कर्मचारी ही लगा रहे नगर निगम की साख को बट्टा
(बरेली ब्यूरो)। आईजीआरएस पर पेंडिंग पड़े संदर्भो का निगम द्वारा समय पर निस्तारण न होने से निगम की छवि धूमिल हो रही है। यह बात निगम के अधिकारी द्वारा समस्त विभागों को भेजे लेटर में स्वयं स्वीकार की गई है। विभिन्न माध्यमों से आ रही जनता की आवाज को निगम लगातार दबाता रहता है। चाहे आरटीआई हो या ऑनलाइन शिकायतें, उनका निस्तारण करने में संबंधित अधिकारी दिलचस्पी लेते दिखाई नहीं देते। निगम के समस्त विभागों ने लंबे समय से न तो आरटीआई का जवाब दिया है, न ही आईजीआरएस पर आ रही शिकायतों का जवाब दिया जा रहा है।
क्या लिखा है लेटर में
विभागों को जारी पत्र में अपर नगर आयुक्त ने लिखा है कि आईजीआरएस शिकायतों के निस्तारण में शिथिलता बरती जा रही है। इसकारण उनका निस्तारण नहीं हो पा रहा है तथा शिकायतें डिफॉल्टर की श्रेणी में आ रही हैैं। इससे नगर निगम की छवि धूमिल हो रही है। डिफॉल्टर शिकायतों के निस्तारण के लिए सभी विभागों को उपलब्ध कराए जाने के बाद भी कोई रुचि नहीं दिखाई जा रही है।
होगी कार्रवाई
अपर नगर आयुक्त ने विभागों से यह भी पूछा है कि शिकायतों के निस्तारण मेंं रुचि नहीं दिखाने वाले कर्मचारियों व अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की गई है। साथ ही यह भी लिखा है कि भविष्य में शिकायतों के गुणवत्तापूर्ण तथा समय से निस्तारण किए जाने की स्थिति में उत्तरदायित्व निर्धारित कर कार्यवाही के लिए रिपोर्ट दी जाएगी।
आईजीआरएस की फुल फॉर्म इंटीग्रेटिड ग्रीविएंस रिड्रेस सिस्टम है। इसका लोकप्रिय नाम जनसुवाई पोर्टल है। इस पर दर्ज की गई शिकायतों को सीधे गवर्नमेंट द्वारा देखा जाता है। सीएम हेल्पलाइन पर आने वाली शिकायतों पर सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय की नजर रहती है। किसने शिकायत की और उसका कैसा निस्तारण किया गया, यह सब कुछ ऑनलाइन रहता है। शिकायतकर्ता किसी भी समय शिकायतों को ऑनलाइन दर्ज करने के साथ ही रजिस्टर की गई कंप्लेंट को ट्रैक भी कर सकते हैैं।
30 डिफॉल्टर, 86 शिकायतें लंबित
नगर निगम की सुस्त कार्यशैली का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि उन्हें शिकायतों के बारे में जानकारी प्रोवाइड की गई, उसके बाद भी इस मुद्दे पर कार्रवाई नहीं की गई। मंडे तक पोर्टल पर 30 डिफॉल्टर व 86 लंबित मामले प्रदर्शित हो रहे हैैं। इसको लेकर अपर नगर आयुक्त द्वारा सभी विभागों को मंडे शाम तक का समय दिया गया था।
नहीं सुन रहे विभाग
नगर निगम में पब्लिक की सुनवाई न तो कार्यालय में होती है, न ही पोर्टल पर शिकायत करने के बाद। नगर निगम में विभागीय लोग निगम के अधिकारी की बात भी नहीं सुन रहे हैैं। शिकायत निस्तारण को लेकर अधिकारियों द्वारा समस्त विभागों को पहले भी निस्तारण के लिए अवेयर किया गया, उसके बाद भी शिकायतों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है।