Bareilly: रोजाना की तरह गुलशन के पेरेंट्स ने सैटरडे को भी अपने जिगर के टुकड़े को तैयार कर स्कूल के लिए भेजा था. तब किसी ने सपने में नहीं सोचा होगा कि आज के बाद उनका गुलशन सिर्फ उनकी यादों में ही रहेगा. गुलशन को रोज स्कूल ले जाने और लाने की जिम्मेदारी निभाने वाले टैम्पो ड्राइवर की लापरवाही ने उसे मौत के आगोश में ढकेल दिया. टैम्पो इस कदर रफ्तार में लहराकर चल रहा था कि अंदर बैठा गुलशन उछलकर सड़क पर गिर पड़ा. इस दौरान सामने से आ रही एक स्कूल बस ने 'गुलशनÓ को उजाड़ दिया.


Auto में सवार थे छह बच्चे,एक गंभीर


लापरवाही कैसे पछतावा बन जाती है, इसका दर्दनाक उदाहरण सैटरडे को देखने को मिला। बांके बिहारी मंदिर के पास स्कूली बच्चों से भरे ऑटो और स्कूल बस का एक्सीडेंट हो गया। ऑटो ड्राइवर ने ऐसा कट मारा कि उसमें बैठा एक बच्चा नीचे गिर गया और बस के पहिए के नीचे आ गया। फिर ऑटो बस में टकरा भी गया। बच्चे की मौके पर ही मौत हो गई। एक्सीडेंट इतना भयानक था कि देखने वाले सहम गए। बाकी बच्चे तो रोने लगे। मौके पर पहुंची प्रेमनगर पुलिस ने बच्चे के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। एक और बच्चा ऑटो से गिरा और बुरी तरह घायल हो गया। उसे पास के ही प्राइवेट हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया है। वहां मौजूद लोगों ने ऑटो ड्राइवर हरीश को पकड़कर पहले तो खूब धुना और फिर पुलिस के हवाले कर दिया। वहीं बस का ड्राइवर तुरंत वहां से भाग गया। किसी ने बच्चों के बैग से डायरी निकालकर उनके पेरेंट्स को इंफॉर्म किया। ऑटो में कुल छह बच्चे सवार थे। वे रोज इसी ऑटो से आते-जाते थे।बहन भी थी ऑटो में

मृतक बच्चे की पहचान गुलशन (11 वर्ष) के रूप में हुई है। घायल बच्चे का नाम ऋतिक है। गुलशन प्रेमनगर स्थित सेक्रेड हार्ट पब्लिक स्कूल में फिफ्थ क्लास में पढ़ता था। ऋतिक भी इसी स्कूल में फिफ्थ क्लास में पढ़ता है। सैटरडे को दोनों ऑटो से घर जा रहे थे। गुलशन के साथ उसकी छोटी बहन कशिश भी ऑटो में बैठी थी। जैसे ही आटो बांके बिहारी मंदिर के आगे पहुंचा कि तभी यह हादसा हुआ। घायल ऋतिक के पैर में काफी चोटें आई हैं। उसका ऑपरेशन भी किया गया। जिम्मेदारी पेरेंट्स की भी हैशहर में स्कूली बच्चों की जिंदगी से खुलेआम खिलवाड़ हो रहा है। इसके लिए केवल स्कूल ही नहीं बल्कि पेरेंट्स भी रेस्पॉन्सिबल हैं। एक तरफ स्कूल नियमों की धज्जियां उड़ाकर खराब बसों व अन्य व्हीकल में बच्चों को स्कूल व घर तक भेजते हैं, वहीं पेरेंट्स भी निश्चिंत होकर अपने लाडलों को इन व्हीकल्स में भेज देते हैं। अधिकांश स्कूली व्हीकल्स में बच्चों की संख्या लिमिट से ज्यादा होती है। गुलशन और ऋतिक भी जिस ऑटो में सवार थे, उसमें तमाम खामियां थीं--ऑटो ड्राइवर के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था।-ऑटो के कागज भी नहीं थे उसके पास।-ऑटो में न आगे और न पीछे कोई नंबर प्लेट थी। -ऑटो का अगला बे्रक पूरी तरह से टूटा हुआ था।

-ऑटो की लाइट व इंडिकेटर टूटे पड़े थे। ऑटो ड्राइवर हरीश ने पूछताछ में बताया कि वह गुलशन के घर से कुछ दूरी पर रहता है। वह करीब 25 साल से रिक्शा में स्कूली बच्चों को ले जाता है। एक महीने पहले ही उसने 18 हजार रुपए में ऑटो खरीदा था। तब से ही वह गुलशन व अन्य बच्चों को अपने ऑटो में बैठाकर ले जाता है। लहराकर चला रहा था ऑटो
एक प्रत्यक्षदर्शी मैसर ने बताया कि वह साइकिल से जा रहा था कि अचानक ऑटो वाले ने कट मारा। कट मारने से ऑटो में बैठा बच्चा गिर गया। उसके बाद ऑटो स्कूल बस से टकरा गया। रोड पर गिरा बच्चा स्कूल बस के नीचे आ गया और काफी दूर तक घिसटता हुआ चला गया। बच्चे के सिर में गंभीर चोटें आईं। उसकी मौके पर ही मौत हो गई। एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी मनीष सूरी ने बताया कि वह अपनी दुकान में बैठे थे। अचानक धड़ाम सी आवाज आई। बाहर भागकर देखा तो ऑटो और बस की टक्कर हो गई थी। एक बच्चा सड़क पर खून से लथपथ पड़ा था। उसकी मौत हो चुकी थी। वहीं दूसरा बच्चा गंभीर रूप से घायल था। उन्होंने तुरंत बच्चों के बैग से स्कूल डायरी निकाली और उनके परिजनों को हादसे की फोन पर सूचना दी। कुछ ही देर में परिजन मौके पर पहुंच गए। उनका कहना है कि ड्राइवर ऑटो लहराकर चला रहा था। मौके पर मौजूद लोगों ने तुरंत उसे पकड़ा और उसकी जमकर धुनाई की। हमारे स्कूल से कोई ऑटो नहीं चलता है। हमारे स्कूल में बसों की सुविधा है। पैरेंट्स खुद ही अपने बच्चों को ऑटो में भेजते हैं। पहले गुलशन को उसका भाई बाइक से लेने आता था लेकिन कुछ दिनों से वह ऑटो मेंं आ रहा था।-जेबा खान, प्रिंसिपल, सेके्रड हार्टहमारी स्कूल की बसों में पूरे नॉम्र्स हैं। ऑटो ड्राइवर की गलती है। बस स्कूल में कॉन्ट्रेक्ट पर लगी हुई है। -पारस अरोड़ा, डायरेक्टर, पदमावती एकेडमीआपा खो बैठे पेरेंट्स
एक्सीडेंट के बाद गुलशन व ऋतिक के परिजनों का बुरा हाल है। गुलशन के परिवार में उसके पिता विजय सक्सेना, मां साधना, भाई शिवम, ऋषभ व छोटी बहन कशिश है.  गुलशन के पिता विजय बीडीए में आर्किटेक्ट हैं। विजय हंस नगर मठ लक्ष्मीपुर, इज्जतनगर में रहते हैं। अपने बेटे के एक्सीडेंट की सूचना पाकर विजय तुरंत मौके पर पहुंचे। उन्होंने देखा कि उनके बेटे की मौत हो गई है तो वह आपा खो बैठे। उन्होंने पास में खड़ी बस में अपना सिर दे मारा, जिससे उनके सिर में चोट आ गई। किसी तरह उन्होंने अपनी बेटी को घर पहुंचाया। एक्सीडेंट की सूचना पर गुलशन की मां साधना और ताऊ भी मौके पर पहुंचे। गुलशन की मां को किडनी की प्रॉब्लम है। विजय बार-बार यही कर रहे थे कि मेरी तो दुनिया ही उजड़ गई है। मेरे बेटे के सिर का अगला हिस्सा तो है पर पीछे का पूरा हिस्सा ही अलग हो गया है। मुझे मेरा बेटा वापस चाहिए। हादसे में घायल ऋतिक के पिता का नाम संजय है। वे ई-ब्लॉक राजेंद्र नगर में रहते हैं। संजय का दिल्ली फोटो गुड्स का बिजनेस है। इस एक्सीडेंट से संजय और उनकी फैमिली काफी सहम गई है।उड़ा रहे हैं नियमों की धज्जियांबच्चों की सेफ्टी के लिए आरटीओ ने स्कूल वाहनों के लिए कुछ नॉम्र्स डिसाइड किए हैं लेकिन इनकी खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। पेरेंट्स भी इस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते। चौंकाने वाली बात है कि आरटीओ नॉम्र्स के मुताबिक ऑटो को स्कूल वाहन का पास ही नहीं दिया जाता है। स्कूल वाहन पास के लिए आरटीओ उन्हीं वाहनों को पास देता है, जिसमें 6 से ऊपर सीट हों। आटो के अलावा और भी किसी तरह का वाहन जिसमें 6 लोगों के बैठने से कम सीट हैं, उन्हें आरटीओ पास नहीं जारी करता।शहर में 300 स्कूल वाहनशहर में आरटीओ ने 300 स्कूली वाहन पास जारी कर रखे हैं। इनमें बस, टैम्पो और अन्य वाहन शामिल हैं। स्कूल वाहनों के लिए आरटीओ ने जुर्माना भी निर्धारित किया है। किसी भी नियम की अनदेखी पर चार हजार का जुर्माना पड़ता है। चेतावनी के बाद भी अगर नियम की अनदेखी की जा रही है तो पास निरस्त कर दिया जाता है। ये हैं नॉम्र्स-वाहन 15 साल से पुराना न हो।-वाहन का कलर पीला होना चाहिए।-वाहन में इमरजेंसी गेट होना जरूरी।-व्हीकल में बेल्ट होनी चाहिए।-बस की फिटनेस सही होना चाहिए।-खिड़की पर जाली लगी होनी चाहिए।-अर्बन में वाहन सीएनजी होना चाहिए। -बच्चों के बैठने के लिए सीट जरूरी।

Posted By: Inextlive