Bareilly: ऐसा लगता है कि नगर निगम सिटी की बेहद जर्जर बिल्डिंग्स के खुद ही ढहने का इंतजार कर रहा है. खुद की ड्यूटी पूरा करना तो दूर रेजिडेंट्स की गुहार के बाद भी जिम्मेदारों की नींद नहीं टूट रही है. बता दें कि सिटी एरियाज में दर्जनों ऐसी बिल्डिंग हैं जो खतरे की जद में हैं और उनमें सैकड़ों लोग रहते हैं. जिम्मेदार इस मसले पर कितने सीरियस हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नगर निगम और बीडीए एक दूसरे के पाले में गेंद डाल रहे हैं.


देखने वाला कोई नहीं शहर के सबसे बड़े ज्वैलर्स मार्केट आलमगीरीगंज में मेन रोड पर शिवनाथ ज्वैलर्स की बिल्डिंग का छज्जा गिरने की कगार पर है। पहले इस बिल्डिंग में बैंक संचालित होता था। मगर बैंक ट्रांसफर होते ही बिल्डिंग का रखरखाव बंद हो गया अब ये रेजिडेंट्स के लिए खतरा बनी है। फिलहाल यहां 4 शॉप्स और व्यवसायिक गोदाम हंै।  खतरे में जिंदगीसुभाषनगर की शमशेर सिंह बिल्डिंग में तकरीबन 12 दुकानें चलती हैं। कई दुकानों के गोदाम इस बिल्डिंग में हैं और अलग-अलग परिवारों के लगभग 18 लोग यहां गुजर बसर कर रहे हैं। हर कदम पर डर


साहूकारा एरिया में तो ऐसे जर्जर भवनों की कमी नहीं है। निगम के रिकॉर्ड के मुताबिक यहां 8 से ज्यादा मकान डेंजर जोन में हैं। रेजिडेंट्स की दरख्वास्त सिर्फ फाइलों में दर्ज हो रही है। मगर कार्रवाई के नाम पर मामला सिफर रहता है। यहां कई मकान खंडहर में तब्दील हो चुके हैं जबकि कुछ की कंडीशन सीरियस है। रेजिडेंट अनूप ने बताया कि वर्ष 2007 तक साहूकारा के एक भवन में प्राथमिक स्कूल चलता था, फिर स्कूल ट्रांसफर होने के बाद भवन खाली हो गया। जर्जर भवन से गिरने वाली ईंटों से एरिया के रेजिडेंट््स अक्सर चोटिल होते रहते हैं। हर क्वार्टर खस्ताहाल

कुछ ऐसा ही हाल चौपुला चौराहे के पास बने पुलिस क्वार्टर के भी हैं। यहां तकरीबन 50 से ज्यादा क्वार्टर हैं। इनमें से ज्यादातर कभी भी गिर सकते हैं। इन क्वार्टर्स में रह रहे सैकड़ों लोगों की जिंदगियां हर बारिश के साथ डेंजर जोन में चली जाती हैं। खुद ही गिराया मकानभूड़ निवासी अनुराग निर्मल ने जनवरी 2012 में नगर निगम में अपने घर के जर्जर हिस्से को गिराने संबंधी एप्लीकेशन निर्माण विभाग में लगाई मगर कोई रेस्पॉन्स नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने जर्जर निर्माण को खुद ही गिरवा दिया। नहीं होती सुनवाईसाहूकारा निवासी अनिल अग्रवाल ने एरिया की जर्जर धर्मशाला को गिराने के लिए करीब 7 महीने पहले निगम के ऑफिस में दरख्वास्त दी कि इससे रेजिडेंट्स को खतरा है। मगर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। क्या है अधिनियम!

अधिनियम में ये व्यवस्था की गई है कि नगर आयुक्त  निगम के परिसीमन में आने वाले किसी भवन, दीवार, मुंडेर, सीढिय़ां, दरवाजे और छत जो किसी भी प्रकार से खतरनाक हैं, उसे हटाने या मरम्मत संबंधी नोटिस जारी कर सकता है। अगर प्रॉपर्टी ओनर द्वारा कार्रवाई न हो तो नगर आयुक्त स्वयं भवन के खतरनाक निर्माण को गिराने की कार्रवाई कर सकते हैं। भवन को हटाने संबंधी व्यय नगर निगम भवन के ओनर से वसूलता है। लंबे समय से नहीं हुई कार्रवाई हालांकि निर्माण विभाग के अधिकारी संशोधन की बात कहकर अपनी जिम्मेदारी दूसरों के पाले में डाल रहे हैं मगर निर्माण विभाग के आंकड़े गवाह हैं कि शहर के जर्जर भवनों के खिलाफ लंबे समय से कोई अभियान नहीं चलाया गया है। जबकि फाइलों में ऐसी कंप्लेंट्स का अंबार है।100 जर्जर भवन नगर निगम की परिधि में अनुमानित हैं।35 खस्ताहाल बिल्डिंग तो सिर्फ पुराने शहर में ही हैं।27 भवनों को लास्ट ईयर सर्वे में निगम ने माना था जर्जर।सिटी के साहूकारा, सौदागरान, भूड़ एरियाज सबसे ज्यादा खतरे की जद मेंगंभीर मामला है। चिन्हित भवनों को नोटिस जारी की जाएगी। इसके बावजूद भवन मालिक गंभीरता से नहीं लेते, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। -डॉ। आईएस तोमर,  मेयर मेरे संज्ञान में तो अभी तक ऐसा कोई संशोधन नहीं है। जर्जर भवनों के खिलाफ कार्रवाई तो नगर निगम ही करता है, न कि बीडीए।- राजमणि यादव, उपाध्यक्ष बीडीए मैने कई बार प्रयास किए कि नगर निगम हमारे एरिया के जर्जर भवनों के खिलाफ अभियान चलाए। मगर विभागीय उदासीनता के चलते कोई एक्शन नहीं हो पाया है।
- संजीव, पूर्व पार्षद
मैने अपने एरिया के जर्जर भवन की कंप्लेंट निगम में दर्ज करवाई, मगर गिराने की बात छोडि़ए निरीक्षण के लिए भी कोई स्पॉट पर नहीं आया। - अनिल अग्रवाल, रेजिडेंटहमने कई बार नगर निगम की बैठकों में जर्जर भवनों का मुद्दा उठाया है। मगर एक्शन नहीं लिया गया है। सैकड़ों रेजिडेंट्स हर रोज खतरे में जिंदगी बिता रहे हंै। - विकास शर्मा, पार्षद दल के नेता पुराने समय में यहां एक धर्मशाला चलती थी। धर्मशाला खत्म हुई तो भवन की देखरेख भी खत्म हो गई। अब ये रेजिडेंट्स के लिए खतरा बनी हुई है। - राजेश अग्रवाल, रेजिडेंट 

Posted By: Inextlive