आरटीओ में परमिट का फर्जीवाड़ा
- फर्जी परमिट जारी करने का चल रहा खेल
- सिटी में एक दर्जन से अधिक जारी हो चुके फर्जी परमिट - जिम्मेदारों की खामोशी इस खेल को दे रही बढ़ावा BAREILLY: आरटीओ ऑफिस में दलाल किस तरह हावी हैं उसकी एक बानगी देखिए। दलाल धड़ल्ले से परमिट जारी करवा रहे हैं और आरटीओ अधिकारी कार्रवाई करने के बजाए हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। एक ऐसे ही फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है, जिसमें दलालों ने ऑटो ड्राइवर को फर्जी परमिट बनाकर सौंप दिया। मढ़ीनाथ के रहने वाले मुकेश गुप्ता ने दो जब्त ऑटो एक निजी बैंक से लोन पर लिया था। बाद में मुकेश ने हसीनउद्दीन को परमिट वाली गाड़ी बताकर ऑटो बेच दिया।मुकेश गुप्ता ने दलालों के माध्यम से ऑटो का परमिट भी जारी करवाया था। ऑटो का परमिट नंबर भ्ब्म्फ्क् है। काफी छानबीन के बाद के बाद पता चला कि ऑटो का ना सिर्फ परमिट फर्जी है, बल्कि ऑटो के रजिस्ट्रेशन भी बरेली आरटीओ ऑफिस से नहीं है। जबकि ऑटो के जो डॉक्यूमेंट तैयार करवाए गए हैं वह आरटीओ ऑफिस के हैं।
फर्जी ढंग से बनवाया परमिटसूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक गनेश नगर के रहने वाले जयराम गुप्ता ने अपने नाम से दो ऑटो ख्0क्क् में फाइनेंस करवाए थे। इसी बीच इनकी डेथ हो गई, जिसके चलते ऑटो के किस्त जमा नहीं हो सके। किस्त जमा ना होने की वजह से निजी बैंक ने ऑटो जब्त कर लिया। बैंक ने वर्ष ख्0क्फ् में उन ऑटो को क्,क्0,000 रुपए में मढ़ीनाथ के रहने वाले मुकेश गुप्ता के हाथों बेच दिया। इस दौरान दोनों ऑटो बिना परमिट के ही सिटी के सड़कों पर फरार्टे भरते रहे। ऑटो खरीदने के बाद मुकेश ने दलालों के माध्यम से परमिट जारी करवा लिए। उसके बाद इन ऑटो को बिथरीचैनपुर थाना अंतर्गत सैदपुर खजुरिया के रहने वाले हसीनउद्दीन के हाथों बेच दिया।
आरटीओ में दर्ज ही नहींइस मामले में सबसे अजीब बात यह है कि मुकेश ने दलालों के माध्यम से जयराम गुप्ता के नाम से ऑटो यूपी ख्भ् एटी 7म्8फ् की परमिट संख्या भ्ब्म्फ्क् लिया था। यह पूरी तरह से फर्जी है। आरटीओ ऑफिस में इस परमिट नंबर का कहीं भी जिक्र नहीं है। हसीनउद्दीन को मुकेश ने जो दूसरा ऑटो दिया है। उसमें भी फर्जीवाड़ा किया गया है। दूसरे ऑटो का चेसिस नंबर 0फ्फ्क्ख् और इंजन नंबर 0म्भ्87 है, लेकिन आरटीओ ऑफिस में इस नंबर का कोई भी ऑटो रजिस्टर्ड नहीं है, जबकि मुकेश ने जो डॉक्यूमेंट तैयार करवाए हैं, वह बरेली आरटीओ ऑफिस की ओर से प्रमाणित है। इतना ही नहीं इस नंबर के ऑटो को ख्9 नवंबर ख्0क्फ् को ऑटो एजेंसी ने सीबीगंज के रहने वाले किसी वाजिद रजा खान नाम के व्यक्ति को बेचा था, जबकि हसीनउद्दीन को ऑटो बेचने का काम मुकेश ने अपने नाम से किया है।
कम्प्यूटराइज्ड नहीं हाथ से दलाल ने ऑटो का परमिट हस्तलिखित प्रोफार्मा में जारी किया था। विभाग हाथ से लिखे प्रोफार्मा पर आरसी, लाइसेंस और परमिट आदि जारी ही नहीं करता है। आरटीओ ऑफिस के एक कर्मचारी ने बताया कि आरटीओ की ओर से जितने भी परमिट जारी किए जाते हैं। वह सब कम्यूटराइज्ड होते हैं। ख्फ् अक्टूबर ख्0क्फ् से इसे पूरी तरह से कम्प्यूटराइज्ड कर दिया गया है। जबकि इसके पहले लोगों को मैनुअली हाथ से लिखे परमिट जारी किए जाते थे। डेट में भी गड़बडीमुकेश ने जो परमिट तैयार करवाए हैं वह भी मैच नहीं कर रहा है। दरअसल वह भ् सितम्बर ख्0क्क् को जारी करवाया गया है। जबकि आरटीओ की ओर से 7 जुलाई ख्0क्क् से शहरी क्षेत्र के लिए परमिट जारी करने पर पूरी तरह से रोक है। हालांकि रूरल एरिया में डीजल से चलने वाले ऑटो के परमिट जारी करने पर कोई रोक नहीं है। ऑटो के परमिट पर इस लिए रोक लगी हुई कि सिटी में ऑटो व टैम्पो की संख्या आवश्यकता से अधिक है। आरटीओ में रजिस्टर्ड ऑटो की संख्या फ्ख्भ्0 और टैम्पो की संख्या क्फ्00 है।
परमिट प्रोफार्मा में झोल दलालों द्वारा जारी किए जा रहे फर्जी परमिट के प्रोफार्मा में काफी झोल है। आरटीओ ऑफिस की तरफ से अभी ब् डिजिट के परमिट जारी किए जा रहे हैं। जबकि फर्जी परमिट में भ् डिजिट अंकित है। नियम और शर्तो में भी काफी हेर फेर है। जोकि ओरिजनल परमिट से बिल्कुल मैच नहीं करता है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक परमिट जारी करवाने के मामले में दलालों की जड़ आरटीओ ऑफिस के अंदर तक है। मैक्सिमम दलालों द्वारा तो खुद ही फर्जी मुहर व सिग्नेचर के माध्यम से फर्जी परमिट जारी किए जाने का खेल खेला जा रहा है। मामले की जांच कर दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। लोगों को भी अवेयर होने की जरूरत है। इस टाइम कम्प्यूटराइज्ड परमिट जारी किए जा रहे हैं। - ममता शर्मा, आरटीओमैंने मुकेश से ऑटो लिया है। ऑटो का परमिट फर्जी है। शिकायत करने पर जान से मारने की धमकी मिलती है। सुभाषनगर थाने में रिपोर्ट भी दर्ज कराई है।
- हसीनउद्दीन, पीडि़त नए परमिट पर रोक होने के बाद भी आरटीओ ऑफिस दलालों के जरिए परमिट जारी कर रहा है, जिससे बाद में ऑटो चालकों को प्रॉब्लम होती है। - अकीलुद्दीन, प्रेसीडेंट, ऑटो चालक कल्याण सोसाइटी फर्जी परमिट जारी करने वालों का रैकेट बहुत बड़ा है। इस पर कंट्रोल लगाने के लिए आरटीओ ऑफिस में कई बार कंप्लेन दर्ज की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है। गुरुदर्शन सिंह, सेक्रेट्री ऑटो चालक कल्याण सोसाइटी