हो जाएं फिक्रमंद कहीं झटके न दे जाएं गम
- मकानों को सिक्योर करने के लिए बरेलियंस नहीं कराते हैं इंश्योरेंस
- जबकि, लाखों रुपए खर्च कर बनवाते हैं घर - मकानों को सिक्योर करने के लिए बरेलियंस नहीं कराते हैं इंश्योरेंस - जबकि, लाखों रुपए खर्च कर बनवाते हैं घर BAREILLY : BAREILLY : हर किसी की जिंदगी में ख्वाहिश होती है कि उसका भी एक आशियाना हो। जिंदगी भर की कमाई लगाकर लोग इस सपने को पूरा भी कर लेते हैं, लेकिन जनाब क्या हम अपने आशियाने की सुरक्षा के लिए फिक्रमंद हैं। शायद नहीं। लोग घर खरीदने के लिए तो लाखों रुपए इंवेस्ट कर देते हैं, लेकिन बात सुरक्षा की आती है तो एक रुपए भी इंवेस्ट करना मुनासिब नहीं समझते हैं। जी हां, अगर होम इंश्योरेंस की बात की जाए तो बरेली में कुछ ऐसे ही हालत है। एक परसेंट भी नहीं कराते इंश्योरेंसबरेली में करीब आधा दर्जन कंपनियां होम इंश्योरेंस का काम करती हैं, लेकिन शहर में होम लोन की स्थिति की बात की जाए तो बैंक अधिकारी बताते हैं कि एक परसेंट से भी कम लोग है जो इंश्योरेंस करवाते हैं। अधिकारी बताते हैं कि होम इंश्योरेंस को लेकर इन लोगों में बिल्कुल अवेयरनेस नहीं है। जबकि, जिस तरह से आए दिन प्राकृतिक आपदाएं आ रहीं हैं, उसमें मकान का इंश्योरेंस बहुत जरूरी हो गया है।
होम लोन में हो जाता है ऑटोमेटिक बैंक अधिकारियों ने बताया कि जो लोग होम लोन लेकर मकान बनाते हैं उसमें होम इंश्योरेंस भी अपने आप हो जाता है। लगभग सभी प्राइवेट व गवर्नमेंट बैंक का होम इंश्योरेंस कंपनी से भी टाइअप होता है, जिसकी वजह से लोन देते वक्त मकान का वन टाइम इंश्योरेंस हो जाता है। पर जो लोग खुद मकान बनवाते हैं वह इंश्योरेंस कराने के लिए आते ही नहीं हैं। बाक्स------ म्7ब् रुपए में सिक्योर हो जाएगा आपका घर ऐसा भी नहीं है कि अपने सपनों के घर को सिक्योर करने के लिए लाखों रुपए खर्च करना होता है। इंश्योरेंस कंपनियों के मुताबिक जिन मकान की लागत दस लाख रुपए तक है, उनका प्रीमियम एक साल का म्7ब् रुपए के करीब होता है। फायर और भूकंप से क्षति होने पर क्लेम किया जा सकता है। जबकि हाउस होल्ड इंश्योरेंस की स्थिति में भ् रुपए प्रति हजार प्लस सर्विस टैक्स मकान मालिक को हर साल देना होता है। लेकिन, इसके बाद भी बरेली में होम इंश्योरेंस की स्थिति का ग्राफ काफी गड़बड़ है। ख् परसेंट कट जाता हैदैवीय आपदा या अन्य किसी वजह से मकान को क्षति पहुंचती है तो, इंश्योरेंस कंपनियां जांच कर क्लेम का पैसा भुगतान करती हैं। हालांकि इंश्योरेंस कंपनियां मकान की टोटल लागत का ख् परसेंट काटने के बाद क्लेम का पैसा कंपनियों की ओर से भुगतान किया जाता है।
बाक्स----- इंश्योरेंस के टाइम डॉक्यूमेंट इंश्योरेंस के लिए हाउस ओनर को अपने और हाउस के बारे में पूरी डिटेल देनी होती है। घर की पूरी लागत और मकान में रखे कॉस्ट की जानकारी देनी होती है। जरूरत पड़ने पर सामान की रसीद भी जमा करने होता है। इंश्योरेंस कंपनी की ओर से सर्वे कर मकान व सामान की कीमत आंकी जाती है। । बरेली में होम इंश्योरेंस करवाने वालों की संख्या बेहद ही कम है। ऐसे भी नहीं है कि, इंश्योरेंस करवाने पर लोगों को प्रीमियम ज्यादा देने होता है। साल में मात्र कुछ रुपए खर्च कर लोगों को अपने घर को सिक्योर कर सकते है। पंकज गोयल, एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी