कहीं सेहत न निगल ले बिना रेटिंग का खाना
बरेली (ब्यूरो)। आज लोग मधुमेह, हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर, उदर रोग व कैंसर आदि तमाम बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। इसके पीछे खाद्य पदार्थों का शुद्ध न होना मेन कारण है। विशेष रूप से अगर आप घर से बाहर रहते हैं और होटल या रेस्टोरेंट का खाना खाने को विवश हैं या फिर मॉडर्न लाइफ स्टाइल के चलते इन स्थानों पर खाना खाना पसंद करते हैं तो सावधान हो जाइए। सिटी के अधिकांश होटल्स एवं रेस्टोरेंट्स में रेटिंग सिस्टम ही नहीं। वे खाद्य सुरक्षा के मानकों को भी पूरा नहीं कर रहे हैं। ऐसे में इन जगहों पर जाकर भोजन करना आपकी हेल्थ के लिए काफी डेंजरस साबित हो सकता है। सरकार द्वारा रेटिंग सिस्टम को लेकर खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन को निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं। लेकिन, स्थानीय स्तर पर अधिकारियों ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया है, जिसके चलते यहां के होटल्स में खुलआम मानकों की अनदेखी करते हुए लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।
हाईजीन रेटिंग को किया दरकिनार
दरअसल, जिले में अभी जो रेस्टोरेंट व होटल खुले हैं, उनमें कई जगह कस्टमर्स को आकर्षक पैकिंग में भोजन दिया जा रहा है। स्वाद बेहतर हो, इसके लिए यहां पर कई तरह के ऐसे मसालों का प्रयोग किया जाता है, जो स्वास्थ्य पर बेहद खराब प्रभाव डालते हैं। इसके साथ ही खाने को टेबल तक पहुंचने के दौरान भी हाईजीन का ध्यान नहीं रखा जाता। ऐसे में ऐसा भोजन करने से लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पडऩे से वे बीमार हो सकते हैं। इसको रोकने के लिए सरकार ने हाइजीन रेटिंग को शुरू किया है। इसके अंतर्गत बिना रेटिंग होटल्स व रेस्टोरेंट्स का चिह्नीकरण कर यह प्रॉसेस फॉलो करवाई जानी है। इसके बाद उन्हें रेटिंग का सर्टिफिकेट इश्यू किया जाना चाहिए। लेकिन, विभाग इसको लेकर आंखें मूंदे बैैठा है।
सिटी के 480 होटल्स व रेस्टोरेंट्स में से मात्र 30 परसेंट के ही पास लाइसेंस हैं। इनमें से मात्र 10 परसेंट होटल व रेस्टोरेंट ही रेटिंग के मानकों को पूरा कर पा रहे हैं। इनमें से कुछ ऐसे भी होटल हैं, जो लॉजिंग के लाइसेंस पर खाना दे रहे हैं। इतना ही नहीं यहां पर शराब कस्टमर्स को वाइन भी परोसी जा रही है। ऐसे में कई होटल तो वर्षों पुराने हैं, जो एफएसडीए की पनाह में पल रहे हैं। इन पर आज तक कोई कार्रवाई भी नहीं की गई है।
रेटिंग है जरूरी
नियमानुसार सभी होटल्स व रेस्टोरेंट्स को रेटिंग रूल फॉलो करना अनिवार्य होता है, क्योंकि रेटिंग से ही पता चलता है कि कौन से होटल या रेस्टोरेंट को कितने स्टार मिलते हैं। इस रेटिंग होती है, जिससे पता चलता है कि किस स्थान का खाना अच्छा है। इसलिए कहीं भी खाना खाने से पहले वहां की रेटिंग देखना जरूरी होता है। ऐसे में यह भी पता चल जाता है कि वाकई होटल तो अच्छा है पर क्या उसके रूल्स भी फॉलो भी किए जा रहे हैं या नहीं।
बिना लाइसेंस चल रहे में होटल व रेस्टोरेंट को एफएसडीए ने बिल्कुल अनदेखा कर दिया है। बड़े त्यौहारों पर ही अभियान चलाकर विभाग जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेता है। बाकी किसी पर ध्यान नहीं दिया जाता कि कौन सा होटल या रेस्टोरेंट रूल फॉलो कर रहा है, कौनसा नहीं। इन्हें लाइसेंस देना व उसे समय से चैक करना विभाग की जिम्मेदारी है, पर अफसोस कि जिम्मेदारों ने इस तरफ से पूरी तरह आंखें मूंद रखी हैं। इसके साथ ही खुले में खाद्य पदार्थों की बिक्री करने वाले भी बरेलियंस के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं.
फैक्ट एंड फिगर
250 होटल
230 रेस्टोरेंट
1500 लोग लगभग रोज खाना खाते हैं होटल्स में
4000 लोग लगभग रोज लगभग रेस्टोरेंट में खाते हैं खाना
30 परसेंट के पास ही है लाइसेंस
10 परसेंट ही कर रहे रेटिंग मानकों को पूरा
किसी भी जगह खाना खाने से पहले वहां की रेटिंग जानना बहुत ही जरूरी है, क्योंकि उससे खाने की शुद्धता का पता चलता है। पर यहां कहीं यह सिस्टम नजर नहीं आता।
आरती होटल में खाना खाना लोगों का फैशन बन गया है। ऐसे में बहुत कम लोग ऐसे हैं, जो होटल में पहुंचकर रेटिंग चैक करते हैं। खाने से पहले इस बात पर ध्यान अवश्य दे लें।
दीपक हमारा वर्षों पुराना होटल है। लॉजिंग का लाइसेंस है। लेकिन, कस्ट्मर की डिमांड पर उनके लिए खाने का इंतजाम करना पड़ता है। अब वे रहेंगे हमारे यहां तो खाना खाने कहां जाएंगे।
शुजा खान, सचिव, होटलेयर वेलफेयर एसोसिएशन
हमारे होटल का लाइसेंस है। इसके साथ-साथ हम रूल्स भी फॉलो करते हंै। खाने की शुद्धता पर विशेष दिया जाता है, जिससे लोग शिकायत न कर सकें। कस्टमर संतुष्ट होकर जाएं।
अनुराग सक्सेना, अध्यक्ष, होटलेयर वेलफेयर एसोसिएशन
शहर में चल रहे होटल व रेस्टोरेंट में से बहुत कम के लाइसेंस बने हुए हैं। खाने के पदार्थों की शुद्धता परखने के लिए समय-समय पर विभाग की तरफ से अभियान चलाया जाता है। जो मानकों को पूरा नहीं करते हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है। रेटिंग सिस्टम को लेकर भी कार्यवाही की जा रही है।
धर्मराज मिश्र, जिला अभिहित अधिकारी