की किल्लत पिछले वर्षो के मुकाबले ज्यादा भयानक होती दिख रही है। बीते साल की तरह इस बार भी शहर में पानी की समस्या झेल रहे एरियाज को हैंडपंप नहीं मिले। जो पुराने हैंडपंप हैं भी, उनमें से कई रिबोरिंग के इंतजार में दम तोड़ चुके हैं। वहीं शहर में नए ओवरहेड टैंक व नलकूपों के निर्माण की योजना अधर में लटकी है। जिससे इस गर्मी पानी की सप्लाई पूरी करने के दावे पूरे किए जाने थे।
क्भ् फीसदी हैंडपंप खराबशहर में जलकल विभाग की ओर से ख्म्म्0 हैंडपंप लगाए गए हैं। वहीं अन्य संस्थाओं व संगठनों की ओर से लगवाए गए हैंडपंप के बाद यह आंकड़ा करीब ख्900 होता है। इनमें से कई हैंडपंप क्0 साल से भी ज्यादा पुराने हैं। जो ख्-फ् बार की रिबोरिंग के बाद फिर सूख गए हैं। वहीं कई हैंडपंप जलकल विभाग की रिबोरिंग राह ताकते सूख चुके हैं। शहर में ऐसे करीब भ्00 से ज्यादा हैंडपंप हैं, जो खराब पड़े हैं। लेकिन जलकल विभाग के अधिकारी हर समस्या की जानकारी होते ही खराब हैंडपंप सही कराने का दावा करते हैं।
तो मिलते ख्00 नए हैंडपंप निगम के जलकल विभाग को हर साल गर्मियों के शुरू होने से महीनों पहले ही नए हैंडपंप लगवाने के लिए दिए जाते थे। जलकल के एई आरवी राजपूत के मुताबिक सरकारी बजट पर जलनिगम हर साल 70 से क्00 नए हैंडपंप विभाग को देता था। जिन्हें शहर के सबसे प्यासे इलाकों में मांग के मुताबिक लगाया जाता था। लेकिन पिछले ख् साल से जलकल को नए हैंडपंप नहीं मिल पाए हैं। गर्मियों में बिजली कटौती होने पर बंद नलकूप व ओवरहेड टैंक के बाद हैंडपंप ही पानी की उम्मीद रहते हैं, जो इस बार ज्यादातर सूखे रहेंगे। सिर्फ ब् जेनरेटर की व्यवस्थानगर निगम सीमा में जलकल विभाग के ख्ख् ओवरहेड टैंक व भ्ख् नलकूप हैं। जिन पर आधे से ज्यादा शहर की प्यास बुझाने की जिम्मेदारी है। लेकिन गर्मियों के दौरान शहर में क्ख्-क्म् घंटे बिजली कटौती होती है। जिससे यह ओवरहेड टैंक व नलकूप बेकार हो जाते हैं। जलकल विभाग के पास सिर्फ ब् जेनरेटर हैं, जिनसे इमरजेंसी में काम लिया जाता है। इनमें से भी दो जेनरेटर मोती पार्क व जुबली पार्क में ही परमानेंटली रखे गए हैं। ऐसे में बिजली जाने पर अन्य नलकूप व ओवरहेड टैंक वाले एरिया में पानी का सूखा पड़ जाता है।
बढ़ जाएगी पानी की मांग गर्मियां शुरू होते ही शहर में पानी की मांग भी बढ़ जाती है। जलकल की ओर से शहर में क्0भ् एमएलडी पानी की सप्लाई रोजाना की जा रही है। लेकिन अप्रैल से जुलाई तक पानी की मांग में जबरदस्त इजाफा हो जाता है। ऐसे में जलकल विभाग पर गर्मियों में क्ख्0 एमएलडी तक रोजाना पानी की सप्लाई करने का दबाव रहता है। ऐसे में सूखे व खराब पड़ चुके हैंडपंप और नए हैंडपंप नहीं लगने से पानी की मांग का दबाव बढ़ जाता है। सुभाषनगर, मढ़ीनाथ, हजियापुर, संजय नगर, कांकर टोला, डेलापीर, स्वाले नगर, एजाजनगर समेत कई एरियाज गर्मियों में सबसे ज्यादा पानी की किल्लत से जूझ्ाते हैं।क्ख्-क्भ् एमएलडी पानी डेली हो रहा बर्बाद
एक ओर शहर में गर्मी में पब्लिक को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ता है, वहीं दूसरी ओर रोजाना लाखों टन पानी बेकार में बह जाता है। जलकल के अधिकारियों के मुताबिक रोजाना सप्लाई किए जाने वाले क्0भ् एमएलडी पानी का कम से कम क्0 फीसदी यानि क्ख् से क्भ् एमएलडी पानी बर्बाद हो जाता है। जिसकी वजह टूटी पाइपलाइन, खराब या चोरी हो चुकी टोटियां व पाइप लाइन में लीकेज हैं। टूटी व लीकेज पाइप लाइन की तमाम शिकायतों का अंबार विभाग में लगा रहता है, लेकिन अधिकारी स्टाफ कम होने के चलते हर समस्या पर तुरंत कार्यवाही न हो पाने की मजबूरी जताते हैं। - पिछले दो साल से शहर में नए हैंडपंप लगवाने के लिए सरकार की ओर से बजट नहीं जारी हुआ। बिजली कटौती पर नलकूपों व ओवरहेड टैंक से पानी की सप्लाई के लिए ब् जेनरेटर हैं। ख् नए जेनरेटर खरीदने की तैयारी है। रोजाना क्0 फीसदी पानी बर्बाद हो रहा। यह भी समस्या है। - एमएल मौर्या, जीएम जलकल