ग्राउंड वाटर से भी बेइमानी
2008 में बना था सिस्टमवर्ष 2002 से बसी लाजपत नगर कॉलोनी के कॉलोनियर सपा नेता हैं। कॉलोनी में बारिश के जल के संचयन के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम वर्ष 2008 में बनाया गया। वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने के पीछे सोच सार्थक थी कि बारिश का पानी वेस्ट न हो। बारिश का पानी इस सिस्टम के तहत जमीन के नीचे पहुंच जाएगा। इससे कॉलोनी के अंडरग्राउंड वाटर का लेवल बढ़ेगा, जिससे इसका सीधा फायदा कॉलोनी के रेजिडेंट्स को ही मिलना था।पानी बन रहा जहर
कॉलोनी में 30 से ज्यादा घर हैं। कुछ महीने पहले कॉलोनी के रेजिडेंट्स ने वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से अपनी सीवर लाइन जोड़ दी। सीवर लाइन का पानी सीधा वाटर हार्वेस्टिंग के माध्यम से जमीन के पानी को जहर कर रहा है। कॉलोनी के ज्यादातर घर पूरी तरह से बन चुके हैं। जिन घरों में पीने के पानी के लिए बोरिंग का सहारा लिया है, उनके घर में बोरिंग में बदबूदार पानी आ रहा है। खींचतान में फंसा मामला
बरेली डेवलपमेंट बोर्ड ने किसी भी कॉलोनी को अप्रूवल देने से पहले कुछ मानक निर्धारित किए हैं। उन मानकों में एक मानक कॉलोनी में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का भी है। कॉलोनी में बनने वाले वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की देखरेख अप्रूवल मिलने तक कॉलोनियर की होती है। अप्रूवल के बाद वाटर हार्वेस्टिंग की देखरेख नगर निगम करता है। बीडीए से कॉलोनी के अप्रूवल के बाद ये कॉलोनी नगर निगम को ट्रांसफर नहीं हो पाई है। ऐसे में न तो कॉलोनियर और न बीडीए ही इस तरफ ध्यान दे रहा है। नगर निगम के अधिकारियों का तो साफ कहना है कि जब कॉलोनी हमारे अंडर आती ही नहीं है तो हम वाटर हार्वेस्टिंग की देखरेख के जिम्मेदार कैसे बनते हैं। क्या है वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम? बारिश का पानी वेस्ट होने से बचाने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का सहारा लिया जाता है। यह ऐसा सिस्टम होता है जिसमें बारिश का सारा पानी एक जगह इकट्ठा किया जाता है, जो फिल्टर पाइप के सहारे जमीन के अंदर चला जाता है। वाटर हार्वेस्टिंग से अंडर ग्राउंड वाटर का संचयन होता है। ताकि अंडर ग्राउंड वाटर का लेवल बना रहे।वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की देखरेख का काम कॉलोनियर का ही होता है। ऐसे में अगर ऐसा हो रहा है तो कॉलोनियर को कार्रवाई करनी चाहिए।- गुंडाकेश शर्मा, संयुक्त सचिव, बीडीए कॉलोनी हमारे पास ट्रांसफर नहीं हुई है इसलिए हम वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की देखरेख नहीं कर सकते हैं। यह हमारी जिम्मेदारी नहीं है।
- डीके सिन्हा, उपनगर आयुक्त, नगर निगम