सलामत रहे दोस्ताना...
ऐ दोस्त हमें नाज है तेरी दोस्ती पर बने चाहे दुश्मन जमाना हमारा, सलामत रहे दोस्ताना हमारा बस ऐसा ही होता है दोस्ती का रिश्ता न जमाने का बंधन, न मर्यादाओं की दीवार दोस्त पर सब कुछ न्यौछावर। ऐसे ही अपने सबसे अजीज दोस्तों से जुड़ी कुछ मीठी यादें बरेली सिटी के टॉप ऑफिसर्स ने आई नेक्स्ट के साथ शेयर की। कुछ को जिंदगी में ऐसे दोस्त भी मिले जिन्होंने अपने डिवोशन और त्याग से उनके लिए सफलता के पथरीले रास्तों को सुगम बनाया। इन ऑफिसर्स ने दोस्ती के कुछ ऐसे ही खट्टे-मीठे अनुभवों की रोचक दास्तां बयां की।
पैसे और पॉवर के चलते तो मेरेकई दोस्त बने लेकिन दो दोस्त ऐसे हैं जो दिल के करीब हैं। इनमें से एक शक्ति नारायण और दूसरे काली कुमार। दोनों से मेरी दोस्ती आंध्र प्रदेश के वेस्ट गोदावरी डिस्ट्रिक्ट के एलूर स्थित सर सीआर रेड्डी कॉलेज में पढ़ाई के दौरान हुई। उस दौरान मैं गांव से पढ़ाई करने शहर जाता था। घर से मुझे जो खाना बनाकर दिया जाता था उसे मैं दोस्तों के घर जाकर शेयर करके खाता था। उनके घर पर मुझे घर जैसा महसूस होता था। आज उन्हीं दोस्तों की प्रेरणा से मैं आईएएस बना और मेरे दोस्त हैदराबाद सेक्रेटेरिएट में डिप्टी सेक्रेटरी और ज्वाइंट सेक्रेटरी के रूप में काम कर रहे हैं। आज भी हर सुख-दुख में एक दूसरे के साथी हैं।
यूं तो मेरे स्कूल, कॉलेज के अधिकांश दोस्त मेरे टच में हैं। पर उसकी यादें कुछ खास हैं। उस दिन वह मेरे साथ न होता तो मैं इस दुनिया से रुखसत हो जाता। उस समय मैं लीबिया में शांति सेना में कार्यरत था। एक दिन मैं समुद्र में स्विमिंग के दौरान भंवर में फंस गया। मैंने तो अपने बचने की उम्मीद ही छोड़ दी थी। उसी समय मेरे दोस्त ब्रिगेडियर एपी सिंह की नजर मेरी तरफ पड़ी। बस फिर क्या था, उन्होंने बिना कुछ सोचे मुझे बचाने के लिए डाइव लगा दी। और कुछ ही समय में मुझ तक पहुंच गए। तब तक मैं बेहोश हो चुका था। वह मुझे किनारे तक ले गए। और मुझे मेरे कैंप तक सकुशल पहुंचाया। वास्तव में जो दोस्त बुरे वक्त में काम आए, वही तो सच्चा दोस्त होता है। तब से हम टच में हैं। आज भी जब किसी टेंशन में होता हूं, तो उसे याद करता हूं। सेना में सेलेक्शन मेरे लिए किसी सपने से कम नहीं था। मुझे करियर के शुरुआती दिनों से पता था कि कोई भी सफलता आसानी से नहीं मिलती इसलिए कड़ी मेहनत की जिसका मुझे अच्छा और सुखद परिणाम मिला। मेरा परिवार हमेशा मेरा सपोर्ट करता है। किसी भी तरह के डिसीजन मेकिंग में मेरी फैमिली का अहम रोल होता है। फ्रेंडशिप डे पर मेरा कहना है कि कई दोस्त बनाने से बेहतर है कि ऐसे दोस्त बनाने चाहिए जो आपके सुख-दुख में हमेशा आपके साथ खड़े रहें।
बात बहुत पहले की है। जुलाई 1984 में मेरा मैनपुरी से अलीगढ़ के लिए ट्रांसफर हुआ। अलीगढ़ में ज्वाइनिंग के बाद अगस्त महीने मेे मेरी तबियत अचानक बहुत अधिक खराब हो गई। टेस्ट कराने के बाद क्लीयर हुआ कि मुझे ज्वाइंडिस हो गया था। बीमारी का लेवल इतना हाई था कि उसका असर सीधे ब्रेन तक पहुंचने लगा। उस वक्त अलीगढ़ में मैं सिर्फ अपनी वाइफ और दो साल की बच्ची के साथ ही रह रहा था। मैं आज सोचकर हैरान रह जाता हूं कि मेरी वाइफ अकेले मुझे लेकर लखनऊ पहुंची। उन्होंने मुझे हॉस्पिटल में एडमिट करवाया। बाद में जब मुझे होश आया तो मेरी आंखों से आंसू छलक छलक गए। वैसे एकेडमिक लाइफ से ही मेरा कोई दोस्त नहीं था। उस दिन से मेरी वाइफ ही मेरी दोस्त बन गई। आज भी वही मेरी सच्ची दोस्त है। लाइफ का लंबा समय मैंने उनके सुझावों पर काम किया। ट्रांसफरेबल जॉब के चलते मैं उन्हें टाइम तो नहीं दे पाता था मगर उन्होंने कभी शिकायत नहीं की। मैं इस फ्रेंडशिप डे पर उनका शुक्रिया अदा करता हूं कि उन्होंने हर मोड़ पर मेरा साथ दिया।
मैं नैनीताल के सैनिक स्कूल में क्लास 5 में था, तभी मेरी मुलाकात हुई थी आनंद स्वरूप दुबे से। पर पारिवारिक वजहों से क्लास 9 के बाद स्कूल छोडऩा पड़ा। हालांकि, उसने किसी और स्कूल से पढ़ाई जारी रखी। वह क्लास में मेरा सबसे अच्छा दोस्त था। मुझे उसका जाना बहुत बुरा लगा। मैं अक्सर उसे याद करता था। उसके साथ बिताए पल मुझे अनायास ही याद आ जाते थे। पर अचानक चार साल बाद वक्त ने करवट ली। एक दिन ग्रेजुएशन के दौरान जब मैं इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में फ्रेंड्स के साथ ग्राउंड में खड़ा था, पीछे से किसी ने मुझे आवाज दी। मैंने चौंककर पीछे देखा। वह आनंद की आवाज थी। हालांकि मुझे उसे पहचानने में थोड़ी देर लगी, पर उसका मिलना जैसे मुझे मुंह मांगी मुराद मिल गई हो। उसके बाद से तो हम टच में हैं। जब भी उससे बात होती है तो पुरानी सारी यादें ताजा हो जाती हैं। आनंद इस समय एक कामयाब बिजनेसमैन है। दोस्ती को आसानी से परिभाषित नहीं किया जा सकता। अपने कैरियर के शुरुआती दौर में मेरी जिंदगी में कई दोस्त आए और गए लेकिन उनमें से कुछ ही दोस्त ऐसे हैं जिनको आप कभी भूल नहीं पाते। मेरा मानना है कि जहां तक हो आप अच्छे लोगों से दोस्ती करें क्योंकि जैसी संगति होती है वैसा ही इंपेक्ट आपके जीवन पर पड़ता है।