फोरेसिंक मोबाइल वैन का सफर हुआ लंबा
मुरादाबाद रेंज को जोन बनाकर किया गया था खेल
बरेली फील्ड यूनिट की आपत्ति के बाद सभी जोन में नहीं भेजी जा रही गाड़ी मिनी लेव की तरह काम करती वैन BAREILLY: ब्लाइंड केस को ओपन करने में फोरेंसिक जांच इंपारटेंट रोल प्ले करती है। केस को जल्द से जल्द सुलझाया जा सके इसके लिए पुलिस ने 8 जोन में फोरेंसिक मोबाइल वेन भेजने का डिसीजन लिया गया था। लेकिन अब इन वैन का सफर लंबा हो गया है। क्योंकि इसमें बड़ा खेल कर दिया गया। बरेली जोन के लिए आनी वाले वाहन को मुरादाबाद ले जाने के लिए मुरादाबाद रेंज की जगह मुरादाबाद जोन ही कर दिया गया। बरेली फोरेसिंक टीम की आपत्ति के बाद सभी जोन में वाहनों को भेजना कैंसिल कर दिया गया है। जोन से जिलों में यूज होती वेनकेसेस में ज्यादा से ज्यादा सांइटिफिक तरीकों का यूज हो इसके लिए पुलिस हेड क्वार्टर से कई प्रयास किए जा रहे हैं। क्राइम सीन प्रोटेक्शन किट की तरह ही फोरेंसिक मोबाइल वेन भेजने की तैयारी की गई थी। पहले इन्हें मिनी लेब का नाम दिया गया था लेकिन बाद में इनका नाम चेंज कर दिया गया था। इन वेन को सभी जोन में भेजा जाना था। जोन के अंतर्गत आने वाले जिलों में इसका इस्तेमाल किया जाना था।
क्या हुआ खेल जब इन वैन की खबर जिलों की फोरेसिंक टीम को लगी तो इसमें खेल शुरू हो गया। सभी जोन से फील्ड यूनिट की टीम को गाडि़यों को ले जाने के लिए लखनऊ बुलाया गया। बरेली की टीम भी पहुंची लेकिन जब टीम ने देखा कि बरेली जोन को दी जाने वाली गाड़ी पर मुरादाबाद जोन लिखा हुआ है। इस पर टीम ने आपत्ति जतायी क्योंकि मुरादाबाद रेंज है न कि जोन। इसका मतलब है कि गाड़ी को मुरादाबाद ले जाने के लिए खेल कर दिया गया। आपत्ति के बाद से सभी जोन में गाड़ी भेजने का फैसला टाल दिया गया। ये सुविधाएं होंगी लेब मेंअभी किसी भी केस में साइंटिफिक जांच के लिए सैंपल लखनऊ लेब में भेजे जाते हैं। लखनऊ से रिपोर्ट आने में काफी लंबा वक्त लगता है जिसके चलते केस भी देर से सॉल्व होता है। इसी प्राब्लम को दूर करने के लिए मोबाइल लेव जोन में भेजी जा रही थीं। इन लैब में फिंगर प्रिंट सेव करनी की सुविधा है। इसमें ब्लड सैंपल का पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा हैंडवाश से भी अपराधी के बारे में पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा नारकोटिक्स की भी जांच की जा सकती है। इसके अलावा भी कई छोटी जांचें क्राइम से जुड़ी की जा सकती हैं। इन लेव में एक सीनियर सांइटिस्ट की मौजूदगी में टीम की तैनाती होती जो अपनी रिपोर्ट भी जल्द से जल्द देता।