बरेली स्पोट्र्स स्टेडियम में एथलेटिक्स और जिम्नास्टिक में घट रहा गल्र्स का दबदबा
बरेली (ब्यूरो)।सरकार गेम्स को लगातार प्रमोट कर रही है, लेकिन शहर में स्पोट्र्स को लेकर गल्र्स में बहुत अधिक उत्साह नजर नहीं आ रहा है। इसी पुष्टि स्पोट्र्स स्टेडियम में रजिस्टर्ड प्लेयर्स की संख्या से भी हो रही है। यहां कभी हर खेल में गल्र्स की संख्या खासी रहती थी, पर ब्वॉयज का ही दबदबा है। उनकी अपेक्षा यहां गल्र्स की संख्या आधी भी नहीं है। यह संख्या बढऩे के वजाय घटती जा रही है।
गेम गल्र्स ब्वॉयज
एथलेटिक्स 13 22
जिम्नास्टिक 14 27
वेट लिफ्टिंग 12 18
लॉन टेनिस 9 22
फुटबॉल - 24
बॉक्सिंग 9 45
हॉकी 9 20
वॉलीबॉल 13 28
स्पोर्ट आज भी टप टास्क
स्पोर्ट आज भी गल्र्स के लिए टफ टास्क बना हुआ है। कई गल्र्स चाह कर भी आगे नहीं बढ़ पा रही हैैं। इसके पीछे कई कारण हैं। इनमें गल्र्स की सुरक्षा आज भी एक बड़ा कारण है। इसके अलावा गल्र्स को लेकर आज भी परिवारों की प्राथमिकता पढ़ाई या घर का काम ही है। इसके चलते भी गल्र्स में स्पोट्र्स के प्रति रुचि कम रहती है।
स्पोट्र्स स्टेडियम में कई गेम्स खेले जाते हैं। इनमें एथलेटिक्स, जिम्नास्टिक, वेट लिफ्टिंग, लॉन टेनिस, वॉलीबॉल जैसे आठ गेम शामिल है, लेकिन इनमें से किसी भी गेम में गल्र्स का रजिस्ट्रेशन ब्वॉयज की अपेक्षा 50 परसेंट भी नहीं है। फुटबॉल में तो यहां एक भी गर्ल नहीं है। जिम्नास्टिक में था बोलबाला
एक टाइम था जब स्टेडियम में जिम्नास्टिक में गल्र्स की संख्या ज्यादा होती थी। यह गेम गल्र्स का सबसे पसंदीदा हुआ करता था। अब ऐसा नहीं है। इस गेम में अब ब्वॉयज की संख्या अधिक है। वर्तमान में इस गेम में कुल 41 प्लेयर्स हैं, जिनमेंं 27 ब्वॉयज और 14 गल्र्स हैैं।
एथलेटिक्स भी था पावरफुल
एथलेटिक्स का भी कभी गल्र्स में बड़ा क्रेज था। स्टेडियम में इस गेम में उनकी संख्या ब्वॉयज के बराबर ही हुआ करती थ। अब तो यहां उनकी संख्या लगातार घट रही हे। वर्तमान में इस गेम में टोटल 35 प्लेयर्स हैं, जिनमें 13 गल्र्स और 22 ब्वॉयज हैं। यह संख्या भी ब्वॉयज की अपेक्षा काफी कम है।
नेट बॉल कोच निधी ने कहा कि स्पोट्र्स के प्रति गल्र्स में रुचि कम होने के पीछे कहीं न कहीं स्कूल भी जिम्मेदार हैं। वह ज्यादा से ज्यादा स्कूल, कॉलेज में पढ़ाई पर ही फोकस करते हैं। यह भी देखा जाता है कि कई बार स्कूल, कॉलेज में स्पोट्र्स पीरियड ही गायब कर दिया जाता है। ऐसे में गल्र्स को स्कूल में भी खेलने का मौका नहीं मिलता है। काम की हैैं जिम्मेदारियां
बॉक्सिंग कोच मुकेश कुमार ने बताया कि स्पोट्र्स में लड़कियों को लोग कम भेज रहे हैैं। वहीं अगर बात बॉक्सिंग की करें तो इसमें गल्र्स की संख्या और भी कम है। शहर में लोग अभी भी गल्र्स को स्पोट्र्स के लिए प्रमोट नहीं कर रहे हैैं।
गल्र्स पर अभी भी कई बाउंडेशन हैं। कई बार वह गेम में इंटरेस्ट रखती भी हैं, पर उन्हें मौका नहीं मिलता है। ऐसा ब्वॉयज के साथ नहीं होता है। परिजन बेटे तो तो स्पोर्ट में भेजना चाहते हैं, पर बेटी को पढ़ाई पर ही फोकस करने के लिए कहा जाता है।
जितेंद्र यादव, आरएसओ, बरेली स्टेडियम