जीएसटी बढऩे से पहले ही बढ़े रेट, कस्टमर के साथ व्यापारी भी अपसेट
85 हजार व्यापारी मंडल में हैं जीएसटी में रजिस्टर्ड
100-से अधिक हैं फुटवियर शोरूम
7-परसेंट तक हुई जीएसटी में बढ़ोत्तरी बरेली( ब्यूरो)। बढ़ती महंगाई की परेशानी को जीएसटी और भी बढ़ा रही है। सरकार ने फुटवियर और टेक्सटाइल में जीएसटी की दर बढ़ाने का ऐलान किया है। यह बढ़ी हुई दर अभी लागू तो नहीं हुई पर इसका असर मार्केट में पहले ही पड़ गया। जीएसटी बढऩे के नाम पर ही फुटवियर और टेक्सटाइल गुड्स के रेट बढ़ गए। इन आइटम्स में रेट बढऩे से कस्टमर्स तो परेशान हैं ही, व्यापारी भी परेशान हैं। कस्टमर्स की परेशानी रेट बढऩे से है तो व्यापारियों की परेशानी बढ़े हुए रेट सुनकर कस्टमर्स के बैंरग लौटने से।
299 का फुटवियर 450 तक
जीएसटी बढऩे की घोषणा भर से ही मार्केट कैसे प्रभावित होता है, यह बीते कुछ समय में एक फुटवियर के रेट से समझा जा सकता है। शहर के फुटवियर कारोबारी भूपेन्द्र सिंह ने फुटवियर के रेट में हुई बढ़ोत्तरी के बारे में बताया कि वह तीन महीने पहले जिस फुटवियर को 299 में बेच रहे थे, उसके रेट कुछ समय पहले बढ़कर 335 हुए और अब 450 तक पहुंच गए हैं। उन्होंने बताया कि यह बढ़ोत्तरी फुटवियर के रॉ मैटेरियल की शॉर्टेज के साथ ही जीएसटी के चलते भी हुई है।
टेक्स्टाइल गुड्स में जीएसटी की दर बढऩे से कारोबारी खासे परेशान हैं। उनकी सबसे बड़ी परेशानी पुराने स्टाक को लेकर है। व्यापारियों का कहना है कि जिन आइटम्स में एमआरपी प्रिंट है, उन्हें हम जीएसटी की बढ़ी हुई दर के हिसाब से नहीं बेच सकते हैं। इसके बाद भी हमें इन आइटम्स की सेल पर जीएसटी बढ़ी हुई दर से चुकाना होगा। इससे रिटेलर्स, होलसेलर्स से लेकर मैनुफैक्चरर्स तक को भारी घाटा उठाना पड़ेगा।
व्यापारी भी हैं नाखुश
जीएसटी की दर बढ़ाने और इससे आनन-आनन में लागू करने से व्यापारी खासे नाखुश हैं। व्यापारियों का कहना है कि सरकार ने उनका हित नहीं देखा। सरकार का यह फैसला उनके हित में नहीं है। इस फैसले को लागू करने से पहले सरकार को चाहिए था कि वह कारोबारियों को कुछ समय की मोहलत देती। कंज्यूमर गुड्स पर पहले ही महंगाई की मार पड़ी है, उस पर यह बढ़ोत्तरी और भी परेशान करने वाली है।
एक जनवरी से बढ़े रेट लागू
फुटवियर और टेक्सटाइल गुड्स में एक जनवरी से बढ़ी हुई जीएसटी लागू होने से व्यापारियों को अपने कम्प्यूटर सिस्टम में भी अपडेट करना पड़ेगा। व्यापारियों का कहना है कि अभी वह अपनी सेल की बिलिंग पुराने जीएसटी दर के अनुसार ही कर रहे हैं। नई दरें लागू होने से उन्हें बिलिंग भी इसी हिसाब से करना होगा। इसके लिए कम्प्यूटर में जीएसटी के स्लैब में बदलाव करना होगा। अप्रैल में फिर से कम्प्यूटर बिलिंग में फेरबदल करना पड़ेगा।
जीएसटी में सात परसेंट की ग्रोथ
फुटवियर और टेक्सटाइल के गुड्स में अभी अलग-अलग जीएसटी की दरें लागू हैं। अभी तक जिन गुड्स में पांच परसेंट जीएसटी लागू है, उन्हें 12 परसेंट जीएसटी के दायरे में लाया गया है। इस तरह एक जनवरी से पांच परसेंट वाले फुटवियर और टेक्स्टाइल गुड्स पर जीएसटी सात परसेंट अधिक हो जाएगी। सरकार ने पांच परसेंट वाले गुड्स पर तो जीएसटी 12 परसेंट कर दी, पर 18 परसेंट जीएसटी वाले गुड्स पर कोई फेर बदल नहीं किया।
व्यापारियों की बात
एक जनवरी ने जीएसटी की बड़ी हुई दरों का लागू करना व्यापारियों के हित में नहीं है। सरकार के इस फैसले से रिटेलर्स, होलसेलर्स से लेकर मैन्युफैक्चरर्स तक को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। सरकार को जीएसटी की बड़ी दरें कम से कम अप्रैल से लागू करनी चाहिए थी।
नरेन्द्र गुप्ता, सीएमडी सिलेक्शन प्वाइंट
सरकार ने फुटवियर में जीएसटी की दर बढ़ाई है। यह बढ़ी हुई दर भले ही अभी लागू नहीं हुई है, पर फुटवियर्स के रेट में बढ़ोत्तरी पहले ही हो गई। यह बढ़ोत्तरी ओमिक्रोन की पाबंदियों के चलते रॉ मैटेरियल की शॉर्टेज भी हुई है। बेसमय अचानक जीएसटी बढ़ाकर व्यापारियों का अहित ही किया है।
भूपेन्द्र सिंह, फुटवियर कारोबारी
वर्जन
सरकार ने जीएसटी की दरें तो बढ़ाई हैं, पर इसको लागू करने के संबंध में हमारे पास कोई गाइड लाइन नहीं आई है। इन बढ़ी हुई दरों को लागू करने से पहले सरकार इसका गजट कराएगी। फिर जीएसटी काउंसिल इसे सेंक्शन करेगी, तभी यह दरें लागू होंगी।
अरुण शंकर, ज्वाइंट कमिश्नर जीएसटी
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