शहर के जिला पंचायत रोड पर देशी-विदेशी प्रजातियों के पक्षियों की सरेआम खरीद-फरोख्त की जा रही है. आलम यह है कि छोटे से पिंजरे में सैैंकड़ों पक्षियों को ठूस-ठूस कर भरा गया है.

हिमांशू अग्निहोत्री (बरेली)। शहर के जिला पंचायत रोड पर देशी-विदेशी प्रजातियों के पक्षियों की सरेआम खरीद-फरोख्त की जा रही है। आलम यह है कि छोटे से पिंजरे में सैैंकड़ों पक्षियों को ठूस-ठूस कर भरा गया है। प्रतिबंधित होने के बाद भी बाजार में डिमांड करने पर तोता व अन्य प्रजाति के पक्षी आसानी से मिल रहे हैैं। ïप्रतिबंधित पक्षियों का व्यापार करने वालों पर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी वन विभाग की है, लेकिन जिम्मेदार मूकदर्शक बने हुए हैैं। इसको लेकर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने कस्टमर बन कर बाजार में पक्षियोंं की खरीद-फरोख्त की सच्चाई को जानने का प्रयास किया। प्रस्तुत है यह स्पेशल रिपोर्ट।

हरा तोता ऑन डिमांड
व्यापारिक उद्देश्य व पालने के लिए प्रतिबंधित हरे तोते की डिमांड अधिक रहती है। शहर में भी हजारों की संख्या में लोगों ने घरों में इन्हें पालतू बना कर पिंजरे में कैद कर रखा है। नियमानुसार इन्हें पालतू बना कर रखना भी अपराध की श्रेणी में आता है। बाजार में भी मुखौटा के रूप में विदेशी तोते आगे रखे जाते हैैं। वहीं डिमांड करने पर हरे तोते अधिक कीमत में बेचे जाते हैैं। पक्षी विक्रेता बताते हैैं कि गर्मी के मौसम में इनकी डिमांड हाई रहती है।

अवैध है व्यापार
वन विभाग के प्रभागीय वनाधिकारी समीर कुमार का कहना है कि वन्य जीवों की खरीद-फरोख्त अपराध की श्रेणी में आती है। उन्होंने बताया कि रंगीन पैरट देश में नहीं होते हैैं। गले में हल्की सी रोज रिंग वाले इंडिया में होते हैैं। विदेशी तोते को लेकर कोई विशेष नियम-कानून नहीं बना था। वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट में नया अमेंडमेंट किया गया है, जोएक अप्रैल से लागू हुआ है। इस में कुछ स्पेसीज को शामिल किया गया है। हालांकि यह एनिमल क्रूएलिटी एक्ट में आ ही जाते हैैं। टीम भेज कर दिखवाया जाएगा। वहीं वन्य जीवों का व्यापार ïअवैध है। ऐसा करने पर सजा भी हो सकती है।

कई बार हुई शिकायत
सांसद मेनका गांधी के एनजीओ पीपुल फॉर एनिमल संस्था के रेस्क्यू प्रभारी धीरज पाठक का कहना है कि बाजार में प्रतिबंधित पक्षियों की भी खरीद-फरोख्त की जाती है। इन को ले कर कई बार शिकायतें की गई हैं, लेकिन प्रभावी कार्रवाई नहीं हो सकी। वन विभाग के छापे के दौरान अक्सर बेचने वाले पक्षियों को छिपा लेते हैैं या फिर बाजार से खुद हट जाते हैैं। उन्होंने बताया कि उनकी टीम ने भी बाजार में कई बार जा कर देखा है कि प्रतिबंधित पक्षियों को धड़ल्ले से बेचा जा रहा है।

क्या कहता है नियम
वन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार वन्य जीवों का शिकार, फंदे में फंसाना, दौड़ाना, जहर देना अवैध है। वन्य जीवों जैसे बंदर, भालू, लंगूर, सांप, तीतर, तोता आदि का मनोरंजन के लिए प्रयोग में लाना गैर कानूनी है। वन्य जीवों को बिना अनुमति पिंजरे अथवा किसी परिसर में कैद रखना अपराध है। वन्य जीवों का व्यापार भी अवैध है।

बातचीत के अंश
रिपोर्टर : कौन-कौन से पक्षी बेचते हो भाई?
पक्षी विक्रेता : हमारे पास चिडिय़ा मिलेगा, आगे वाली दुकान पर खरगोश, चूहे बााकी मिल जाएंगे।

रिपोर्टर : अपने यहां क्या-क्या है?
पक्षी विक्रेता : फिंच और तोते हैैं।

रिपोर्टर : फिंच क्या है?
पक्षी विक्रेता : जेबरा फिंच चिडिय़ा है।

रिपोर्टर : तोते हैैं, किस रेट में दिए?
पक्षी विक्रेता : सब ही एक ही वैरायटी के हैैं, कौन से लेने हैैं।

रिपोर्टर : बड़े व बच्चे के अलग-अलग रेट हैैं?
पक्षी विक्रेता : हां, बच्चे के जोड़े 400, बड़े के 450 रुपए

रिपोर्टर : ये (रंगीन) अपने यहां तो मिलते नहीं हैैं।
पक्षी विक्रेता : ये कलकत्ता से आते हैैं।

रिपोर्टर : अपने यहां वाले कहां है?
पक्षी विक्रेता : अभी आ नहीं रहे हैैं, बाद में हो सकतेे हैैं।

रिपोर्टर : डेली कितने बिकते हैैं?
पक्षी विक्रेता : डिमांड के ऊपर हैैं, गर्मी में अधिक बिकते हैैं।

रिपोर्टर : क्या टाइमिंग रहती है दुकान की?
पक्षी विक्रेता : सुबह 10 से शाम सात बजे तक

बोले अधिकारी
विदेशी पक्षियों की खरीद-फरोख्त के लिए कोई विशेष कानून नहीं है। अगर बाजार में कानून के अनुसार सूची में शामिल पक्षी बेचे जा रहे हैं तो उसे टीम भेज कर दिखवाया जाएगा।
-कमल पटेल, एसडीओ, वन विभाग

Posted By: Inextlive