कोहरे से बिजली विभाग का पारा डाउन
-कोहरे ने बढ़ाई बिजली विभाग की समस्या
- ब्रेक डाउन और ग्रिड फेल होने की संभावना बढ़ी - प्रॉब्लम्स से बचने के लिए सिलिकॉन पालीमर डिस्क का इस्तेमाल BAREILLY: ठंड और कोहरे ने बिजली विभाग का पारा डाउन कर दिया है। वातावरण में फैले मॉइश्चर से सब स्टेशन और फीडर ब्रेक डाउन हो जा रहे हैं। यही नहीं कोहरे की वजह से ग्रिड पर भी खतरा मंडराने लगा गया है। बिजली विभाग के अधिकारियों को यह डर सताने लगा है कि, कहीं कोई बड़ा फॉल्ट न हो जाए। ग्रिड फेल होने की स्थिति में बिजली का संकट खड़ा हो जाएगा। हालांकि इससे निपटने के लिए विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। विभाग शहर के पोल पर वेदर एक्सपर्ट इंसुलेटर लगाएगा। मॉइश्चर होता है ब्रेक डाउनमॉइश्चर के चलते वातावरण में फैले धूल के गीली होकर पोल पर लगे इंसुलेटर के संपर्क में आ जाती है। जैसे ही अर्थ और मेन लाइन एक दूसरे से कनेक्ट होती है ब्रेक डाउन की समस्या उत्पन्न हो जाती है। कभी-कभी पोल में करंट भी उतर जाता है। पिछले दिनों कोहरे के कारण शहर में यही स्थिति पैदा हुई थी। इसके चलते नवादा, और इज्जतनगर की साइड लाइन ब्रेक डाउन हो गई थी। मैक्सिमम केसेज में इंसुलेटर के फटने का भी डर रहता है।
ग्रिड फेल होने का डर ब्रेक डाउन होने से कहीं अधिक बिजली विभाग को ग्रिड फेल होने का डर सता रहा है। बिजली विभाग के अधिकारियों का कहना है कि, मॉइश्चर से बार-बार ब्रेक डाउन होने से वोल्टेज लो और हाई होने लगता है। इस सिचुएशन में ग्रिड पर असरा पड़ता है। दिसम्बर, जनवरी और फरवरी इन तीनों महीनो में सबसे अधिक खतरा रहता है, क्योंकि इन महीनों में सबसे अधिक कोहरा गिरता है। इससे ग्रिड फेल होने का खतरा बढ़ जाता है। ट्रांसमिशन की क्लीनिंग ज्यादा धूल धक्कड़ वाले एरिया में बने ट्रांसमिशन की इस वेदर में क्लीनिंग भी मस्ट हो जाती है। फिलहाल सिविल लाइन में बने ट्रांसमिशन की क्लीनिंग की जा रही है। ताकि, मॉइश्चर का उतना असर ट्रांसमिशन पर न पड़े। ज्यादा पॉल्यूटेड वाले एरिया में हर दूसरे वीक में क्लीनिंग मस्ट है। जबकि, अदर एरिया में एक महीने बाद क्लीनिंग करनी होती है। अधिकारियों की मानें तो, फ्फ् केवी की लाइन पर ब्, क्क् केवी पर क्, क्फ्ख् केवी पर 9 और ख्ख्0 केवी पर क्ब् से क्भ् डिस्क लगे होते हैं। प्रत्येक डिस्क ख्ख् केवी लेबोरटी टेस्टेड होता है। सिलिकॉन पालीमर डिस्क करेगी रक्षाबिजली विभाग ने कोहरे से बचने के लिए नई किस्म के इंसुलेटर लगाने शुरू कर दिए हैं। कई
जगहों पर विभाग ने काम शुरू भी कर दिया है। फिलहाल शहर में जितने भी पोल लगे हैं उन पर पोर सिलिंग (चीनी मिट्टी ) के इंसुलेटर लगे हुए है, लेकिन अब इन सभी इंसुलेटर को चेंज कर सिलिकॉन पालीमर डिस्क लगाए जा रहे है। इन एरिया में पहले लगेंगे इंसुलेटर सबसे पहले सिलिकॉन पालीमर डिस्क शहर के उन एरिया में लगाए जा रहे है जहां कोहरा या धूल-धक्कड़ अधिक होता है। रामगंगा किनारे, जंगल एरिया, कारखानों, ईट-भट्ठा, कार्बन का जहां उत्सर्जन अधिक हो रहा है। ऐसे जगहों को विभाग ने फर्स्ट प्रायॉरटी पर रखा है। इसके बाद बाकी शहर के बाकी एरिया के पोल पर भी सिलिकॉन पालीमर डिस्क लगाए जाने का काम होगा। ठंड में विभाग के सामने सबसे अधिक दिक्कत होती है। मॉइश्चर के चलते इंसुलेटर खराब होने की संभावना बढ़ जाती है। ग्रिड भी फेल हो सकते है। मॉइश्चर की समस्या से बचने के लिए वेदर एक्सपर्ट डिस्क लगाने का काम हो रहा है। आरपी दुबे, एसई, बिजली विभाग