गर्भावस्था में खून की कमी मां और होने वाले बच्चे दोनों के लिए घातक साबित हो सकती है. महिला स्वास्थ्य के प्रति इतनी अवेयरनेस के बाद भी उनके स्वास्थ्य स्तर में अब तकसुधार नहीं हो सका है.

बरेली(ब्यूरो)। गर्भावस्था में खून की कमी मां और होने वाले बच्चे दोनों के लिए घातक साबित हो सकती है। महिला स्वास्थ्य के प्रति इतनी अवेयरनेस के बाद भी उनके स्वास्थ्य स्तर में अब तकसुधार नहीं हो सका है। आज भी प्रसव के लिए अस्पताल में पहुंचने वाली महिलाएं सीवियर एनीमिया से पीडि़त मिल रही हैैं। ऐसी स्थिति में चिकित्सक को भी जच्चा-बच्चा को बचाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। प्रेगनेंसी की अर्ली स्टेज में ही चिकित्सकीय परामर्श लेना जच्चा-बच्चा दोनों की जान बचाई जा सकती है।

50 प्रतिशत महिलाएं एनीमिक
जिला महिला अस्पताल की गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ। शैव्या बताती हैैं कि ओपीडी में पहुंचने वाली गर्भवती महिलाओं का पहले ब्लड टेस्ट कराया जाता है। एनीमिक होने पर उन्हें दवाएं दी जाती हैं। साथ ही डिलीवरी पीरियड तक उनको फॉलो किया जाता है, जिससे उन्हें डिलीवरी समय में परेशानी का सामना न करना पड़े। ओपीडी में आने वाली 50 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं एनीमिया की शिकार होती हैैं। वहीं दो से पांच ग्राम हीमोग्लोबिन वाली महिलाओं की डिलीवरी करना काफी मुश्किल हो जाता है।

बच्चों में आती हैं समस्या
गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ। अनुजा बताती हैैं कि एनीमिक महिला की डिलीवरी करना जितना मुश्किल होता है, उतनी ही मशक्कत बच्चे को सरवाइव कराने के लिए होती है। डिलीवरी के बाद बच्चा लो वेट, प्रीमेच्योर भी हो सकता है, उसे आईसीयू में रखना पड़ता है। मां के कारण बच्चे में भी खून की कमी हो जाती है। वहीं क्रिटीकल केस में बच्चों का सरवाइव करना भी मुश्किल हो जाता है।

दवा न देने की करते हैैं जिद
चिकित्सक बताते हैैं कि कई एनीमिक पेशेंट के तीमारदार जिद करते हैैं कि उनके मरीज को दवा न दें, हम उन्हें हेल्दी डायट देकर ही ठीक कर लेेंगे। इस कंडीशन में मरीज को तो हेल्दी डायट नहीं मिल पाती है, जिससे उसे डिलीवरी समय में समस्या होने की संभावना बन जाती है।

अर्ली डायग्नोस हैै जरूरी
चिकित्सक बताते हैैं कि अगर अचानक सीवियर एनीमिया से ग्रस्त पेशेंट डिलीवरी टाइम पर आता है तो उसे बचाना मुश्किल हो जाता है। इसलिए प्रेगनेंसी की अर्ली स्टेज में ही मरीज को चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए। जिससे जांच के बाद स्वास्थ्य के कंडीशन पता चल सके।

12 से 15 डिलीवरी रोज
जिला महिला अस्पताल के चिकित्सकों के अनुसार रोजाना एवरेज 12 से 15 डिलीवरी की जाती हैैं। इसमें नॉर्मल व सीजेरियन डिलीवरी दोनों शामिल हैैं। अस्पताल में प्रसव के लिए पहुंचने वाली हर तीसरी महिला एनीमिया से पीडि़त होती है। चिकित्सक बताते हैैं कि एनीमिया के प्रति लापरवाही किसी वर्ग तक सीमित नहीं है। इसमें शहर के हाई क्लास कहे जाने वाले घरों की महिलाओं भी शामिल हैैं।

सीवियर ब्लीडिंग जानलेवा
एनीमिक पेशेंट में डिलीवरी के दौरान सीवियर ब्लीडिंग होने से मरीज की जान भी जा सकती है। हालांकि अब पहले की अपेक्षा कंडीशन सुधरी है, ब्लड आसानी से उपलब्ध हो जाता है। वहीं रेयर ब्लड ग्रुप वाले में थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

ऐसी होनी चाहिए डायट
डायटीशियन रोजी जैदी बताती हैैं कि प्रेगनेंसी के दौरान नियमित रूप से डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन जरूर करें, इससे शरीर को कैल्शियम, सीमित मात्रा में वसा और अन्य जरूरी पौषक तत्व मिलते हैं। जिससे शिशु के विकास में भी मदद मिलती है। ड्राई फ्रूट्स का सेवन करें

मौसमी फल और हरी पत्तेदार सब्जियों में आयरन, विटामिन्स, फाइबर, मैग्नीशियम, जिंक जैसे पौषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। जिससे सेवन प्रेग्नेंसी में होने वाली थकान, खून की कमी आदि बीमारियों से बचा जा सकता है।

ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं, बॉडी डिहाईड्रिशेन से बचती है, वहीं डिलीवरी के समय भी आसानी होने वाली परेशानी से बचा जा सकता है।

साबुत अनाज यानि स्प्राउट्स का सेवन करना बेहद फायदेमंद होता है। क्योंकि उसमें जिंक, आयरन, मैग्नीशियम, फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है। जिससे शरीर में खून की कमी नहीं होती है, तो वहीं बार-बार होने वाली थकान भी कम होती है।

इन से बनाएं दूरी
-जंक फूड
-स्मोकिंग करने से बचें
-ज्यादा ऑयली फूड
-कैफीन पदार्थों का ज्यादा सेवन न करें

चिकित्सकों की बात
प्रसव के दौरान प्रेगनेंट महिलाओं के अधिकांश केसेस में एनीमिया की समस्या आती है। अब महिलाओं के लिए पहले ही इंजेक्शन दे दिए जाते हैैं, जिससे डिलीवरी के समय कुछ समस्या कम होती है।
-डॉ। अनुजा सिंह, गाइनेकोलॉजिस्ट

सीवियर एनीमिया के मरीज आते हैैं, जिन्हें अर्ली स्टेज में डायग्नोस कर लिया जाता है। दवाएं दी जाती हैैं, साथ ही पोषण आहार लेने के लिए भी कहा जाता है। ओपीडी में भी एनीमिक प्रेगनेंट महिलाओं की संख्या काफी अधिक रहती है।
-डॉ। शैव्या, गाइनेकोलॉजिस्ट

Posted By: Inextlive