आपकी पॉलिसी पर है किसी और की नजर
केस वन। सिकलापुर के रहने वाले अरुण भसीन ने 11 साल पहले एलआईसी का इंडोमेंट प्लान लिया था। इनका खुद का बिजनेस है। करीब 20 दिन पहले इनके पास एक कॉल आई। उसने खुद को इरडा का कर्मचारी बताकर नई पॉलिसी लेने की बात कही। नई पॉलिसी नहीं लेने पर पॉलिसी का बोनस लैप्स होने का हवाला दिया। शक होने पर जब अरुण ने एलआईसी ऑफिस से इंक्वॉयरी की तो पता चला कि वह फेक कॉल थी।
केस टू। फूलचंद ने एलआईसी की एक पॉलिसी ले रखी थी। मार्च 2013 में पॉलिसी मेच्योर होने वाला था। इनके पास भी एक फेक कॉल आई और उसने खुद को एलआईसी का एजेंट बताया। फेक कॉल द्वारा कई तरह का झांसा फूलचंद को दिया गया। कुछ पैसा जमा करने के बाद ही पॉलिसी का मेच्योर पैसा मिलने की बात कही। वे पैसा देने को तैयार भी हो गए थे, लेकिन इसी बीच इन्होंने जिस एजेंट से पॉलिसी ले रखी थी उससे बातचीत की उसके बाद सारा माजरा समझ में आ गया।
केस थ्री। बसंत कॉलोनी के रहने वाले राकेश अग्रवाल के पास भी जनवरी में एक फेक कॉल आई थी। राकेश की खुद की ज्वैलरी शॉप है। राकेश को फोन करने वाला व्यक्ति ने खुद को इरडा का कर्मचारी बताया। उनके फोन पर एक मैसेज भी आया। उसने प्लान के बारे में जानकारी दी। राकेश ने बताया कि कॉल करने वाला व्यक्ति का कहना था कि आपने जो पॉलिसी ले रखी है उसका आपको बोनस मिलेगा। आप अपनी पॉलिसी का नंबर और बाकी डिटेल बता दीजिए।
-- अब तक पांस से अधिक पॉलिसी होल्डर्स के पास आ चुकी हैं कॉल -- एलआईसी के ऑफिसर्स भी सकते में, कॉल करने वाला खुद इरडा का कर्मचारी बताता है BAREILLY: ये तीन केस तो महज बानगी भर है। अब तक न जाने कितने पॉलिसी होल्डर्स इनके जाल में फंस चुके होंगे। फेक कॉल करने वाले शातिराना अंदाज में झांसा देकर अपनी जेब गर्म कर लेते हैं और पॉलिसी होल्डर्स को इसकी भनक तक नहीं लगती है। अगर आप भी उनके लालच और चिकनी चुपड़ी बातों में फंसे तो समझो हो गया बंटाधार। इसलिए अलर्ट रहने की जरूरत है। ऐसी किसी भी कॉल का जवाब न दें। खासकर पॉलिसी नंबर आदि तो न ही बताएं। नहीं तो लाभ के चक्कर में नुकसान उठाना पड़ेगा। बरेली मंडल में वर्ष 2013-14 में 2,21,565 लोगों ने नई पॉलिसी ली। मोडस ऑपरेंडीऐसे कई पॉलिसी होल्डर्स के पास फेक कॉल आ चुकी हैं। पॉलिसी होल्डर्स को आसानी से अपने जाल में फंसाने के लिए फेक कॉल करने वाले खुद को इंश्योरेंस रेगुलेटरी ऑफ डेवलपमेंट अथॉरिटी(इरडा) का कर्मचारी बताता है। इतना ही नहीं वे पॉलिसी होल्डर्स को तरह-तरह के प्रलोभन भी देते हैं ताकि लोगों को उन पर किसी प्रकार का शक ना हो। अजीब बात यह है कि इस तरह की कॉल एक-दो नहीं बल्कि कुछ ही दिनों में सैकड़ों लोगों के पास आ चुकी हैं। पॉलिसी होल्डर्स के पास पहुंच रही फेक कॉल से एलआईसी के ऑफिसर्स भी सकते में हैं।
भ्00 से अधिक पॉलिसी होल्डर्सआपकी पॉलिसी पर किसी और की नजर है, जो खुद को सिक्योर कर आपको इनसिक्योर करने पर तुले है। बरेली की बात करें तो अब तक भ्00 से अधिक पॉलिसी होल्डर्स के पास फेक कॉल आ चुकी हैं। ये पॉलिसी होल्डर्स का डाटा चुराकर उन्हें अपना शिकार बनाने का प्रयास करते है। कुछ लोग तो अपने पैसे भी गवां चुके हैं। फेक कॉल के जरिए पॉलिसी होल्डर्स को नई पॉलिसी लेने का प्रेशर बनाया जाता है। फिर क्या नई पॉलिसी का पैसा लेकर रफू चक्कर हो लेते हैं। दिनोंदिन फेक कॉल की संख्या बढ़ती ही जा रही है। बरेली सिटी ही नहीं बल्कि पूरे मंडल से इस तरह के कंप्लेन ऑफिसर्स के पास पहुंच रहे हैं।
पैसा डूबने की करते है बात ये लोग पॉलिसी होल्डर्स के मन में इस बात का शक पैदा करते हैं कि नई पॉलिसी नहीं लेने पर पुरानी पॉलिसी का बोनस रिलेटेड एजेंट के एकाउंट में चला जाएगा। इतना ही नहीं क्लेम का पैसा भी मिलने में भी दिक्कत आएगी। कॉल के अलावा वे पॉलिसी होल्डर्स के कांटैक्ट नंबर पर मैसेज भी करते हैं। मैसेज में इस बात का जिक्र होता है कि आपको इतना रुपए का मनी बैक बोनस मिलेगा। आप प्लीज अपनी पॉलिसी का नंबर और बाकी डिटेल लेकर कांटैक्ट करिए ताकि आपको बोनस का पैसा प्रोवाइड कराया जा सके। मेच्योर पॉलिसी वालों को टारगेट शातिरों का सबसे सॉफ्ट टारगेट लोग होते हैं, जिनकी पॉलिसी मेच्योर होने वाली होती है। पैसा डूबने के नाम पर नई पॉलिसी कराने का झांसा देते हैं और फिर पॉलिसी का पैसा लेकर चंपत हो जाते हैं। ऑफिसर्स का कहना है ये लोग असानी से फेक कॉल करने वालों के झांसे में आ जाते हैं। पॉलिसी होल्डर्स का इस बात का डर रहता है कि कहीं उनका पुरानी पॉलिसी का पैसा डूब ना जाए।इंश्योरेंस सेक्टर में मना है टेली मार्केर्टिग
लोगों को फेक कॉल से बचना बेहद जरूरी है। इरडा ने इंश्योरेंस सेक्टर में टेली मार्केर्टिग पर बहुत पहले ही रोक लगा रखी है। एलआईसी के अलावा प्राइवेट इंश्योरेंस सेक्टर में भी इसे सख्ती से फॉलो करने की बात कहीं गई है। ऑफिसर्स ने बताया कि कोई भी एजेंट पॉलिसी होल्डर्स या फिर पॉलिसी से जुड़ने वाले किसी नए व्यक्ति को फोन के माध्यम से पॉलिसी नहीं बेच सकता है। किसी पॉलिसी होल्डर्स की पॉलिसी मेच्योर हो रही है तब भी टेलीफोनिक वार्ता नहीं की जा सकती। एजेंट को डायरेक्ट पॉलिसी होल्डर्स से संपर्क कर ही पॉलिसी के बारे में जानकारी देनी और पॉलिसी करनी चाहिए। इनका रखें खास ख्याल कहीं आपकी पॉलिसी पर कोई और कुंडली मारकर ना बैठ जाए। इसलिए अलर्ट रहने की जरूरत है। अगर आपके पास भी फेक कॉल आ रही है तो आप उसका जवाब न दें। आप अपनी ब्रांच का कोड, एजेंसी कोड, आईआरडीए द्वारा जारी लाइसेंस और एजेंट है तो उसका डेवलपमेंट ऑफिसर कौन है आदि के जरिए खुद की पॉलिसी सिक्योर कर सकते हैं। इसके अलावा अपनी पॉलिसी को सिक्योर करने के लिए एलआईसी के पोर्टल पर पॉलिसी को रजिस्टर भी कर सकते हैं। हेल्प लाइन नंबर की लें मदद फेक कॉल आने पर आप हेल्प लाइन नंबर की मदद ले सकते हैं। बरेली मंडल से जुड़े लोग 0भ्8क्- ख्फ्0क्7क्ख् पर कॉल कर जानकारी ले सकते हैं। परेशानी होने पर किसी भी नजदीकी ब्रांच में जाकर कंप्लेन की जा सकती है। फेक कॉल की बात सामने आई है। जबकि इंश्योरेंट सेक्टर में टेली मार्केटिंग इंश्योरेंस बहुत पहले ही बंद हो चुकी है। पॉलिसी होल्डर्स को सावधान रहने की जरूरत है। कॉल आने पर पॉलिसी नंबर या अन्य डिटेल देने से बचना चाहिए। - अरुण पाल, मार्केटिंग मैनेजर, एलआईसी मैंने अब तक जितने भी लोगों की पॉलिसी की है। उनमें से कई पॉलिसी होल्डर्स के पास कॉल आ चुकी हैं। डिटेल लेने के लिए शातिरों द्वारा मैसेज भी किए जाते हैं। - सतीश चंद्र अग्रवाल, एजेंट, एलआईसी