मार्च में आफत की 'बारिश' से कैसे बचेंगे जनाब
-बच्चों के एडमिशन और स्टेशनरी के खर्च ने खाली कर दी जेब
-फेस्टिव सीजन और मौसमी बीमारियों ने कंगाली में लगाया तड़का -फाइनेंशियल इयर की क्लोजिंग और टैक्स की मार से परेशान हैं सभीBAREILLY: मार्च सिर्फ एक महीना नहीं बल्कि टेंशन का 'टास्क मंथ' बन गया है। जब टेंशन हो और सॉल्यूशन का पता न हो तो 'हाय' निकलना लाजमी है। मार्च में ही फाइनेंशियल ईयर का टॉस्क एचीव करना है, तो कुछ को टैक्स सेविंग करनी है। प्राइवेट सेक्टर में प्रोजेक्ट पूरे नहीं हुए तो इंक्रीमेंट पर असर पड़ने का टेंशन और प्रमोशन चाहिए तो टारगेट एचीव करने का टेंशन। एक्जाम के बाद एडमिशन का टेंशन। इनकम टैक्स भुगतान समेत बच्चों की कॉपी किताब और अन्य स्टेशनरीज परचेज करने का टेंशन। घर खर्च को मेनटेन की टेंशन लोगों को सताने लगती है। यानि टेंशन की टेंशन को सॉल्व करने की टेंशन के इस मार्च ने लोगों की हालत खराब कर रखी है।
एडमिशन का टेंशनरामपुर गार्डेन निवासी आलोक इस समय परेशानी के दौर से गुजर रहे हैं। उन्हें अपने बच्चे का एडमिशन कराना है। मार्च में ही एडमिशन प्रॉसेज पूरा किया जाना तय है। ऐसे में उन्होंने करीब पांच स्कूलों में फार्म सबमिट कर दिया है। जल्द ही तीन जगह फार्मेलिटीज पूरी की जानी है। ऐसे में बजट बिगड़ने समेत इस बात की भी चिंता सता रही है कि, अगर एडमिशन न हुआ तो फिर क्या होगा। वहीं पड़ोस की रहने वाली अर्चना के बच्चों का एडमिशन हो चुका है। उन्हें घर के सभी खर्च मेनटेन करते हुए बच्चों की एडवांस फीस भरने समेत स्टेशनरी, ड्रेस का भी खर्चा वहन करना पड़ेगा। कुल मिलाकर पेरेंट्स के लिए यह मार्च बजट बैलेंस करने में ही गुजरेगा। वहीं, यूपी और सीबीएसई व अन्य बोर्ड परीक्षाएं भी चल रही हैं। जो कि रातों की नींद भी खराब कर रही हैं।
सर्विस टैक्स का टेंशन नौकरीपेशा वालों के अनुसार सर्विस टैक्स बढ़ने से खर्च बढ़ जाएगा। ऐसे में इंवेस्टमेंट के आधार पर इनकम टैक्स के रूप में पैसा रिफंड होगा। जरूरी इंवेस्टमेंट नहीं किए गए तो पैसा वापस नहीं होगा। वैसे टीडीएस के रूप में पैसा चाहने वाले हर किसी को या तो एनुअल इनकम दो लाख के नीचे दिखानी होगी या फिर इससे ऊपर का एमाउंट सेव करने के लिए इंवेस्टमेंट दिखानी होगी। ऐसा न होने पर नेक्स्ट मंथ का बजट बिगड़ना तय है। वहीं, व्यापारियों पर प्रॉफिट मैनेज करते हुए वर्कर्स को होली का बोनस और सेलरी देने का टेंशन है। फाइनेंशियल क्लोजिंग की टेंशननगर निगम, बैंक, इनकम टैक्स, सेल टैक्स, परिवहन, जलकल विभाग, पीडब्ल्यूडी, बीडीए, समेत अन्य सभी सरकारी महकमों के लिए भी मार्च 'टेंशन' है। इन सभी पर पेंडिंग्स को निस्तारित करने का जबरदस्त प्रेशर रहता है। मार्च के चलते तमाम प्रेशर झेल रही पब्लिक से बकाया टैक्स या बिल वसूलना छोटा चैलेंज नहीं है। विभागों की तरफ से ब्याज में छूट ऑफर दिया जा चुका है। लेकिन इसका रिस्पांस बेहतर नहीं है। इससे ऑफिसर्स की टेंशन और बढ़ी हुई है। टारगेट एचीव न होने की स्थिति में कार्रवाई भी हो सकती है। इससे ऑफिसर्स के साथ कर्मचारियों का भी बीपी बढ़ा हुआ है।
त्योहारों की टेंशनकुछ ही दिनों बाद होली आने वाला है। यह त्योहार भी दीपावली के बाद दूसरा खर्चीला पर्व है। इसमें घर के सभी सदस्यों के लिए नए कपड़े खरीदने हैं। तो वहीं, होली के लिए स्पेशन डिशेज की भी प्रिपरेशन जल्द से जल्द करनी है। घरों में पापड़, चिप्स व अन्य नमकीन के आइटम्स समेत गुजिया व अन्य पकवानों की भी तैयारियां जोर शोर से शुरू हो गई हैं। शादी विवाह का सीजन भी चल रहा है। ऐसे में कपड़े से लेकर जेवर तक खरीददारी करनी है। ऐसे में लोगों पर त्योहार की अलग ही मार पड़ रही है।
जनवरी में कर ली मार्च की प्लानिंग मार्च में उफ कहने की फुर्सत मिल जाए इसके लिए कुछ लोग इस टेंशन से बचने के लिए जनवरी में ही प्लानिंग कर लेते हैं। जागरूक लोगों को ऐसा लगता है कि मार्च में हाय तौबा की नौबत न आए इसके लिए पहले से ही प्लानिंग करना बेहतर रहता है। इसके लिए लोगों की ओर से जनवरी में ही पीएफ, एलआईसी प्लान ले रखे हैं। वहीं, कुछ लोग मेडिक्लेम और एलआईसी पर कंसंट्रेट करते हैं। वहीं, फैमिलियर्स बार्गेनिंग के जरिए चीजों को मेनटेन करते हैं। और हां, मार्च में उधारी खाते का रजिस्टर भी तेजी से भर जाता है। नेक्स्ट मंथ उसे चुकाने का भी टेंशन इसी मंथ में होता है। मंथली बजट पर बड़ा इफेक्टबजट बैलेंसिंग के इस मौसम में दोहरे टैक्सेशन की मार पड़ती है। ऐसे में मंथली बजट पूरी तरह से डांवाडोल हो जाता है, क्योंकि सरकारी महकमों की ओर से मार्च में ही फरवरी और मार्च दोनों ही मंथ्स का प्रोविजनल टैक्स जमा करना पड़ता है। इसलिए व्यापारियों और सर्विसपर्सन पर प्रेशर बन जाता है। एग्जाम खत्म होने के बाद बच्चों के एडमिशन समेत डीबीटीएल की टेंशन हावी हो जाती है। एग्जाम होने से होटल, रेस्टोरेंट की आमदनी न के बराबर रहती है। वहीं मार्च में टूरिस्टिंग का प्लान भी धाराशायी हो जाता है। यानि टेंशन कुछ यूं हावी रहती है कि 'ना दिन को सूकून है न रात को सूकून है'।
एग्जाम भी चल रहे हैं। बच्चों के एडमिशन होने हैं। त्योहार भी सिर पर आ गया है। बजट कम है और खर्चा ज्यादा। ऐसे में मार्च का मंथ डिस्टर्बिग ही रहेगा। अंकिता सक्सेना, पेरेंट मार्च की शुरुआत से ही हम पर दोहरी टैक्सेशन की मार पड़ने लगी है। इनकम टैक्स की ओर से टैक्स जमा करने के लिए प्रेशन बनाना शुरू हो गया है। राजीव गुप्ता, व्यवसायी मार्च में हमें फरवरी के टैक्स के साथ ही मार्च का प्रोविजनल टैक्स भी जमा करने का प्रेशर रहता है। टूरिस्टिंग का प्लान था, कैंसिल करना पड़ा है। अंशू अरोरा, होटल मैनेजर कितना भी बैलेंस करने की कोशिश की जाए मार्च खत्म होने तक उधारी शुरू हो जाएगी, क्योंकि सारे विभागों से टैक्स जमा करने की नोटिस आ रही है। आरके सिंह, सर्विस पर्सन