सीखने की नहीं सोने की ट्रेनिंग
-- बेपरवाह कर्मचारी का लापरवाह रवैया
- ऑफिसर्स के सामने चला सोने का दौर - चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारी सोते रहे BAREILLY: चुनाव संपन्न कराने की जिम्मेदारी कोई मामूली काम नहीं है, लेकिन चुनाव आयोग के इन 'लड़ाकों' को देखकर आपने भी बखूबी अंदाज लगा लिया होगा। इन्हीं के मजबूत कंधों पर टिकी है मतदाता की जवाबदेही। भाई साहबसोना किसे अच्छा नहीं लगता। लेकिन यह क्या बात हुईमामला लोकसभा इलेक्शन से जुड़ा होने के बाद भी ट्रेनिंग के दौरान ड्यूटी में लगे कर्मचारी जमकर खर्राटे भरते नजर आए। मानों उनके बीच सोने का कॉम्पिटीशन चल रहा हो। ट्रेनर पूरे समय चुनाव की महत्ता और वोटिंग के रूल एंड रेगुलेशन के बारे में माइक पर भाषणबाजी करते रहे और कर्मचारी नींद का भरपूर मजा लेते रहे। शायद इन बेपरवाह कर्मचारी को अपनी जिम्मेदारी का अहसास नहीं रहा। सोने का चला कॉम्पिटीशनचुनावी ड्यूटी में लगे कर्मचारियों की ट्रेनिंग पिछले ब् दिनों से संजय कम्युनिटी हॉल व आईएमए हॉल में चल रही थी। चार दिन चले सेंकेंड फेज की ट्रेनिंग में करीब क्भ्,000 कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी गई। इसके अंतिम दिन यानी सैटरडे को दोनों ही सेंटर्स पर कर्मचारी जमकर सोते रहे। जब नींद टूटी तो बगल में बैठे कर्मचारियों से जानकारी लेने का प्रयास करने लगते। माहौल ऐसा हो गया मानो उनके बीच सोने का कॉम्पिटीशन चल रहा हो। यह सिलसिला पूरे सेशन तक चलता रहा। जबकि ऑफिसर्स पूरे तीन घंटे कर्मचारियों को ईवीएम के संचालन, ईवीएम की बैलेट यूनिट और कंट्रोल यूनिट की जानकारी, मतदान खत्म होने के बाद मशीन की सीलिंग, चैलेंज वोट, मॉक पोल के बारे में समझाते रहे।
8क् ट्रेनर लगाए गए थे चुनाव में कोई चूक ना हो इसके लिए इलेक्शन कमीशन की ओर से 8क् मास्टर ट्रेनर की व्यवस्था की गई थी। ऑफिसर्स ने सेंटर्स पर एलसीडी स्क्रीन और प्रोजेक्टर के माध्यम से लाइव टेलीकॉस्ट की भी व्यवस्था कर रखी थी। ताकि कर्मचारियों को किसी तरह की परेशानी ना हो। बावजूद इसके ट्रेनिंग ले रहे कर्मचारी नियम को ताक पर रखकर भरपूर नींद लेते रहे। ऑफिसर्स ट्रेनिंग से गायब रहने वाले कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर तो दर्ज करा रहे हैं, मगर ट्रेनिंग में शामिल होकर भी ना होने जैसा अपराध करने वाले इन कर्मचारियों का क्या? क्ख्9 कर्मचारी रहे गायबट्रेनिंग के अंतिम दिन दोनों सेंटर से क्ख्9 कर्मचारी गायब रहे। ट्रेनिंग से अब तक ब्99 लोग गायब रहे। इन्हें संडे को ख् से भ् बजे के बीच सेंटर्स पर बुलाया है। अगर तीन बजे तक ये नहीं आए तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। इसकी जानकारी डिप्टी डिस्ट्रिक्ट इलेक्टोरल ऑफिसर अरुण कुमार ने दी। ट्रेनिंग से गायब रहे कर्मचारियों में पीठासीन ऑफिसर और चुनाव कर्मचारी दोनों शामिल हैं। सैटरडे को भ्70 पोलिंग पार्टियों को ट्रेनिंग दी गई। एक पोलिंग पार्टी में चार मेंबर्स शामिल है, जिनमें एक पीठासीन ऑफिसर और तीन अन्य मेंबर है।
अटेंडेंस देकर निकल लिए घर इतना ही नहीं मैक्सिमम कर्मचारी तो सिर्फ अटेंडेंस लगाने के लिए सेंटर्स पर पहुंचे थे। मसलन ट्रेनिंग शुरू होने से पहल अटेंडेंस लगाकर घर चल दिए। डिस्ट्रिक्ट इलेक्टोरल ऑफिसर्स की ओर से एक टाइम अटेंडेंस का फायदा कर्मचारियों ने खूब उठाया। ट्रेनिंग खत्म होने के बाद अटेंडेंस लगाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई थी, जिसके चलते मैक्सिमम कर्मचारी ट्रेनिंग लेना भी मुनासिब नहीं समझा। आए और चल दिए जैसे महौल भी ट्रेनिंग सेंटर पर देखने को मिले। वोटिंग भी हुई वहीं दूसरी ओर ट्रेनिंग सेंटर पर वोटिंग करने की व्यवस्था थी। ताकि इलेक्शन में लगे कर्मचारियों अपने वोट का इस्तेमाल कर सके। कर्मचारियों ने बैलेट पेपर के माध्यम से अपने-अपने फेवरेट उम्मीदवार को वोट दिया।