GPS की नजर से दौड़ेंगी trains
Long distance trains होती हैं प्रभावित मुरादाबाद मंडल के एडीआरएम एके सिंघल ने बताया कि ठंड के मौसम में कोहरे की वजह से छोटी दूरी की ट्रेनों पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता लेकिन लंबी दूरी की ट्रेनों का संचालन बुरी तरह से प्रभावित हो जाता है। कोहरे की वजह से विजिबिलिटी पांच मीटर तक सिमट कर रह जाती है जिस वजह से ड्राइवर को ट्रैक और सिग्नल दोनों ही नहीं दिखते। 90 से 110 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली टे्रनें महज 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ही चल पाती हैं।150 से ज्यादा trains पर लगी डिवाइस
कोहरे की वजह से ट्रेनों के लेट होने की समस्या से निजात पाने के लिए लखनऊ से अमृतसर रूट पर सिग्नल सिस्टम को एंटी फॉग डिवाइस और रूट की 150 से ज्यादा ट्रेनों को ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम से लैस किया गया है। उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट सक्सेफुल रहने पर मंडल की मालगाडिय़ों को भी जीपीएस सिस्टम से लैस करने की योजना है।200 मीटर दूर से ही दिखेगा signal
घने कोहरे में लो विजिबिलिटी के कारण लोको पायलेट्स को 20 मीटर की दूरी से भी सिग्नल नहीं दिख पाता है, जिससे व्यू क्लीयर न होने के कारण ट्रेनों का संचालन प्रभावित होता है। ट्रेनों में ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम और एंटी फॉग डिवाइस लगने के बाद घने कोहरे में भी लोको पायलेट्स को लगभग 200 मीटर की दूरी से भी सिग्नल का पता चल सकेगा। जिससे टे्रनों की स्पीड मेनटेन करने में भी प्रॉब्लम नहीं होगी।Voice system भी लगायारेलवे ऑफिसर्स की मानें तो पिछले साल रेलवे ने 30 ट्रेनों को जीपीएस सिस्टम से जोड़ा था। लेकिन सिस्टम में कुछ खामियों के कारण लोको पायलेट्स को जीपीएस की स्क्रीन साफ नहंी दिखती थी। जिससे ट्रेनों के संचालन में दिक्कत हो रही थी। इसे कामयाब नहीं पाया गया। लेकिन इस बार रेलवे ने इस पूरी डिवाइस में कई मॉडिफिकेशन कर इस सिस्टम को पहले से काफी बेहतर बना लिया है। इस बार ट्रेनों में वाइस सिस्टम भी लगाया गया है। जो समय-समय पर लोको पायलट्स को अगले स्टेशन के बारे में जानकारी दे देगा। साथ ही ट्रेनों में लगे जीपीएस सिस्टम की मदद से लोको पायलट्स को आने वाले रेल फाटक या सिग्नल के बारे में भी जानकारी मिलती रहेगी।