Bareilly: शहर की सड़कों पर लगने वाले जाम से यूं तो बरेलियंस क ो कई दुश्वारियां झेलनी पड़ती हैं. लेकिन अब बरेलियंस में बढ़ रहे ऑर्थो प्रॉब्लम्स की वजह भी ट्रैफिक जाम ही बन रहा है. टू व्हीलर्स ड्राइव करने वाले ऑर्थराइटिस के शिकार होने लगे हैं. बाइक या स्कूटर ड्राइव करने वालों में यह प्रॉब्लम घुटने के दर्द के साथ शुरू होती है. यही नहीं ट्रैफिक जाम के दौरान असहज स्थिति में रहने पर स्पाइन भी अफेक्ट हो रही है. असल में डॉक्टर्स की मानें तो जब स्मूथ ड्राइविंग नहीं हो पाती है तो बाइकर्स को बार-बार बाइक रोकने के लिए जमीन पर पैर लगाना होता है. ऐसे में घुटने की कार्टिलेज डैमेज हो जाती है.


बिगड़ जाता है repair systemजब बॉडी से किसी भी पार्ट पर बार-बार जर्क लगता है या उसे काफी देर तक एवनॉर्मल पोजीशन में रहना पड़ता है तो बॉडी क ो दोबारा प्रॉपर स्ट्रक्चर के लिए वर्क करना पड़ता है। इससे बॉडी का कॉर्टिलेज रिपेरिंग सिस्टम डिस्टर्ब हो जाता है। कार्टिलेज के डैमेज हो जाने पर बॉडी के उस पार्ट में लगातार दर्द बना रहता है। कार्टिलेज डैमेज की सबसे ज्यादा प्रॉब्लम स्पाइन और नीज के साथ आती है। नी ट्रांसप्लांट तक की नौबत


बॉडी के रिपेरिंग सिस्टम में होने वाली प्रॉब्लम से निपटने का परमानेंट इलाज काफी मुश्किल भी है। नी की कार्टिलेज खराब होने से होने वाली असहनीय पीड़ा से बचने के लिए नी ट्रांसप्लांट ही एकमात्र इलाज है। वहीं स्पाइन में होने वाली प्रॉब्लम बढऩे पर छुटकारा पाने के लिए सर्जरी ही की जाती है। हालांकि, इनिशियल स्टेट पर इसे फीजियोथेरेपी के जरिए कंट्रोल भी किया जा सकता है।बढ़ रही है स्पाइंडलो ऑर्थराइटिस

डॉक्टर्स के अनुसार, जाम में फंसे होने पर टू व्हीलर ड्राइवर को काफी देर तक असहज स्थिति में रहना पड़ता है। बार-बार स्पीड चेंज होने पर क्लच और गियर का भी यूज करना पड़ता है। ऐसे में सबसे ज्यादा स्ट्रेस बैकबोन पर आता है और अगर ड्राइवर ने हेलमेट भी लगाया है तो यह प्रॉब्लम और भी बढ़ जाती है। क्योंकि गर्दन पर और बोझ पड़ता है। इससे आए दिन ऑर्थो क्लीनिक्स में स्पाइंडलो ऑर्थराइटिस से पीडि़त पेशेंट्स की संख्या बढ़ती जा रही है। यह है jam pointsसिटी में सिविल लाइंस से लेकर कुतुबखाना या कोहाड़ापीर तक जाने में स्मूथ ड्राइविंग कर पाना बेहद मुश्किल है। ऐसे में बाइकर को बार-बार अपना पैर जमीन पर रखना ही पड़ता है। कुतुबखाना से किला की ओर जाते हुए तो कई बार जाम से रूबरू होना पड़ता है। इसके अलावा सिटी के श्यामगंज में भी टू व्हीलर्स ड्राइव करने वालों को इसी तरह की प्रॉब्लम्स से दो-चार होना पड़ता है। ये हड्डियों के लिए हानिकारक हो सकता है।जाम में ज्यादा देर तक रहने पर बॉडी को एवनॉर्मल पोजीशन पर रहना पड़ता है। इससे नी और स्पाइन अफेक्ट होते हैं। मैं तो यह कहूंगा कि सिटी में ऑर्थो प्रॉब्लम्स के लिए जाम एक बहुत बड़ी वजह है। खास कर टू व्हीलर ड्राइव करने वालों में तो ऑर्थराइटिस की प्रॉब्लम सबसे ज्यादा होती है।- डॉ। सत्येंद्र सिंह, ऑर्थोपेडिक सर्जन

जाम में फंसे होने पर पूरा बॉडी प्रेशर आपके दो या तीन ज्वॉइंट्स पर सेंटर्ड हो जाता है। और काफी दिनों तक लगातार ऐसा होने पर उन ज्वॉइंट्स में पेन होने लगता है। सिटी में जाम ही हड्डी के रोगों की वजह है। शुरुआत में इसे फीजियाथेरेपी और मेडीसिन से कंट्रोल किया जा सकता है। - डॉ। प्रमेंद्र माहेश्वरी, ऑथोपेडिक सर्जनपता नहीं जाम से मुक्ति कब मिलेगी। इसकी वजह से ही यहां पॉल्यूशन रहता है और जाम में फंसने पर बॉडी पेन और जोड़ों के दर्द की समस्या भी बढ़ती है।- अनुज अग्रवालसिटी की अधिकांश सड़क ों से गुजरने के लिए तो जाम का झाम झेलना ही पड़ता है। जाम की वजह से ही 10 मिनट की दूरी तय करने में आधा घंटा तक लग जाता है।- उमेश चंद्रमार्केट से एनक्रॉचमेंट हटना चाहिए और पार्किंग की व्यवस्था की जानी चाहिए। इससे ही बरेलिएंस को जाम से होने वाली प्रॉब्लम्स से छुटकारा मिल सकता है।-मो। वाइज खानजाम से निकलकर आने के बाद बॉडी रिलैक्स फील करती है। जबकि स्मूथ ड्राइविंग के बाद बॉडी में  थकान नहीं होती है। जाम से निजात पाना बहुत जरूरी है।- हरीश मोटवानीReport by: Nidhi Gupta

Posted By: Inextlive