डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में एक महीने में स्टूडेंट्स की 100 से अधिक आईं कॉल्स. विशेषज्ञ बोले- नया पढऩे से ज्यादा रिवीजन पर दें जोर 10 से 12 बार पढ़ें एक टॉपिक

बरेली(ब्यूरो)। कोविड के दौरान बार-बार ऑनलाइन व ऑफलाइन क्लासेस होने से स्टूडेंट्स की पढ़ाई काफी हद तक डिस्टर्ब हुई हैं। इस कारण वे इतना स्ट्रेस में आए कि अब पढ़ाई पर पूरी तरह फोकस नहीं कर पा रहे हैैं। उन्हें लग रहा है कि वह एग्जाम को लेकर पूरी तरह तैयार नहीं हैैंै। इस कारण कई स्टूडेंट्स तो स्ट्रेस के दौर से भी गुजर रहे हैैं।

समय कम, ज्यादा सिलेबस
डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की मनोविशेषज्ञखुशअदा का कहना हैैं कि स्टूडेंट्स के लिए एग्जाम के इस तनाव को झेलना बेहद मुश्किल हो जाता है। उन्हें कम समय में अधिक सिलेबस कवर करना होता है। एग्जाम में आने वाले सवालों को लेकर हमेशा अनिश्चितता बनी रहती है। फैमिली की उम्मीदों पर उन्हें खरा उतरना होता है।

कॉल से मिल रही हेल्प
डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के मानसिक रोग चिकित्सक डॉ। आशीष ने बताया कि पिछले एक माह में डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के मानसिक हेल्पलाइन नंबर पर 100 से अधिक स्टूडेंट्स की कॉल आ चुकी हैं, जो एग्जाम संबंधित समस्याओं से जुड़े सवाल पूछ रहे हैैं। उनके अनुसार बच्चों और पैरेंट्स को घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसी स्थिति में काउंसलिंग द्वारा नई राह दिखाई जाती है।

कराएं काउंसलिंग
डॉ। आशीष के अनुसार इस स्थिति में कुछ बच्चों का व्यवहार बदलने लगता है। वे दूसरों से बचने की कोशिश करते हैं। अपनी देखभाल कम करना, मादक पदार्थों का सेवन, अपने आप को नुकसान पहुंचाने वाला जोखिम भरा व्यवहार तक करने लगते हैं। ऐसे में बच्चों को पैरेंट्स से ज्यादा से ज्यादा बात करनी चाहिए। पैरेंट्सस को भी बच्चों में दिखाई दे रहे ऐसे बदलाव को समझना चाहिए। इस स्थिति में काउंसलर से बच्चों की काउंसलिंग करवाना उचित रहता है।

रिवीजन पर दें ध्यान
अक्सर स्टूडेंट्स को यह चिंता सताती है कि अगर एग्जाम में फेल हो गए तो क्या होगा या एग्जाम में पढ़ा हुआ कुछ नहीं आया तो क्या होगा। इसके लिए अपनी पढ़ाई पर अच्छी तरह ध्यान दें। साल भर में जितना पढ़ चुके हैं, उसे अधिक से अधिक रिवाइज करने की कोशिश करें। एक टॉपिक को कम से कम 10 से 12 बार पढऩा चाहिए, जिससे वह आपके दिमाग में अच्छी तरह से याद हो जाए। एकदम कुछ नया टॉपिक तैयार करने की कोशिश न करें, इससे कंफ्यूजन की उपस्थिति उत्पन्न हो जाएगी।

हेल्दी डाइट जरूरी
हेल्दी डाइट तनाव से जूझने में मदद करती है। रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट, चीनी से युक्त स्नैक्स खाने से तनाव बढ़ता है। इसके बजाए ताजा फल और सब्जियां, अच्छी गुणवत्ता का प्रोटीन, ओमेगा थ्री, फैटी एसिड तनाव से लडऩे में मदद करते हैं। एग्जाम के दौरान पानी का बहुत ध्यान रखना चाहिए। शरीर में पानी की कमी होने से आपको नींद आने की समस्या बनी रहेगी।

बच्चों पर न डालें बोझ
मनोविशेषज्ञ खुशअदा ने बताया कि पैरेंट्स को बच्चों पर अपनी अपेक्षाओं का ज्यादा बोझ नहीं डालना चाहिए। हर बच्चे की अपनी-अपनी स्टें्रथ होती है। उसे पहचान कर ही उनके लिए लक्ष्य तैयार करना चाहिए। बच्चों को भी लक्ष्य तय करने देना चाहिए।

बनाएं टाइम टेबल
वह कहती हैं कि टाइम टेबल के अनुसार पढऩा शुरू करें और बीच-बीच में ब्रेक लें। हर एक-दो घंटे बाद 15 मिनट का ब्रेक लें। इस ब्रेक में मोबाइल या टीवी देखने के बजाय आंख बंद करके लेटना ज्यादा कारगर होता है। भूख लगने पर पौष्टिक भोजन करें। टाइम टेबल में सोने का पूरा समय निश्चित होना चाहिए। सात से आठ घंटे की नींद बहुत जरूरी होती है। मेडिटेशन और व्यायाम भी जरूर करना चाहिए।

स्टूडेंट्स की ये हंै प्रॉब्लम
- बच्चे में हार्ट रेट बढऩा
- सांस लेने में परेशानी
- पेशियों में खिंचाव
-बहुत ज्यादा पसीना आना
-दिल की धडकऩ बढऩा
-पेट में मरोड़ होना
-सिर में दर्द होना
-मुंह सूखना, मतली या पेट खराब होना
-बेहोशी या चक्कर आना
-अधिक गर्मी या ठंड लगना
-नींद न आना
-बुरे सपने आना
-पढ़े हुए विषय को भूलना

Posted By: Inextlive