- कोहरे के कहर से क्लीनिक में बढ़ी पेशेंट्स की संख्या

- फिजिशियन के अनुसार हार्ट और रेस्पिरेटरी पेंशेंट्स बरतें सावधानी

BAREILLY:

सर्दी का मौसम शुरू होने के साथ ही कोहरे ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। चूंकि कोहरा के मौसम में पॉल्यूटेड गैसेज व धूल के कण आसमान में हाइट पर नहीं जा पाते हैं। ऐसे में कोहरे की मार हेल्थ पर भी पड़ती है। यही वजह है कि इन दिनों क्लीनिक में पेशेंट्स की संख्या में इजाफा हुआ है। हफ्ता भर से कोहरे की वजह से क्लीनिक में ब्रांकोइसिस, ब्लडप्रेशर और हार्ट पेशेंट्स की संख्या करीब फ्0 परसेंट बढ़ी है। डॉक्टर्स के अनुसार कोहरे के मौसम में हार्ट, लंग्स, स्किन, निमोनिया, डायरिया समेत ब्लडप्रेशर के पेशेंट्स को एहतियात बरतने की जरूरत है।

बुजुर्गो और बच्चों पर असर

ठंड का सबसे अधिक प्रभाव बच्चों और उम्रदराज लोगों पर ही पड़ता है। दूसरी ओर सर्दी के मौसम में कोहरा कहीं ज्यादा इन पर असर डालता है। क्योंकि बच्चों, बुजुर्गो और उम्रदराजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से सर्दी की चपेट में जल्दी आ जाते हैं। न‌र्व्स सिस्टम कमजोर होने से ब्लड सर्कुलेशन पर भी बुरी तरह से असर पड़ता है। जिससे आक्सीजन की कमी होने से हार्ट की कार्य विधि बुरी तरह इफेक्टेड हो जाती है। कोहरे में मौजूद धूल के कण आंख में चले जाते हैं, जिससे आंख में जलन, सूजन और खुजली होने की संभावना रहती है।

क्या होता है कोहरा

टेंप्रेचर कम होने से धूल के कण आसमान में ऊपर नहीं उठ पाते हैं। ऐसे में हवा में मौजूद नमी यानि ओस की बूंदें धूल के कणों पर जम जाती हैं। साथ ही गाडि़यों के घातक धुएं की पर्त भी बिछ जाती है। ऐसे में धूल, मिट्टी और विषाक्त रसायनों के मिश्रण को 'कोहरा अथवा धुंध' कहते हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक टेंप्रेचर कम होने से होने वाली सर्दी की तुलना में कोहरा पेशेंट्स के अलावा नॉर्मल लोगों के बॉडी फंक्शन को फ्0 परसेंट के करीब इफेक्ट डालता है। इसलिए पेशेंट्स समेत नॉर्मल लोगों को सुबह और शाम को पूरी तरह से कवर होकर ही घरों से निकलने का प्रयास करना चाहिए।

हार्ट अटैक और हाई ब्लडप्रेशर की संभावना

कोहरा कम टेंप्रेचर की संभावना को दर्शाता है। ऐसे में दिल और ब्लडप्रेशर के पेशेंट्स को एहतियात बरतनी चाहिए। क्योंकि बॉडी को एनर्जी रक्त संचार से मिलती है। ठंड के प्रवाह से रक्त संचार के लिए हार्ट पर अधिक प्रेशर पड़ता है। इस वजह से हार्ट पेशेंट्स में हार्ट अटैक की संभावना ज्यादा रहती है। दूसरी ओर टेंप्रेचर कम होने से नसों में सिकुड़न होती है। जिससे खून के प्रवाह में प्रेशर होने से ब्लड प्रेशर के पेशेंट्स में ब्लडप्रेशर की संभावना बढ़ती है। साथ ही रेस्पिरेटरी सिस्टम भी बुरी तरह से प्रभावित होती है। बॉडी को वार्म रखने के लिए आक्सीजन की मात्रा बॉडी को अधिक चाहिए। श्वसन प्रक्रिया बढ़ने से धूल के कण, स्मॉग सभी फेफड़ों में जम जाते हैं। ऐसे में अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, नजला जुकाम, दमा, चेस्टपेन, होने की प्रबल संभावना है।

बरतें सावधानी

फिजिशियन के मुताबिक कोहरे के प्रभाव को दवाओं से दूर करने के बजाय प्रिकॉशन कहीं ज्यादा कारगर इलाज है। क्योंकि ठंड का असर कुछ ही देर में लोगों को अपनी चपेट में लेता है।

- नाक और मुंह को अच्छे से कवर करें

- बॉडी को अच्छे से कवर्ड करें।

- संभव हो सके तो इंपार्टेंट वर्क दिन में ही निबटा लें।

- टू व्हीलर राइडर हेलमेट और मफलर का प्रयोग करें।

- फोर व्हीलर में वॉर्मर को नॉर्मल टेंप्रेचर पर रखें।

- बच्चों को सोते समय पूरे कपड़े पहनाएं।

- उम्रदराज लोग सुबह और शाम को घर से बाहर कम निकलें।

- किसी भी तरह की प्रॉब्लम होने पर डॉक्टर्स की सलाह लें।

- आइसक्रीम और ठंडे पेय पदार्थो से परहेज करें।

- रूम हीटर का अधिक प्रयोग ना करें।

- सिगरेट के सेवन से परहेज करें।

उम्रदराज, वृद्धावस्था और शिशु के लिए कोहरा काफी खतरनाक है। कोहरे के चपेट में आने में इन्हें देर नहीं लगती है। ऐसे में प्रिकॉशन ही कोहरे से बचने का बेहतर उपाय है।

डॉ। सुदीप सरन, फिजिशियन

कोहरा होने से क्लिनिक में पेशेंट्स की संख्या में करीब फ्0 परसेंट का इजाफा हुआ है। फॉग में हार्ट, रेस्पिरेटरी और ब्लडप्रेशर के पेशेंट्स को सावधानी बरतने की जरुरत है।

डॉ। राजीव गोयल, फिजिशियन

Posted By: Inextlive