BAREILLY: बरेली पुलिस का एक नुमाइंदा अपने ही विभाग की जांच से गुजर रहा है. उन पर फाइनल रिपोर्ट व चार्जशीट टाइम पर कोर्ट में पेश न करने और उच्च अधिकारियों को इसकी गलत जानकारी देने जैसे गंभीर आरोप हैं. आई नेक्स्ट रिपोर्टर अनिल कुमार को जो दस्तावेज मिले हैं उनके मुताबिक डीआईजी द्वारा गठित टीम ने इन आरोपों को सच भी पाया है. विभाग के एक सीनियर ऑफिसर का मामला होने के चलते डीआईजी ने दोबारा एक गजेटेड ऑफिसर को इसकी जांच सौंपी है.


अपनी duty में लापरवाही बरतने के गंभीर आरोप


पुलिस महकमे का विवादों से पुराना रिश्ता है। कभी लापरवाही तो कभी साठ-गांठ के आरोप लगते रहे हैं। ऐसा ही मामला बरेली में भी सामने आया है। सीओ सिटी फस्र्ट राजकुमार अग्रवाल पर डिपार्टमेंटल जांच की तलवार लटकी हुई है। फिलहाल वह तमाम सवालों के घेरे में हैं। उन पर एफआर (फाइनल रिपोर्ट) तथा चार्जशीट टाइम पर कोर्ट में पेश न करने, सीनियर पुलिस अधिकारियों को इसकी गलत सूचना देने और आईजी के निर्देशों का पालन न करने जैसे कई गंभीर आरोप हैं। यही नहीं डीआईजी एलवी एंटनी देव कुमार द्वारा गठित कमेटी की जांच में ये आरोप सही भी पाए गए हैं। मामला डिपार्टमेंट के एक ऑफिसर का है इसलिए डीआईजी ने फिर इसकी जांच के निर्देश दिए। इस बार जांच एसपी रूरल शाहजहांपुर केबी सिंह को सौंपी। इसी संबंध में वह हाल ही में बरेली भी आए थे। अभी उनकी तरफ से जांच रिपोर्ट सौंपना बाकी है। इसके बाद ही सीओ सिटी फस्र्ट पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। सूत्रों की मानें तो उनकी जांच में भी आरोप कुछ हद तक सही पाए गए हैं। आई नेक्स्ट के पास सीओ सिटी की जांच रिपोर्ट से जुड़े दस्तावेज मौजूद हैं।एडीजी ने मांगी थी रिपोर्ट

जांच के दस्तावेजों के अनुसार, एडीजी के निर्देश पर क्राइम ड्राइव चलाई जा रही थी। इसके तहत डीआईजी ने एसएसपी के माध्यम से जिले के सभी सीओ से उनके थानों की तरफ से कोर्ट में पेश की गई फाइनल रिपोर्ट व चार्जशीट रिपोर्ट मांगी थी। ये रिपोर्ट 16 मार्च 2012 से 15 अक्टूबर 2012 तक के बीच की थीं। इस रिपोर्ट में सीओ सिटी राजकुमार अग्रवाल ने उनके थाना क्षेत्रों में कुल आरोप पत्र 540 की जानकारी दी थी। इसके अलावा ये बताया कि फाइनल रिपोर्ट 130 के सापेक्ष सभी को कोर्ट में भेजे जाने का भी उल्लेख किया गया था।  मिली शिकायत

रिपोर्ट मिलने के कुछ दिन बाद ही 21 नवंबर को 110 सिविल लाइंस बरेली निवासी आरके वाष्र्णेय ने डीआईजी एलवी एंटनी देव कुमार से शिकायत की। उनका कहना था कि सीओ सिटी फस्र्ट राजकुमार अग्रवाल उनके मामले की फाइनल रिपोर्ट कोर्ट में पेश नहीं कर रहे हैं जबकि  मामले के जांच अधिकारी ने फाइनल रिपोर्ट 1 सितंबर 2012 को ही सौंप दी थी। इसके अलावा फाइनल रिपोर्ट सीओ सिटी के ऑफिस में 15 सितंबर 2012 से लंबित पड़ी हुई है। आरके वाष्र्णेय के मामले का क्राइम नंबर 1974/2012 तथा एफआईआर आईपीसी की धारा 420 में दर्ज है। डीआईजी के पास इसके अलावा भी सीओ सिटी के खिलाफ कई शिकायतें आई थीं।डीआईजी ने कमेटी कौ सौंपी जांचबार-बार शिकायत मिलने पर डीआईजी ने आरके वाष्र्णेय की लिखित शिकायत पर आरोपों की जांच के लिए दो सदस्यीय कमेटी गठित की। कमेटी में डीआईजी ऑफिस में कार्यरत इंस्पेक्टर विजय कुमार राना तथा एसआई वीरेंद्र सिंह को रखा गया। डीआईजी के आदेश पर टीम ने अपनी जांच शुरू की। कमेटी जांच के लिए सीओ सिटी के ऑफिस में पहुंची। कमेटी ने सीओ ऑफिस में उपलब्ध क्राइम रजिस्टर व जैड रजिस्टर का अवलोकन किया। दोनों रजिस्टर के अवलोकन पर कमेटी ने पाया कि थाना कोतवाली की 21 तथा थाना प्रेमनगर की 24 फाइनल रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करने से लंबित पड़ी हैं।45 रिपोर्ट पाई गईं लंबित
इसके अलावा टीम ने पाया कि थाना कोतवाली की 20 चार्जशीट तथा थाना प्रेमनगर की 7 चार्जशीट भी कोर्ट में पेश नहीं की गई हैं। साथ ही जांच में ये बात भी सामने आई कि कोतवाली में आरके वाष्र्णेय के मामले की फाइनल रिपोर्ट विवेचक द्वारा 1 सितंबर 2012 को प्रेषित की जा चुकी है लेकिन फाइनल रिपोर्ट सीओ सिटी फस्र्ट के ऑफिस में लंबित पड़ी है। इसके संबंध में अपराध रजिस्टर में सीओ सिटी फस्र्ट द्वारा विवेचक को वादी सहित अपने समक्ष प्रस्तुत होने हेतु निर्देश निर्गत किए गए हैं। कमेटी ने जांच में पाया कि शेष फाइनल रिपोर्ट व चार्जशीट पर सीओ सिटी फस्र्ट के मात्र सिग्नेचर होना ही शेष हैं। जांच में ये बात भी सामने आयी कि सीओ सिटी फस्र्ट ने अपराध रजिस्टर में खुद प्रविष्टि नहीं कर रहे हैं। जबकि वह मात्र निर्देश संबंधी टिप्पणी का ही अंकन कर रहे हैं। कुछ फाइनल रिपोर्ट पिछले दो माह से भी अधिक समय की हैं। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट डीआईजी को 21 नवंबर 2012 को सौंप दी।गलत सूचना दी गईकमेटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि डीआईजी द्वारा मांगी गई सूचना पर सीओ सिटी ने फाइनल रिपोर्ट व चार्जशीट लंबित न होना निल बताया, जबकि जांच में ये लंबित पाई गई हैं। इससे लगता है कि सीओ ने डीआईजी को एसएसपी के माध्यम से गलत सूचना दी है। इस प्रकार फाइनल रिपोर्ट व चार्जशीट सीओ सिटी के कार्यालय में लंबित रहना सीओ सिटी की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। मामला गंभीर होने पर कमेटी ने जांच रिपोर्ट में ये भी लिखा है कि उक्त प्रकरण की जांच किसी अपर पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी से कराया जाना उचित होगा।
एसपी शाहजहांपुर को जांच के लिए लिखाकमेटी की रिपोर्ट मिलने के बाद डीआईजी ने मामले की जांच के लिए एसपी शाहजहांपुर चंद्र प्रकाश को लिखा। उन्होंने लिखा कि इस मामले की जांच एसपी रूरल एरिया शाहजहांपुर से कराकर पांच दिन के अंदर रिपोर्ट सौंपी जाए। डीआईजी ने एसपी शाहजहांपुर को अपने पत्र में ये भी लिखा है कि अपराध रजिस्टर में सीओ सिटी फस्र्ट खुद प्रविष्टि नहीं कर रहे। वह मात्र निर्देश टिप्पणी का ही अंकन कर रहे हैं। जबकि आईजी बरेली जोन द्वारा भी सभी राजपत्रित अधिकारियों को गोष्ठी के दौरान अपराध रजिस्टर व विशेष अपराध पत्रावली को खुद लिखना निर्देशित किया गया था। लेकिन इसका राजपत्रित अधिकारियों द्वारा अनुपालन नहीं किया जा रहा है। यह अत्यंतआपत्ति जनक है। एसपी रूरल आए थे बरेलीएसपी शाहजहांपुर ने मामले की जांच तुरंत एसपी रूरल एरिया केबी सिंह को सौंप दी। एसपी रूरल इस संबंध में कुछ दिन पूर्व सीओ सिटी कार्यालय पहुंचे और दस्तावेजों की जांच की। उन्होंने इस मामले में सीओ सिटी फस्र्ट से पूछताछ की। सूत्रों की माने तो एसपी रूरल शाहजहांपुर की जांच में भी सीओ सिटी के खिलाफ आरोप सही पाए गए हैं। अब मामले में एसपी रूरल एरिया शाहजहांपुर को अपनी रिपोर्ट डीआईजी को सौंपनी है। इसके बाद ही आगे की कार्रवाई होगी।

Posted By: Inextlive