यूनिवर्सिटी नहीं चाहता था कि हो फेक फॉर्म का खुलासा
BAREILLY: फेक फॉर्म के मकड़ जाल में आरयू इतने अंदर तक फंस चुका था कि वह कभी नहीं चाहता था कि इस घोटाले का खुलासा हो। क्योंकि यह घोटाला केवल लास्ट ईयर ही नहीं हुआ। काफी पहले से चला आ रहा था। आरयू को बखूबी इसकी खबर भी थी। कई कॉलेजेज ने इसकी कंप्लेन भी की थी। लेकिन आरयू ने हर बार इसको अनसुना कर दिया। इसपर लगाम लगाने के लिए अपने स्तर से कोई भी कार्रवाई नहीं की। घोटाला ज्यादा बढ़ा तो आरयू ने होलोग्राम वाले फॉर्म ईश्यू कर दिए, लेकिन फर्जीवाड़ा करने वालों ने उसमें भी सेंध लगा दी। आरयू ने हर फर्जी स्टूडेंट्स पर रोक लगाने के बजाय अपनी जेब ही भरी और फाइन लगाकर स्टूडेंट्स के फॉर्म ओके कर दिया।
जांच कमेटी को नहीं दिया जवाबअखबारों की सुर्खियों में यह मामला दिसम्बर में उछला। तूल पकड़ा तो ख्0 दिसम्बर को क्राइम ब्रांच को पूरा मामला सुपुर्द कर आरयू ने पिंड छुड़ा लिया। लेकिन आरयू ने तब भी अपनी खामियों को ढूंढने की कोशिश नहीं की। ज्यादा दबाव बढ़ा तो आरयू ने जनवरी में म् सदस्यीय जांच कमेटी का गठन कर दिया। जिसकी अगुवाई चीफ प्रॉक्टर डॉ। वीपी सिंह कर रहे हैं। आरयू की इंटरनल कमेटी ने रजिस्ट्रार से कई बार घोटाले की पूरी डिटेल समेत इंफॉर्मेशन मांगी लेकिन उन्होंने देने की जहमत नहीं उठाई। जांच दल ने इस बाबत आरयू से भ् सवाल भी पूछे थे। जिसक जवाब रजिस्ट्रार ने आज तक नहीं दिया। साफ था कि इस मसले पर रजिस्ट्रार कहीं ना कहीं फंसते नजर आ रहे थे।
क्राइम ब्रांच जाएगी मुरादाबाद क्राइम ब्रांच की टीम वेडनसडे को एक बार फिर आरयू गई। लेकिन कार्यकारी रजिस्ट्रार वहां नहीं मिले। टीम थर्सडे को मुख्य आरोपी स्टूडेंट लीडर गजेंद्र चौधरी को पकड़ने के लिए कई जगह दबिश देगी। टीम मुरादाबाद के कई कॉलेजेज में जाकर डॉक्यूमेंट्स खंगालेगी। ये वे कॉलेजेज होंगे जहां से बड़े पैमाने पर फर्जी फॉर्म आए थे।