बरेली में नेटबॉल की क्रेजी हुईं गल्र्स, बढ़-चढ़ कर ले रहीं गेम में हिस्सा
बरेली (ब्यूरो)। नेटबॉल अवंती बाई महिला महाविद्यालय की गल्र्स के लिए सेंटर ऑफ अट्रैक्शन बना हुआ है। इस गेम के लिए गल्र्स बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं। वहीं बड़ी दूर-दूर से गल्र्स इस गेम के लिए आती हैं। इन गल्र्स में कुछ ऐसी भी हैं, जिनके घर वाले उन्हें इस गेम को खेलने से मना भी करते हैं, लेकिन गेम के आगे जीत है।
क्या है नेटबॉल
नेटबॉल गेम, बास्केट बॉल की तरह ही एक गेम है। दोनों में सिर्फ एक ही अंतर है। बास्केट बॉल में बॉल को ड्रिबल करके ले जाते हैैं। वहीं नेटबॉल में बॉल को ड्रिबल नहीं करते हैैं। नेटबॉल खेलने के लिए एक बॉल और एक गोल पोस्ट की जरूरत होती है। टीम में टोटल 12 प्लेयर होते हैैं। वहीं एक बार में सिर्फ 7 प्लेयर्स ही खेलते हैं।
बन रहïीं सपोर्ट सिस्टम
ग्रुप गेम का मतलब यह नहीं होता है कि खुद के बारे में सोचें। अगर कोई ग्रुप गेम खेल रहे हैं, तो ग्रुप को साथ लेेकर चलना एक टफ टास्क होता है। इस ओर गल्र्स एक-दूसरे का स्पोर्ट सिसटम बनी हुई हैं। कोच डॉ। अनुभूति ने बताया कि गल्र्स एक-दूसरे को हर तरह से स्पोर्ट करती हैं। फिर चाहे वो स्पोर्ट रिलेटिड हो या फिर फाईनएंशियली हो। इस गेम के खेलने के लिए गल्र्स दूर-दूर से आती हैैं, जिससे उनकी रेगुलटी मिस न हो और वो अच्छे से खेल सकें.यह गेम बासकेट बॉल की पॉपुलैरिटी को देखते हुए गल्र्स के लिए ही बनाया गया था। इससे गल्र्स का भी इस ओर इंट्रेस्ट क्रिएट हो और वे ज्यादा से ज्यादा गेम में पार्ट ले। वहीं आज यह गेम गल्र्स और वायज के लिए एक पॉपुलर गेम बन गया है। लोग इसमें काफी इंट्रेस्ट ले रहे हैैं।
नेटबॉल गोल्ड मेडेलिस्ट रहीं निधि ने बताया कि नेट बॉल सिर्फ यूनिवर्सिटी, नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर है। स्कूल स्तर पर यह गेम खत्म सा हो गया है। स्कूल में इस ओर कोई ध्यान ही नहीं दे रहा है। स्टूडेंट्स को अगर स्कूल स्तर पर थोड़ा भी ट्रेंड कर दें, जिससे यूनिवर्सिटी लेवल तक आते ही प्लेयर पूरी तरह से ट्रेंड हो जाएगा।
फेडरेशन भी नहीं है अवलेबल
एमजेपीआरयू के स्पोर्ट कोच धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि इसका स्कोप बहुत है, पर इसे उस लेवल तक का चांस नहीं मिल पा रहा है। इसकी एक सबसे बड़ी वजह है नेटबॉल में फेडरेशन की लड़ाई। इस समय सिर्फ कांप्टीशन करने के लिए एक बॉडी है जो कांप्टीशन करा देती है। उन्होंने बताया कि एक टाइम ऐसा था जब लालू प्रसाद रेल मंत्री थे तब यह गेम रेलवे के अंडर आने वाला था, पर फेडरेशन के आपसी कलह से यह रह गया।
डॉ। अनुभूति, स्पोर्ट कोच, अवंती बाई महिला महाविद्यालय मुझे यह खेल बहुत पसंद है। इसमें बहुत स्कोप है। अगर इसमें थोड़ी मेहनत कर ली जाए तो वे काफी सफलता गेन कर सकती हïैं।
ज्योति शर्मा, प्लेयर पहले मैं कोई ओर गेम खेलना चाहती थी, लेकिन जब से नेटबॉल खेलना शुरू किया। इससे एक जुड़ाव सा हो गया है। अब लक्ष्य एक ही है आगे बढऩा। सना मंसूरी, प्लेयर
स्टूडेंट्स का इंट्रेस्ट देखते हुए ऐज अ कोच मेरा भी मन होता है कि उन्हें और सिखाएं। वहीं कॉलेज की गल्र्स इस स्पोर्ट में काफी इंट्रेस्ट ले रही हैं और रेगुलर प्रेक्टिस के लिए भी आती हैं।
कुमारी निधि, असिस्टेंट प्रोफेसर, नेटबॉल कोच, कांति कपूर स्कूल
प्लेयर में खेल को लेकर बहुत इंट्रेस्ट है, लेकिन इसके लिए कोई फेडरेशन अभी एवलेबल नहीं है। इस गेम को एक बूस्टर की जरूरत हैै।
धर्मेंद्र शर्मा, स्पोर्ट कोच, एमजेपीआरयू