Bareilly:हम आप दुनिया की तमाम संस्थाएं और सरकारें सभी को गुटखा खाने से तौबा करने का संदेश देते हैं. इसके लिए तमाम तरह के अभियान चलाते हैं. वहीं बरेली की तंग गलियों में रहने वाली एक फैमिली इन संदेशों से बेपरवाह है. फैमिली को गुटखा खाने की आदत ही नहीं बल्कि वे अपनी जिंदगी ही इसके नाम कर चुके हैं. आइए मिलते हैं गुटखा फैमिली से.


Quit tobacco & live long lifeवल्र्ड नो टबैको डे के मौके पर आई नेक्स्ट ने टबैको को लेकर होने वाले कंफ्यूजंस को दूर करने के लिए क्वेश्चन कैंपेन स्टार्ट किया था। इस क्वेश्चन कैंपेन में आई नेक्स्ट के पास एसएमएस के जरिए ढेरों क्वेश्चंस आए। डॉक्टर्स के एक एक्सपर्ट पैनल से इस संबंध में बात की गई और कंफ्यूजंस दूर किए गए। एक्सपर्ट पैनल में शहर के फिजीशियन डॉ। सुदीप सरन, पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ। भरत कालरा और योग एक्सपर्ट डॉ। कर्नल योगेंद्र शर्मा शामिल रहे। यहां हम कुछ प्रॉमिनेंट क्वेश्चंस पब्लिश भी कर रहे हैं।Your question and experts answers-टबैको लेने का बॉडी पर क्या प्रभाव होता है?टबैको का बॉडी पर दो तरह से इफेक्ट होता है, पहला ओरल कैविटी और दूसरा इनर ऑर्गन पर होता है। इसमें बॉडी में निकोटीन बढऩे पर हार्ट, ब्रेन, किडनी, लीवर आदि की क्रियाशीलता कम होने लगती है।


-टबैको एडिक्शन छोडऩे पर बॉडी पर क्या इफेक्ट पड़ता है। हम एडिक्शन से दूर क्यों नहीं हो पाते हैं?एडिक्शन से दूर होने पर बॉडी में विड्रॉल सिम्प्टम पैदा हो जाता है। इससे बॉडीएक , हेडएक, रेस्टलेसनेस, एंग्जायटी होने लगती है। ऐसे में बॉडी को ड्रग की जरूरत महसूस होती है और इसी वजह से एडिक्शन से दूर होने में प्रॉब्लम्स आती हैं।

-टबैको छोडऩे के लिए क्या करना चाहिए?सबसे पहले जितनी मात्रा में टबैको यूज करते हैं, उसकी मात्रा को आधा कर दें। धीरे-धीरे इस मात्रा को और भी घटाते जाएं। इससे बर्दाश्त करने में कम प्रॉब्लम होगी। जरूरी है कि ड्रग की इच्छा होने पर लौंग, इलायची आदि का सेवन करें। चॉकलेट्स भी ले सकते हैं।-टबैको लेने से कौन सी बीमारियां हो सकती हैं?टबैको से सबसे ज्यादा खतरा ब्रोकाइटिस, सांस लेने में परेशानी, कैंसर का रहता है। मुंह में ब्लड सर्कुलेशन बंद होने से मुंह खुलना बंद हो जाता है। इससे बचने के लिए टबैको छोडऩा ही जरूरी है।-कैंसर की पहचान कैसे हो सकती है?टबैको लेने वालों को कैंसर होने की संभावना 80 परसेंट तक ज्यादा रहती है। ऐसे में खांसी आना, बगल व सीने में गांठें होना, मुंह से खून आना, वेट लॉस होना और भूख न लगना जैसे सिम्प्टम्स हो सकते हैं।-टबैको क्विट करने में क्या प्रॉब्लम्स हो सकती हैं?

यह केवल एक भ्रम है कि टबैको छोडऩे से संबंधित व्यक्ति को कोई प्रॉब्लम हो सकती है। वास्तव में टबैको छोडऩा किसी के लिए भी फायदेमंद ही साबित होता है। बस जरूरत केवल विल पावर की है। आप ज्यादा एडिक्टेड हैं तो मेडिकेशन के साथ एडिक्शन से दूर हो सकते हैं।-योग से टबैको क्विटिंग में क्या हेल्प मिल सकती है?योग में कोई ऐसी क्रिया नहीं है, जिससे डायरेक्टली टबैको क्विट किया जा सके। दरअसल टबैको का यूज लोग टेंशन फ्री होने के लिए करते हैं, पर इससे काफी नुकसान भी होते हैं। वहीं योग के अंतर्गत आप ध्यान करके पीसफुल हो सकते हैं। इसके क ोई साइड इफे क्ट्स भी नहीं हैं। -मैंने सुना है योग करके टबैको यूज करने से बच सकते हैं?यह केवल एक भ्रम है, जो हमारी पूरी सोसायटी में फैला है। वास्तव में योग गॉड से यूनियन का एक  प्रोसेस है, जिसका बहुत धीरे-धीरे होता है पर यह इफेक्ट अल्टीमेट होता है। इससे विल पावर भी इन्क्रीज होती है।Doctors tips for quitting tobacco-टबैको छोडऩा चाहते हैं तो ई सिगरेट यूज कर सकते हैं। इसे यूज करने से बॉडी पर कोई भी बैड इफेक्ट नहीं पड़ता और नीड भी पूरी हो जाती है।-टेबलेट या पैच यूज कर सकते हैं। इसे डॉक्टर्स से डिस्कशन के बाद ही लें।-डेली साइकिलिंग या जॉगिंग की प्रैक्टिस करके भी टबैको का यूज बंद किया जा सकता है।
-टबैको छोडऩे के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप स्ट्रेसलेस रहें। वर्किंग हैं तो ऑफिस में ही हंसने के छोटे-छोटे मौके जरूर तलाशें।-टबैको छोडऩे का डिसीजन लें तो इसके बारे में दोस्तों और फैमिली मेंबर्स को जरूर बताएं। वह आपको इसमें हेल्प करेंगे।यहां गुटखा खाना आदत नहीं परंपरा हैकहने वालों के लिए भले गुटखा का दूसरा नाम नशा हो लेकिन इस परिवार के लिए ये परंपरा से कम नहीं। वल्र्ड टबैको डे पर आपको ले चलते हैं पुराने शहर के सराय खां मोहल्ले में और मिलवाते हैं गुटखा फैमिली से।चॉकलेट नहीं गुटखायहां चांद मियां की फैमिली रहती है। फैमिली में अगर बच्चा रोता है तो उसकी मां उसे टॉफी चॉकलेट से नहीं बल्कि गुटखा देकर चुप करवाती है। तकरीबन 34 लोगों का ये कुनबा पूरे एरिया में फेमस है। इस फैमिली में 2 साल के बच्चे से लेकर 80 साल के बुजुर्ग तक में गुटखा खाने की रवायत है। पीढिय़ों से खाया जाता है
फैमिली के मुखिया चांद की वाइफ गुड्डी कहती हैं, हमने किसी सोच के तहत गुटखा खाना शुरू नहीं किया है। ये तो पीढिय़ों से घर में खाया जाता है। इसके लिए घर में उम्र की पाबंदी नहीं है। हम खाते हैं क्योंकि हमारे मियां खाते हैं। बच्चे भी देखते-देखते गुटखे के तलबगार हो गए हैं। यह सब सुनकर हम समझ गए कि गुटखा यहां मजबूरी, जरूरत, तलब और नशा की परिधि से ऊपर निकल चुका है। इस फैमिली के लिए गुटखा रवायत का एक रूप है। और मुंह में झोक लिया5 भाइयों की इस फैमिली में 24 से ज्यादा बच्चे हैं। फैमिली का सबसे छोटा बच्चा 2 साल का शोएब है। आपको ये जानकार हैरानी होगी कि जब हमने बच्चे से पूछा कि गुटखा खाते हो तो जवाब नहीं मिला, मगर शोएब ने एक पैकेट गुटखा मुंह में झोक लिया। जिसकी कटकटाहट हमारे कानों तक पहुंच गई। हम जान गए कि यहां तलब ही बड़ी चीज है।पढ़ाई से लेना-देना नहींइस फैमिली का कोई भी मेम्बर पढ़ा लिखा नहीं है। छोटे-छोटे बच्चे किताबें क्या होती हैं, जानते नहीं हैं। इन्हें दुनियादारी से कोई सरोकार नहीं है। दो जून की रोटी और तम्बाकू के नशे के सुरूर में ये मस्त हैं। सोसाइटी लाख मेडिकली तम्बाकू को हार्मफुल बताती रहे लेकिन यहां गुटखा अब दिनचर्या का एक हिस्सा है।टबैको क्विटिंग के लिए प्रयास करना अच्छा है। आई नेक्स्ट ने बढिय़ा इनेशिएटिव लिया है। योग वास्वत में एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके जरिए भगवान से जुड़ा जा सकता है। इससे व्यक्ति को असीम शांति मिलती है। योग क्रिया की शुरुआत के बाद धीरे-धीरे सेटिस्फेक्शन बढ़ता है और व्यक्ति को मानसिक शांति के लिए किसी भी तरह के एडिक्शन की जरूरत नहीं होती है।-डॉ। योगेंद्र शर्मा, योग एक्सपर्टयह बहुत ही अच्छा काम है। आई नेक्स्ट ने सोशल वेलफेयर के लिए एक अच्छी शुरुआत की है। टबैक ो यूजर्स को भी समझना चाहिए कि यह उनके लिए हेल्दी नहीं है। टबैको कैंसर के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। यहां तक कि टबैको लेने से कैंसर के चांसेज 80 परसेंट तक बढ़ जाते हैं। टबैको छोडऩे से बॉडी को क ोई नुकसान नहीं होता है। -डॉ। भरत कालरा, पल्मोनोलॉजिस्टआई नेक्स्ट ने इस वल्र्ड नो टबैको डे के कैंपेन के जरिए बरेलिएंस के वेलफेयर की कोशिश की है। दरअसल, यह जरूरी नहीं है जो एक बार टबैको का एडिक्ट हो गया वह उससे छुटकारा नहीं पा सकता है। विल पॉवर और प्रॉपर गाइडेंस से आराम से टबैको क्विट किया जा सकता है। जो एक बार में क्विट नहीं कर सकते हैं, वह धीरे-धीरे करके भी कर सकते हैं।-डॉ। सुदीप सरन, फिजीशियन

Posted By: Inextlive