बरेली में छोटे-छोटे स्टार्टअप से आसमान छू रही हैं लड़कियां
बरेली (ब्यूरो)। देश में छोटे-बड़े स्टार्टअप से हजारों लोगों ने अपनी तकदीर बदली है। कई स्टार्टअप ने तो देश-दुनिया में अपनी पहचान कायम की है। इसमें बड़ी संख्या में आधी आबादी की भी भागीदारी है। अपने शहर में भी कई ऐसी गल्र्स हैं जो अपने हुनर, हिम्मत और हौसले से स्टार्टअप के जरिए उड़ान भर रही हैं। इसमें कई एनजीओ भी बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। इन एनजीओ से कोई न कोई स्वरोजगार की ट्रेनिंग लेकर गल्र्स ने अपना कारोबार शुरू किया और सफलता भी हासिल की। खुद के कारोबार से आत्मनिर्भर बनी यह गल्र्स दूसरों को भी रोजगार प्रदान कर रही हैं।
केस:1
दूसरों के लिए बनी मिसाल
नैंसी पहले एक एनजीओ में खुद मेहंदी और दीपक की डेकोरेशन करना सीखती थी। इसमें पारंगत हो जाने के बाद वह दूसरी लड़कियों को मेंहदी और दीपक आदि बनाने का काम सीखा रही हैं। यह काम सीखकर वह भी आत्मनिर्भर बनीं हैं और दूसरे भी। नैंसी का कहना है कि वह बिजनेस करेगी और अपने पापा का नाम रौशन करेगी। नैंसी का सपना पूरा भी हुआ है और वह दूसरों के लिए एक मिसाल बनी हैं।
केस:2
बनी आत्मनिर्भर
बीएससी की स्टडी करने वाली प्राची ने बताया कि वह पहले एनजीओ से सिलाई और कढ़ाई आदि का काम सीखती थी। उन्होंने बताया कि पहले उनके लिए यह काम थोड़ा कठिन था, पर दिन रात खूब मेहनत की तो सफलता हाथ आई। उनका कहना है कि अब वह अपनी जैसी कई दूसरी गल्र्स को मेहंदी और सिलाई-कढ़ाई आदि का काम सिखा रही हैं। स्टडी के साथ-साथ वह स्वरोजगार भी कर रही हैं।
स्टडी संग स्वरोजगार भी
वैशाली ने बताया कि वह स्टडी के साथ ही स्वरोजगार भी कर रही हैं। शुरू से ही उनके मन में अपना कुछ कारोबार करने की चाहत रही। इसके लिए एक एनजीओ से ब्यूटीशियन, दीपक डेकोरेशन आदि का काम सीखा। इसके बाद अपने घर में ही स्वरोजगार शुरू किया। की लेकिन अब दूसरों को दूसरों को भी सीखा रही हूं। स्टडी के लिए भी टाइम निकाल ही लेती हूं। वही कहती हैं कि लड़कियों को सेल्फडिपेंडेंट होना भी जरूरी है। बस मेहनत की आवश्यकता होती है।
केस:4
ताकि कर सकूं परिवार की हेल्प
शहर के इज्जतनगर खजुरिया घाट निवासी जशोदा ने बताया कि उनके छह बहने और एक भाई है। पिता अकेले घर का खर्च चलाते हैं। वह पढ़ाई तो करती हैं लेकिन इसके साथ ही आत्मनिर्भर बनने के साथ घर वालों की भी हेल्प करूं यह मन में था। इसीलिए मेहंदी लगाने का काम और गोबर के दिए आदि बनाने का काम सीखा। बताया कि अब खुद आत्मनिर्भर बनकर अपना काम भी करती हैं और इसके साथ ही परिवार की भी मदद कर पा रही हैं। अब खुद को काफी खुश महसूस करते है। दूसरों को भी काम सिखा रही हैं।
देना है मास्टर सेफ ऑडिशन
इज्जतनगर निवासी वैशाली नंदन बरेली कॉलेज से यूजी की पढ़ाई करती हैं। इसके साथ ही संस्था पर आकर मेहंदी लगाना, दीपावली के लिए डिजानयर दीए बनाना आदि काम सीखा। इसके साथ ही वह फूड ब्लॉगर भी हैं। इन सभी को करने से वह इनकम भी कर रही हैं। प्रमोशनल वीडियो भी बनाती हैं। वह मास्टर शेफ ऑडिशन भी देना चाहती हैं। लेकिन इसके लिए वह खुद कुछ करना चाहती हैं। फिलहाल अभी वह फूड ब्लॉगर से और मेहंदी और दीए बनाने का काम कर इनकम भी कर रही हैं। जिससे वह अपनी पढ़ाई का खर्च में काम लेती है।
हमारे एनजीयो में काफी गल्र्स काम सीखती है। सिलाई कढ़ाई बुनाई दीपक की डेकोरेशन करना, मेहंदी लगाना आदि का काम सिखाया जाता है। काफी लड़कियां आत्मनिर्भर हो गई हैं। और वे अब दूसरों को रोजगार दे रहीं है। मेरा यही लक्ष्य है कि गल्र्स आत्मनिर्भर बने
मीनाक्षी, राजेंद्र नगर
एनजीओ एक उम्मीद संस्था के माध्यम गल्र्स को आत्म निर्भर बनाने का काम किया जाता है। मेन मकसद है कि गल्र्स भी आगे बढ़ सके ताकि वह लाइफ को बेहतर तरीके से जीएं और दूसरों के लिए मिशाल बनें।
अमिता अग्रवाल, फाउंडर, एक उम्मीद संस्था
रचना सक्सेना,