पॉजिटिविटी के साथ लडें़ आत्महत्या के विचार से
फैक्ट एंड फिगर
1927 लोग हर रोज डब्ल्यूूएचओ के अनुसार कर लेता है सुसाइड
80 लोग हर घंटे पर दे देते हैं जान
7.03 लाख लोगों द्वारा प्रतिवर्ष सुसाइड करने का है आंकड़ा
200 लोगों का मार्च 2021 से अप्रैल 2022 तक किया गया उपचार
बरेली(ब्यूरो)। आत्महत्या एक ऐसा शब्द, जिसे सुनते ही मन में नकारात्मकता का भाव प्रकट हो जाते हैै। कई बार आर्थिक, पारिवारिक या अन्य कारणों से व्यक्ति के मन में आत्महत्या करने का विचार आता है। लेकिन, ऐसी स्थिति में परिवार वालों या सगे संबंधी को रोगी के साथ किस तरह से डील करना है व उसे इस स्थिति से कैसे उबारना है। यह जानना बहुत जरूरी होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार हर वर्ष करीब सात लाख तीन हजार लोग आत्महत्या करके इस दुनिया को अलविदा कह देते हैं। यानी हर रोज करीब 1927 और हर घंटे करीब 80 लोग आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठाते हैं। इसको लेकर जिला अस्पताल के मानसिक रोग चिकित्सक डॉ। आशीष कुमार ने बताया कि मार्च 2021 से अप्रैल 2022 तक 200 ऐसे मरीजों का इलाज किया जा चुका है, जिन्होंने आत्महत्या का प्रयास किया था।
महिलाओं की संख्या अधिक
डॉ। आशीष बताया कि ठीक किए जा चुके पेशेंट्स में 55 प्रतिशत महिलाएं और 45 प्रतिशत पुरुष हैं। सभी को काउंसलिंग और कुछ दवाई देकर ठीक किया जा चुका है। वहीं इसको लेकर मनोवैज्ञानिक खुशअदा ने बताया कि आत्महत्या करने जैसे विचार आना इंपल्स कंट्रोल डिसऑर्डर, डिप्रेशन और साइकोसिस डिसऑर्डर हो सकता है। जिला अस्पताल में आने वाले ज्यादातर मरीज इन तीनों बीमारियों में एक से पीडि़त होते हैं। जिंदगी में छोटी-मोटी परेशानियां आती रहती है, उसे सुलझाने का प्रयास करना चाहिए न कि उसमें खुद उलझ जाना चाहिए।
एक्सपट्र्स के अनुसार ऑफिस में काम का प्रेशर और बॉस से अनबन बढऩे पर भी लोग गलत कदम उठा लेते हैं। वही कुछ ऐसे केसेस भी आते हैं जिसमें युवती को मां छोटी उम्र में बॉयफ्रेंड होने के लिए डांटती है तो भी लड़कियां गलत कदम उठाने से गुरेज नहीं करती हैं। ऐसे केसेस में मरीज को इलाज के साथ-साथ काउंसलिंग की बहुत आवश्यकता होती है। ऐसे मामलों में रोगी अपनी समस्या किसी न किसी से शेयर करता है कि उसके मन में आत्महत्या के विचार आ रहे हैं। ऐसे में उसके किसी करीबी को उसे समझाकर मनोचिकित्सक से मिलवाना चाहिए।
ये हैैं लक्षण
इंपल्स कंट्रोल डिसऑर्डर में अचानक रोना, गुस्सा आना, मूड स्विंग्स जैसे लक्षण होते हैं।
इस डिसऑर्डर में आवेग के साथ दिमाग में गलत विचार आने लगते हैैं।
डिप्रेशन में अक्सर लोग उदास रहते और अपने बारे में नेगेटिव बातें सोचते हैं।
साइकोसिस डिसऑर्डर में व्यक्ति अपनी दुनिया में मस्त रहता है और अपने विचारों के अनुसार ही कार्य करता है।
आत्महत्या को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है कि इस प्रकार के लक्षणों को पहचान कर मनोचिकित्सक को दिखाना चाहिए। रोगी को नशा न करने दें। रोगी के आस-पास का वातावरण तनावमुक्त रखने का प्रयास करें। रोगी के साथ स्नेह पूर्वक व्यवहार करें। अगर मन में विचार आए कि आप किसी के लिए मायने नहीं रखते हैं और आप से कोई प्यार नहीं करता तो इन विचारों को दूर करजिंदगी को नए ढंग से देखना चाहिए। खुद से प्यार करना सीखना चाहिए। इसके अलावा हेल्पलाइन नंबर 7248215822 पर भी सलाह ले सकते हैं।