Bareilly: होनहारों के सपनों को ट्यूजडे को एक नई उड़ान मिली. हो भी क्यों न स्टडी में उनके हार्ड वर्क को 'गोल्ड' से जो नवाजा गया वो भी चांसलर और यूपी के गवर्नर बीएल जोशी के हाथों. मौका था आरयू के दसवें दीक्षांत समारोह का. इस खास ऑकेजन पर अपने लाडलों को ऑनर मिलता देख पेरेंट्स की आंखों से भी खुशियां छलक पड़ीं.


क्वालिटी पर हो फोकस, तभी बनेगी बातआरयू के 10वें कॉनवोकेशन में गवर्नर व यूनिवर्सिटी के चांसलर बीएल जोशी ने टॉपर्स को गोल्ड मेडल और सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया। साथ ही उन्होंने पीजी, पीएचडी और डीएससी व डीलिट की भी डिग्री प्रदान कर दीक्षा दी। उन्होंने मेधावियों को दीक्षा देते वक्त टीचर्स, पेरेंट्स को आदर-सम्मान देने और अच्छा आचरण ग्रहण करने की सीख दी और उनके ब्राइट फ्यूचर की कामना की। इस ऑकेजन  पर प्लानिंग कमीशन व नेशनल एडवाइजरी काउंसिल के मेंबर डॉ। नरेंद्र जाधव चीफ गेस्ट रहे। उन्होंने देश के आर्थिक ढांचे का खांका खींचते हुए डेवलपमेंट में स्किल्ड स्टूडेंट्स के योगदान को जरूरी बताया। मंच का संचालन डीएसडब्लू प्रो। नीलिमा गुप्ता ने किया। कॉनवोकेशन में वीसी प्रो। मोहम्मद मुजम्मिल, रजिस्ट्रार केएन पांडेय समेत एकेडमिक काउंसिल, एग्जीक्यूटिव काउंसिल और सभी फैकल्टी मेंबर्स उपस्थित रहे।रिसर्च ऐसी हो जिसे मिले इंटरनेशनल फेम


कॉनवोकेशन में गवर्नर और यूनिवर्सिटी के चांसलर बीएल जोशी ने स्टूडेंट्स और टीचर्स को रिसर्च की क्वालिटी सुधारने की सलाह दी। उन्होंने बातों से इस ओर इशारा किया कि ऐसी कोई रिसर्च नहीं हो रही, जो इंटरनेशनल लेवल पर फेमस हो। उन्होंने टीचर्स को अपनी अंतर्आत्मा में झांकते हुए इस पर सोचने को कहा। उनका कहना था कि क्वालिटी की बजाय क्वांटिटी पर ध्यान दिया जा रहा है, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए।‘Students! develop your skills’चीफ गेस्ट डॉ। नरेंद्र जाधव ने अपने अभिभाषण में स्टूडेंट्स को फ्यूचर के चैलेंजेज के लिए तैयार रहने को कहा। स्पेशली जब जॉब के लिए स्ट्रगल का दौर आता है। उन्होंने कहा कि प्रजेंट में एजुकेशन के साथ स्किल डेवलपमेंट के लिए स्टूडेंट्स को खास फोकस करना होगा। जॉब इंडस्ट्री की नीड भी यही है। इसी को ध्यान में रखते हुए 12वें फाइव ईयर प्लान में एजुकेशन के साथ स्किल डेवलपमेंट पर ज्यादा जोर दिया गया है। इसलिए स्टूडेंट्स को भी अपनी स्किल्स को पॉलिश करने पर स्पेशल फोकस करना होगा। उनका कहना है कि कॉम्पिटीटिव वल्र्ड में सक्सेज का कोई सेट फॉर्मूला नहीं है। इसका कोई शॉर्टकट भी नहीं है। हर हालत में आपको मेहनत और स्ट्रगल के दौर से गुजरना होगा क्योंकि टैलेंट की कमी नहीं है। फिर भी उन्होंने स्टूडेंट्स को 9 ऐसे प्वाइंट्स बताए जिन्हें फॉलो करने से राह आसान हो सकती है।गवर्नर बीएल जोशी ने आरयू की एनुअल प्रोग्रेस रिपोर्ट का विमोचन किया। साथ में चीफ गेस्ट डॉ नरेंद्र जाधव (दाएं) और वीसी डॉ। मोहम्मद मुजम्मिल (बाएं) भी मौजूद रहे9 important points

1. हाई ऐम- जिनका ऐम हाई नहीं होता वह एक तरह का गंभीर क्राइम करते हैं। लक्ष्य और सोच हमेशा बड़ी होनी चाहिए।2. बर्निंग डिजायर- सिर्फ सोच बड़ी नहीं होनी चाहिए उसे हासिल करने के लिए जुनून भी होना चाहिए।3. हार्ड वर्क- लक्ष्य हासिल करने के लिए दिन-रात की कड़ी मेहनत भी जरूरी है। चीफ गेस्ट ने सचिन तेंदुलकर का एग्जांपल देकर स्टूडेंट्स को बखूबी समझाया।4. नो शॉर्टकट- शॉर्टकट से हासिल की गई सक्सेज ज्यादा दिन नहीं टिकती और पोल खुल ही जाती है। उन्होंने कहा कि 1 परसेंट इंसपिरेशन और 99 परसेंट पर्सपिरेशन होना चाहिए।5. टाइम मैनेजमेंट- टाइम इज नॉट फॉर पासिंग। अपने डे टू डे की हर एक्टिविटीज का टाइम फिक्स कीजिए और उसे प्रॉपरली फॉलो करें।6. नेवर कॉम्प्रोमाइज- लाइफ में कभी भी परिस्थितियों से कॉम्प्रोमाइज नहीं करना चाहिए। कितनी भी एडवर्स कंडीशन क्यों न हो।7. रोल ऑफ पेरेंट्स- पेरेंट्स यदि आपके करियर को लेकर कुछ कहते हैं तो उसका आदर करें क्योंकि वे आपका हित सोचते हैं। वहीं उन्होंने पेरेंट्स से अपील की वे अपने बच्चों पर अनावश्यक दबाव न डालें।8. सोशल कमिटमेंट- सामाजिक सरोकारों से भी परिचित रहें और उनका निर्वाह करें।

9. एटिट्यूड और माइंडसेट- एटिट्यूड हमेशा पॉजिटिव होना चाहिए। दिमाग से निगेटिविटी को उखाड़ फेंकें।कॉनवोकेशन के दौरान इन्हें आ गई नींदझलकियां-कॉनवोकेशन 10 मिनट देरी से स्टार्ट हुआ। एकेडमिक प्रोसेशन 11:30 बजे के बजाय 11:40 बजे रोबिंग टेंट में इंटर हुआ। प्रोसेशन में पहले रजिस्ट्रार, उसके बाद क्रम में एकेडेमिक काउंसिल व एग्जीक्यूटिव काउंसिल के मेंबर्स, डीन, वीसी, चीफ गेस्ट, एडीसी फस्र्ट, गवर्नर और उनके सेक्रेट्री थे। कॉनवोकेशन समाप्त होने के बाद प्रोसेशन अपोजिट क्रम में गया।-प्रोसेशन के इंटर होने पर सभी को अपनी सीट पर खड़े होने और मोबाइल स्विच ऑफ रखने की हिदायत दी गई लेकिन गवर्नर, चीफ गेस्ट और वीसी के मंच पर पहुंचने से पहले ही डीन बैठ गए। फैकल्टी मेंबर्स के मोबाइल भी बजते रहे।-कॉनवोकेशन में 64 में से 42 टॉपर्स ही मेडल लेने पहुंचे। वहीं डिग्री लेने वालों की संख्या भी बहुत कम थी। पीजी की 315, पीएचडी की 411 और डीलिट की 5 व डीएससी की 2 उपाधियां दी गईं।-कुछ डिग्री धारक गाउन पहनकर डिग्री के साथ फोटो खिंचवाकर कॉनवोकेशन स्टार्ट होने से पहले रवाना हो गए।-मेडल लेने के बाद कुछ स्टूडेंट्स मंच पर फोटो खिंचवाने लगे। सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें सीट पर बैठने के लिए कहा।
-प्रोग्राम के बीच में कई बार रजिस्ट्रार ने वीसी को बताया कि उन्हें अब क्या करना है।-टॉपर्स को मेडल देते वक्त गवर्नर ने उनसे बात भी की। उनसे पूछा कि मेडल पाने के लिए उन्होंने कितने घंटे मेहनत की।-कॉनवोकेशन के दौरान पानी की बॉटल ले जाने की मनाही थी। फैकल्टी के मेंबर्स को जब एक बॉटल मिली तो सभी उसे पाने के लिए टूट पड़े।डिग्री धारकों ने किया हंगामाकॉनवोकेशन के दौरान एक तरफ जहां गवर्नर टॉपर्स को मेडल और सर्टिफिकेट प्रदान कर रहे थे। उसी दौरान पीजी और पीएचडी के उपाधिधारक स्टूडेंट्स ने हंगामा कर दिया। स्टूडेंट्स गवर्नर द्वारा डिग्री न दिए जाने की वजह से गुस्से में थे। उन्होंने काफी देर हंगामा किया और कॉनवोकेशन का बॉयकॉट करने की चेतावनी देकर खड़े हो गए। उसी समय पुलिसकर्मियों समेत यूनिवर्सिटी के प्रॉक्टोरियल बोर्ड के मेंबर्स ने स्थिति को संभाला और सभी स्टूडेंट्स को शांत कराते हुए बैठने को कहा। स्टूडेंट्स ने यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन पर मिस मैनेजमेंट का भी आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि अधिकांश स्टूडेंट्स को कॉनवोकेशन के लिए इनविटेशन लेटर भी नहीं मिला और डिग्री लेने में भी काफी भटकना पड़ा। इस पूरे हंगामे के दौरान कॉनवोकेशन की प्रक्रिया में कोई बाधा नहीं पहुंची और गवर्नर इसको नजरअंदाज करते हुए मेडल प्रदान करने का प्रोसीजर जारी रखा।ये तो बस शुरुआत हैहाथों में डिग्री, गले में गोल्ड मेडल, चेहरे पर खिलखिलाती हंसी और मन में ऊंचाइयों को छूने का इरादा लिए टॅापर्स जोश से लबरेज दिखे। आई नेक्स्ट ने उनके फ्यूचर को लेकर बात की तो ज्यादातर गल्र्स ने प्रोफेसर बनने की इच्छा जताई। आइए जानते हैं क्या कहते हैं टॉपर्स।सच हुआ सपनावह इस मूमेंट को कभी नहीं भूल पाएंगी, जब उन्हें कुलाधिपति ने गोल्ड मेडल पहनाया और कुछ देर बात की। यह उनके लिए एक सपने की तरह था। फिलहाल मैं ग्रेटर नोएडा के एक टेक्निकल इंस्टीट्यूट में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में जॉब कर रही हैं पर फोकस पीएचडी पर है। गवर्नमेंट कॉलेज में लेक्चरर बनने की ख्वाहिश है। मेरी सक्सेस के पीछे पेरेंट्स हैं।-शिवानी अग्रवाल, एमएससी मैथ्स कॉलेज - बीसीबीपेरेंट्स का सपना हुआ पूराआरयू कैंपस में ही एमआरडीएम में लेक्चरर हूंं। पीएचडी पूरी करके प्रोफेसर बनना चाहती हूं। गोल्ड मेडल मिलना उन्हें सपने सरीखा लगता है। यह उनका ही नहीं बल्कि उनके पेरेंट्स का भी सपना था कि उन्हें कुलाधिपति के हाथों गोल्ड मेडल मिले। मेहनत करने वालों के लिए सब कुछ संभव है। मेरी सफलता का श्रेय पेरेंट्स, दादी, फ्रेंड्स और टीचर्स को है। -अंशिका सक्सेना, एमबीए मार्के टिंग, कॉले ज- आरयू कैं पसचैलेंज का सामना ही सक्सेस मंत्रइस समय आरयू के एमबीए डिपार्टमेंट में ही टीचिंग कर रही हूंं। हालांकि नेट और पीएचडी करने की तमन्ना है। मेरी सफलता में हसबैंड और टीचर्स का अहम योगदान है। लाइफ में चैलेंजेज तो बहुत हैं पर उन्हें पार करके आगे बढऩा ही सफलता है। वह इसके लिए पूरी तरह से तैयार हैं। इस सूत्र को ही सफलता का मूल मंत्र मानती हूंं। -मंजुला सक्सेना, एमबीए, कॉलेज - आरयू कैंपससबसे प्रेशियस मूमेंट यह लम्हा उनकी लाइफ का सबसे प्रेशियस मूमेंट है। उनका एक बड़ा सपना पूरा जो हुआ है। इस समय बीएड कर रही हूं और एनवायरमेंटलिस्ट बनना चाहती हूं। उनकी सक्सेज में मां सबा और पापा सरफराज रजा का सबसे ज्यादा सपोर्ट रहा है। टीचर डॉ। एपी सिंह का भी मेरी सफलता में योगदान है।  -समन सरफराज, एमएससी एनवायरमेंट साइंस, कॉलेज, बीसीबीमोल्ड ने बढ़ाया हौसलागोल्ड मेडल मिला से हौसला और बढ़ गया। इस समय एसआरएमएसडब्लूसीईटी की लाइब्रेरी में जॉब कर रही हूं। अब फ ोकस एमलिब पर है। वह डीयू से एमलिब करने की तैयारी कर रही हूं। यह एक प्रैक्टिकल सब्जेक्ट है जिसके लिए क्रिएटिविटी बहुत जरूरी है। पेरेंट्स और टीचर्स का सबसे बड़ा हाथ मेरी सफलता के पीछे रहा।  पल्लवी वाष्र्णेय, लाइब्रेरी साइंस, कॉलेज - बीसीबीमैं बनूंगी प्रोफेसरपीएचडी में एडमिशन लेने की तैयारी कर रही हूंं। प्रोफेसर बनना चाहती हूंं, इसके लिए नेट क्वालीफाई करने की प्रिपे्रशन कर रही हूं। कॉम्पिटीशन तो काफी बढ़ा है, पर खुद पर कॉन्फिडेंस है। सक्सेज का क्रेडिट अपने टीचर डॉ। पृथ्वीराज सिंह और पेरेंट्स को है।-पारुल सिंह राठौर, एमए एप्लाइड इंग्लिश, कॉलेज, आरयू कैंपस खुशियों का पैगामआरयू के एप्लाइड इंग्लिश डिपार्टमेंट की एचओडी डॉ। सुमित्रा की लाइफ में यह मूमेंट खुशियों का खजाना लेकर आया है। वह कहती हैं कि इस समय एप्लाइड इंग्लिश में जॉब ऑप्शंस बढ़ते जा रहे हैं। वह स्टूडेंट्स को इसके बारे में बताती हैं और मोटिवेट भी करती हैं। विज्ञान के इस युग में भी लिट्रेचर बहुत जरूरी है।-प्रो। सुमित्रा कुकरेती, डीलिट, इंग्लिशरिसर्च टॉपिक - फेमिनिस्ट डिस्कोर्स एंड दि इमेजेज ऑफ वूमेन इन मॉडर्न इंडियन फिक्शन इन इंग्लिशडीएससी का गौरवआरयू के एनिमल साइंस डिपार्टमेंट की डीन प्रो। नीलिमा गुप्ता ने यूनिवर्सिटी की पहली डीएससी बनने का गौरव हासिल किया है। उनकी इस थीसिस ने जहां स्टूडेंट्स क ो नए आयामों जानकारी दी है, वहीं सिटी के लिए यह एक अचीवमेंट है। वह कहती हैं कि उनके  प्रोजेक्ट्स आगे भी जारी हैं और जीवन पर्यंत कुछ न कुछ नया करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।-प्रो। नीलिमा गुप्ता, डीएससी, एनिमल साइंसटॉपिक - कै रेक्टराइजेशन ऑफ ब्लड पैरासाइट पैथोबायोलॉजिकल मेनीफेस्टेशन इकोलॉजिकल वेरियंस इन वर्टिब्रेट होस्ट्सतरक्की के हैं कई रास्तेसाहू रामस्वरूप में असिस्टेंट प्रोफेसर ज्योति अब म्यूजिक के स्टूडेंट्स के लिए सिलेबस की बुक्स लिखना चाहती हैं। वहीं वह म्यूजिक के प्रति स्टूडेंट्स का लगाव बढ़ाने के लिए कोर्स क ो मॉडर्नाइज करने का सुझाव भी देती हैं। उनका कहना है कि म्यूजिक के क्षेत्र में तरक्की के कई रास्ते मौजूद हैं पर जरूरत इस बात की है कि स्टूडेंट में धैर्य, परिश्रम, लगन और श्रद्धा का भाव होना चाहिए।-प्रो। ज्योति शर्मा, डीलिट, म्यूजिक वोकल रिसर्च टॉपिक - भारतीय शास्त्रीय संगीत : वर्तमान स्थिति एवं उसका भविष्यवाइफ का मिला सपोर्टआरयू कैंपस से एलएलएम कर रहा हूं और ज्यूरिस्ट बनना चाहते हैं। इसके लिए उन्हें टीचर्स का पूरा सहयोग मिलता है पर कई बार बुक्स की कमी एक बड़ा चैलेंज बनकर उनके सामने खड़ी हो जाती है। मेरी वाइफ नूतन के बिना ये मुकाम मिला संभव नहीं था।अनुज कुमार, एलएलबी, कॉलेज - बीसीबीहार्ड वर्क से मिली बुलंदीमैं इस समय पीजीटी टीचर हूं और यह तीसरा पीजी है। मैं पीएचडी कर चुकी हैं। यह गोल्ड मेडल उनके लिए बहुत इंपॉर्टेंट है। शादी के बाद भी हसबैंड और इन लॉज के सपोर्ट से पढ़ाई जारी रखी है। डिग्री कॉलेज की प्रोफेसर बनना ड्रीम है। मेरी सफलता के पीछे सिर्फ मेहनत को श्रेय है।-डॉ। गीता बत्रा, एमए इकोनॉमिक्स, कॉलेज - बीसीबी

Posted By: Inextlive