मशीन पकड़ेगी पूर्व रजिस्ट्रार का झूठ
आरयू के फेक फार्म बेचने वाला गिरफ्तार
-के एन पांडे का हो सकता है पॉलीग्राफ टेस्ट -कई अन्य लोगों के नाम भी आए सामने BAREILLY: आरयू के फर्जी फॉर्म घोटाले में पूर्व रजिस्ट्रार भी फंसते नजर आ रहे हैं। मंडे को क्राइम ब्रांच ने केस में बड़ा खुलासा किया। पुलिस ने फॉर्म बेचने वाले बुक सेलर नरेश विश्नोई को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने कई फर्जी फॉर्म व 7 मोहरें भी बरामद की हैं। पूछताछ में हिंदू कॉलेज के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष गजेंद्र चौधरी समेत म् लोगों के नाम सामने आए हैं। जांच में पूर्व रजिस्ट्रार के एन पांडे की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। बार-बार सूचनाएं ना देने पर पुलिस को शक है कि वह झूठ बोल रहे हैं। उनका पॉलीग्राफ टेस्ट भी कराया जा सकता है। पूरे मामले में यूनिवर्सिटी व बैंक के कई लोग घेरे में हैं। भ्00 फार्म ख्ारीदे थेनरेश विश्नोई मस्जिद रोड बुद्ध बाजार कोतवाली मुरादाबाद का रहने वाला है। उसकी मुरादाबाद में हिंदू कॉलेज के कॉम्पटीशन बुक हाउस के नाम से शॉप है। मंडे क्राइम ब्रांच की एसआईएस विंग के प्रभारी रवींद्र यादव व केस के आईओ उमा शंकर त्रिपाठी ने स्टेशन रोड चौकी बरेली के पास से गिरफ्तार कर लिया। नरेश ने पुलिस को बताया कि वह हिंदू कॉलेज के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष गजेंद्र चौधरी से थोक में फॉर्म खरीदा था। इसके बाद वह शॉप से ही फॉर्म की बिक्री फुटकर में करता था। उसने गजेंद्र से करीब भ्00 फॉर्म खरीदे थे। उसे एक फार्म ब्भ्0 रुपये में मिलता था। वह प्रति फार्म पर ख्0 रुपये लेता था।
बैंक व हिंदू कॉलेज के प्रिंसिपल की मोहरें बरामद इंप्रूवमेंट फार्म के साथ-साथ मेन एग्जाम के फॉर्म भी फर्जी तरीके से बेचे जाते थे। मेन फार्म क्ख्00 रुपए का होता था। पुलिस को नरेश के पास से जो मोहरें मिली हैं वो यूनियन बैंक व हिंदू कॉलेज के प्रिंसिपल की हैं। इसके अलावा याशिका कन्या डिग्री कॉलेज मानपुर के मैनेजर चंद्र प्रकाश, डिप्टी मैनेजर कुलदीप व लाइब्रेरियन हसरत भी फंसते नजर आ रहे हैं। इन तीनों ने गजेंद्र से सीधे फॉर्म खरीदकर छात्राओं को बेंचे थे। दिसंबर ख्0क्फ् में सामने आया मामलाआरयू के इंप्रूवमेंट के फर्जी फॉर्म का मामला दिसंबर ख्0क्फ् में सामने आया था। पहले तो यूनिवर्सिटी ने इसे दबाने का प्रयास किया, लेकिन मीडिया में खबरें आने के बाद पूर्व रजिस्ट्रार के एन पांडे ने बारादरी थाना में अज्ञात के खिलाफ क्ख् दिसंबर ख्0क्फ् को एफआईआर दर्ज कर जांच की मांग की। मामले को क्राइम ब्रांच के हवाले कर दिया था।
मेन एग्जाम के फॉर्म का भी है घोटाला एसपी डॉ। एसपी सिंह का कहना है कि जांच में साफ है कि मामला सिर्फ इंप्रूवमेंट फार्म का ही नहीं बल्कि मेन एग्जाम फार्म का भी है। खेल कई सालों से चला आ रहा था। आरयू से जुड़े मुरादाबाद, बिजनौर, कांठ, बरेली व अन्य जगह के करीब क्क्भ् कॉलेज के फॉर्म फर्जी तरीके से जमा किए जाते रहे। हैंड टू हैंड बिक्री के साथ फॉर्मो की कूरियर व पोस्ट के द्वारा भी बिक्री की जाती थी। इसके लिए एजेंट लगाए जाते थे। यूनिवर्सिटी की प्रिंटिंग पे्रस से फार्मो की छपाई होती थी। जिन प्रेस से फार्मो की छपाई ज्ञान प्रेस मेरठ के साथ-साथ दिल्ली की एक प्रेस से होती थी। यूनिवर्सिटी फार्म की बिक्री यूनियन बैंक के थ्रू करती है। बैंक इसके लिए कमीशन लेता है। इंप्रूवमेंट फार्म के लिए बैंक साढ़े चार रुपये फीस और ख्भ् रुपये कमीशन लेती है। नहीं प्रोवाइड कराए डॉक्यूमेंटक्राइम ब्रांच की ओर से यूनिवर्सिटी व यूनियन बैंक से कई बार रिकॉर्ड मांगे गए लेकिन रिकॉर्ड नहीं दिए गए। बैंक से दस साल का एग्रीमेंट, जमा होने वाली फीस व कमीशन का रिकॉर्ड मांगा गया लेकिन बैंक ने बहाना बनाया कि उनके पास कोई रिकॉर्ड नहीं है। बाबू बदलते रहे इसलिए सब कुछ बदल गया। वहीं यूनिवर्सिटी ने भी कोई रिकॉर्ड नहीं दिया। जबकि यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर सेक्शन है। यहां पर फार्म जमा होते हैं और उसकी स्क्रूटनी भी होती है। वहीं फाइनेंस आफिसर ने भी कोई रिकार्ड नहीं दिया। आरयू के प्रेस सेक्शन ने भी कोई सूचना नहीं दी। इससे साफ होता है कि आरयू अगर सीधे तौर पर दोषी नहीं है तो उसकी लापरवाही जरूर है। क्राइम ब्रांच एसपी का कहना है कि आरयू के पूर्व रजिस्ट्रार की भूमिका संदिग्ध है क्योंकि उन्होंने भी पूछताछ में कुछ भी नहीं बताया है। लगता है वह झूठ बोल रहे हैं इसलिए उनका पॉलीग्राफ टेस्ट कराया जाएगा।
फर्जी फार्म केस में एक शख्स को गिरफ्तार कर लिया गया है। कई और लोगों के नाम सामने आए हैं। पूर्व रजिस्ट्रार की भूमिका संदिग्ध होने के चलते उनका पॉलीग्राफ टेस्ट कराया जा सकता है। जल्द ही इसकी अनुमति ली जाएगी। डॉक्टर एसपी सिंह, एसपी क्राइम