कार्तिक पूर्णिमा पर बरेली रामगंगा में स्नान को उमड़ा आस्था का सैलाब
रेली (ब्यूरो)। चौबारी मेला यानी कार्तिक पूर्णिमा पर रामगंगा पर लगने वाला मेला यहां के लिए मिनी कुंभ से कम मायने नहीं रखता। आस्था का यहां ऐसा सैलाब उमड़ता है कि इसके आगे सारी दुश्वारियां मानो कहीं दूर भागती नजर आती हैं। मंडे को इस पर्व के मौके पर रास्ते की सारी परेशानियों जैसे कि वाहनों की भीड़, लोगों को हुजूम, रेलवे फाटक बंद होना, घंटों तक जाम में फसे रहना आदि को नजरंदाज करते हुए लाखों की भीड़ रामगंगा की ओर ही बढ़े चले जा रहे थे। मेले में पहुंचने के लिए लोगों ने मुख्य रास्ता छोड़ खेतों की पगडंडियों से जाने से भी गुरेज नहीं किया। गंगा स्नान करने के बाद सभी ने मेले की चीजों का खूब लुत्फ भी उठाया। यहां टिक्की, चाउमिन, मोमो, गोलगप्पों के साथ गरमा-गरम जलेबी को तो सभी ने चाव से खाया। इसके साथ ही लोगों ने यहां से अपनी जरूरत की चीजों की भी खूब खरीदारी की। इस बार चौबारी मेला कोविड के बाद के मेलों में से सबसे ज्यादा भीड़ उमड़ी।
तीन किलोमीटर दायरे में मेला
करीब तीन किलोमीटर के रेडियस में हर साल गंगा स्नान पर लगने वाला चौबारी मेला समय से साथ आधुनिक होता जा रहा है। मेले में मिट्टी के खिलौनों से लेकर 360 डिग्री वीडियो सेल्फी स्टेंड तक मौजूद है। गांव के जो लोग कभी स्मार्ट फोन चलाने से भी कतराते थे वे भी वहां पर इस स्टैंड से वीडियो बनाने का लुफ्त ले रहे थे। एक तरफ भीड़ से निकलने की जल्दी तो दूसरी ओर 10 में चार छल्ले, 250 रुपये में कोई भी बैग, और सबसे कम रूपये में हाथ पर किसी का भी नाम लिखवाने की आवाज लोगों को अपनी ओर खींच रही थी। मेले में घंटों का सफर कब बीत गया पता ही नहीं चला। छोटच्े बच्चे एक तरफ जहां भोंपू, डमरू और रिमोट की गाडिय़ां खरीदने में मस्त थे तो बुजुर्ग से लेकर युवा तक बंदूक से गुब्बारों पर निशाना लगाने और दुकानदारों से सामान के दाम करने की कोशिश में जुटे थे। यह ²श्य वर्षों पुराने मेले की यादों को संजोय हुए था। मेला घूमने के बाद थके लोगों ने पेड़ों के नीचे चादर, गद्दा डालकर आराम करना शुरू कर दिया। चारो ओर शोर-शराबा होने के बाद भी लोगों को वो पल बडे ही सुकून के पल महसूस हो रहे थे। मानो सभी ङ्क्षचताएं छोडक़र आए हो। इस मेले में वह सब कुछ था जो सामान्य बाजारों में लोगों को ढूंढना भी मुश्किल होता है। यहां पर लोगों को सिल बट्टा से लेकर, मथनी, खुरपी, लाठी डंडे, बांका सब कुछ मिल रहा था।
एक ओर जहां मेले का आनंद था तो वहीं दूसरी ओर कुछ परेशानियां भी थी। मेले में पूरे दिन लोगों को मोबाइल नेटवर्क ने परेशान किया। कभी इंटरनेट नहीं चलता को कभी फोन नहीं लगता। तमाम लोगों का फोन आन होने के बाद भी आफ बता रहा था। विशेषज्ञ बताते हैं कि लाखों की भीड़ एक ही जगह पर होने की वजह से नेटवर्क की समस्या थी।
100 से अधिक बच्चे मेले में खोए, एक को छोड़ सभी को मिलाया
लाखों की भीड़ में मेले का आनंद लेतेच्हुए 104 बच्चे अपने माता-पिता से बिछड़ गए। मेले की सुरक्षा में लगी पुलिस फोर्स और स्काउट गाइड की टीमोंच्को मिले बच्चों को पुलिस ने अनाउंस कर उन्हें माता-पिता से मिलवा दिया। पुलिस ने दो जगहों पर खोया पाया कैंप लगाए थे। जिसमें एक कैंप मेले के अंदर और दूसरा घाट पर लगाया थाच् सभी 104 बच्चों में से 103 को मिला दिया गयच् अभी एक बच्चा अपने माता पिता से बिछड़ा है।