फर्जी रजिस्ट्रेशन का खेल, करोड़ों का हेरफेर
-शिक्षा माफियाओं की सजी है नकल की मंडी
-फर्जी रजिस्ट्रेशन का कारोबार साढ़े सात करोड़ रुपए से भी पार क्चन्क्त्रश्वढ्ढरुरुङ्घ: शिक्षा विभाग भले ही यूपी बोर्ड एग्जाम्स में शिक्षा माफियाओं के दखल से इंकार कर रहा हो, लेकिन एग्जाम्स के पहले ही दिन से फर्जी रजिस्ट्रेशन के खेल ने सारी व्यवस्थाओं की कलई खोल कर रख दी। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन प्रोसेस शुरू होने के बाद से शिक्षा विभाग यह सोचकर चिर निंद्रा में सो गया कि अब एग्जाम्स में फर्जीवाड़ा करना नामुमकिन है, लेकिन शिक्षा माफियाओं ने इसमें भी सेंध लगाकर नकल की ऐसी मंडी सजाई कि फर्जी रजिस्ट्रेशन का यह काला कारोबार करोड़ों रुपयों का टर्नओवर कर रहा है। इसके इतर शिक्षा विभाग अब कार्रवाई करने के बजाय सभी मामलों को दबाने में जुट गया है। भ् से क्0 हजार रुपए में हुआ रजिस्ट्रेशनशिक्षा माफियाओं ने फर्जी रजिस्ट्रेशन के इस कारोबार में स्टूडेंट्स की जमकर निलामी की। हर स्टूडेंट को टटोला। जरूरत और औकात के अनुसार उसकी बोली लगाई। रजिस्ट्रेशन के लिए स्टूडेंट्स से भ् से क्0,000 रुपए तक वसूले। फरीदपुर स्थित गायत्री पब्लिक स्कूल के कई स्टूडेंट्स को जब एडमिट कार्ड नहीं मिला तो उन्होंने इस खेल का सारा काला चिट्ठा खोल दिया, लेकिन शिक्षा विभाग उनके साथ खड़ा नजर नहीं आया। स्टूडेंट्स का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ तो उनसे साफ पल्ला झाड़ लिया।
क्भ् हजार से ज्यादा फर्जी स्टूडेंट्स शिक्षा माफियाओं ने फर्जी रजिस्ट्रेशन के लिए कोचिंग और अमान्य स्कूल्स को टार्गेट किया। यहां तक कि बंद स्कूलों के स्टूडेंट्स का भी रजिस्ट्रेशन कराया। इन स्टूडेंट्स के दूसरे मान्यता प्राप्त स्कूलों से रजिस्ट्रेशन कराया। एक स्टूडेंट का एक से ज्यादा स्कूल्स से रजिस्ट्रेशन फॉर्म भराया। जानकारों की मानें तो करीब क्भ्,000 से ज्यादा ऐसे स्टूडेंट्स हैं जो अपने स्कूल का नाम तक नहीं जानते। साढ़े सात करोड़ रुपए पार कर गया कारोबार यूं तो शिक्षा माफियाओं ने रजिस्ट्रेशन के नाम पर स्टूडेंट्स से भ्,000 रुपए से ज्यादा वसूले। जबकि क्भ्,000 से भी ज्यादा फर्जी रजिस्ट्रेशन वाले स्टूडेंट्स बताए जा रहे हैं। यदि एवरेज भ्,000 रुपए भी मान लिया जाए तो शिक्षा माफियाओं ने इस काले कारोबार में साढ़े सात करोड़ रुपए से भी ज्यादा के वारे-न्यारे कर लिए हैं। शिक्षा विभाग की बेरुखी से इनका काला कारोबार साल दर साल तरक्की कर रहा है। साक्ष्यों पर बंद शिक्षा विभाग की आंखेंएग्जाम्स में अव्यवस्थाओं का आलम यह है कि साक्ष्य सरेआम चीख-चीख कर गवाही दे रहे हैं, लेकिन शिक्षा विभाग इन साक्ष्यों पर आंखें मूंद कर बैठा है। पहले ही दिन हाईस्कूल और इंटर का अनिवार्य एग्जाम था। इस दिन करीब क्क्,000 स्टूडेंट्स अब्सेंट रहे। यह चौकाने वाला तथ्य था। यही नहीं साहू गोपीनाथ में एक छात्रा का रजिस्ट्रेशन फर्जी निकला। जिस स्कूल की यह छात्रा थी उस स्कूल का सेंटर कई स्कूलों में भेजा गया। गुरुनानक इंटर कॉलेज में जीएसएम इंटर कॉलेज के ब्भ्8 स्टूडेंट्स अलॉट थे। करीब 90 परसेंट अब्सेंट चल रहे हैं। आंवला स्थित सर्वोदय इंटर कॉलेज के करीब म्भ्0 स्टूडेंट्स का तीन जगह सेंटर भेजा गया है। यहां के केंद्र व्यवस्थापकों का कहना है कि इन स्टूडेंट्स के पास रजिस्ट्रेशन नम्बर नहीं है। फरीदपुर स्थित गायत्री पब्लिक स्कूल के स्टूडेंट्स का पान कुमारी बाबू रामचरन इंटर कॉलेज समेत दूसरे स्कूल्स से रजिस्ट्रेशन फॉर्म भराया गया। कई स्टूडेंट्स का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ तो उनहें दूसरे के नाम पर बिठाया गया। जबकि गायत्री पब्लिक स्कूल की मान्यता ही नहीं है। पहले ही दिन एक सेंटर पर देवचरा स्थित राम भरोसेलाल इंटर कॉलेज के फ्म्क् स्टूडेंट्स में से क्8म् अब्सेंट मिले। वहीं एक ही सेंटर से संत बाबा रामदास के भ्70 में से क्ब्7 अब्सेंट मिले। चाचा नेहरू में सर्वोदय इंटर कॉलेज के भ्0म् में से क्फ्क् अब्सेंट मिले।
यह बानगी भर हैरजिस्ट्रेशन के खेल को उजागर करते हुए यह साक्ष्य तो महज बानगी भर हैं। जबकि बोर्ड के कई सेंटर्स पर ऐसे स्टूडेंट्स की भरमार है। सीबीगंज स्थित एक इंटर कॉलेज के करीब क्भ्0 से ज्यादा स्टूडेंट्स हैं जिनके दो-दो रजिस्ट्रेशन और रोल नम्बर जारी हुए हैं। यही नहीं बिशप मंडल, आर्य कन्या, बाबा हरदेव सिंह, एमजीएम, आत्मा राम समेत कई ऐसे कॉलेजेज हैं जहां पर कई स्कूल्स के ऐसे स्टूडेंट्स हैं जिनके पास रजिस्ट्रेशन नम्बर नहीं हैं।
जो अमान्य स्कूलों के छात्र हैं उनसे विभाग का कोई लेना-देना नहीं है। जबकि जिनके रजिस्ट्रेशन नम्बर नहीं उनकी सूची बनाकर बोर्ड को भेज देने का निर्देश दिया है। इसकी जांच कराने का काम बोर्ड का है। - आशुतोष भारद्वाज, डीआईओएस