भूकंप के झटके देते हैं पैनिक डिसऑर्डर
झटकों के चलते एड्रिनलिन हॉर्मोन तेजी से खून में मिलकर करता है बीमार
बुजुर्ग, प्रेग्नेंट महिलाएं और हार्ट-बीपी व सांस के मरीजों पर खतरा ज्यादा सायकोलोजिकल प्रभाव भी डालता है असर, सावधानी बरते तो रहेंगे सेफBAREILLY: नेपाल में आए भूकंप के झटकों को भले ही बरेली की जमीन ने बर्दाश्त कर लिया हो, लेकिन 17 दिनों में बार-बार आ रहे इन झटकों की दहशत को बरेलियंस बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। स्थिति यह हो गई है कि इस डर ने हॉस्पिटल में मरीजों की संख्या को बढ़ा दिया है। खासकर से हार्ट, अस्थमा, माइग्रेन और बीपी के मरीजों के लिए तो इसने खासी दिक्कत कर दी है। एकाएक बढ़ी मरीजों की इन संख्या को डॉक्टर्स सामान्य करार कहते हुए कहते हैं कि यह पैनिक डिसऑर्डर है, जो इस तरह की प्राकृतिक आपदाओं और तेजी से मौसम बदलने के बाद होता है। वहीं भूकंप के मामले में जमीन के भीतर होने वाली हलचल का भी साइड इफेक्ट कहा जा सकता है।
कुछ ऐसा होता है पैनिक डिसऑर्डर का असरपैनिक डिसऑर्डर को लेकर डॉक्टर्स का कहना है कि जब भी कोई ऐसी घटना होती है जो व्यक्ति के दिमाग में पैनिक क्रिएट करती है, उसके असर से जो एकाएक बीमारियां होती हैं वह पैनिक डिसऑर्डर की कैटेगरी में आ जाती है, जिसमें उल्टी-मितली आना, बीपी लो या हाई होना या दिल की धड़कनें अचानक बढ़ने सहित सिरदर्द और उलझन जैसी समस्याएं हैं। डॉक्टर्स ने बताया कि बार-बार भूकंप के झटकों से भी कुछ ऐसा ही असर हुआ है।
सेहतमंद पर भी पड़ता है असर बीमार शख्स की ही इस दहशत में बीमारी नहीं बढ़ती, बल्कि अच्छा-खासे सेहतमंद पर भी इसका असर पड़ता है। डॉक्टर्स बताते हैं कि स्वस्थ्य व्यक्ति पर इसका असर थोड़ी देर के लिए ही होता है, और वह जल्द ही इस सिचुएशन से बाहर निकल जाता है। लेकिन जो लोग इस तरह की घटनाओं से जल्दी नहीं उबर पाते हैं वह भी कई तरह के डिसऑर्डर के शिकार हो जाते हैं। वेडनसडे को हॉस्पिटल में चक्कर आना, घबराहट की शिकायत लेकर पहुंचने वाले मरीजों की संख्या अच्छी खासी रही है। बाक्स------------------ 'एड्रिनलिन' है असली वजहशहर के सीनियर फिजिशियन डॉ। सुदीप सरन के मुताबिक भूकंप के दौरान जब धरती हिलती है तो इससे होने वाले वाइब्रेशन से इंसान के हार्ट के इलेक्ट्रिकल कंडक्शन सिस्टम पर फर्क पड़ता है। आसान शब्दों में कहें तो इस दौरान दिल की धड़कनें तेजी से बढ़ जाती हैं। जिससे शरीर में एड्रिनलिन नाम का हॉर्मोन चंद सेकेंड्स में ही तेजी से निकलता है और खून में मिल जाता है। एड्रिनलिन को एक्साइटिंग हॉर्मोन भी कहते हैं। इसके शरीर में तेजी से फैलने से पूरा शरीर एक्साइटिंग स्टेज में पहुंच जाता है और इससे शरीर के सभी ऑर्गन्स की एक्टिविटी बेहद तेज हो जाती है। जिसे एडजस्ट न कर पाने से दिक्कतें शुरू हो जाती हैं।
यह हैं दिक्कतों के लक्षण - दिल की धड़कनें तेजी से बढ़ जाना - ब्लड प्रेशर के मरीज का बीपी बढ़ जाना - दिल के मरीज के सीने में तेज दर्द या हार्ट अटैक - सांस के मरीजों को अस्थमैटिक अटैक पड़ना - उल्टी होना, मितली होना, जी मिचलाने की दिक्कत - दस्त शुरू होना, बार बार पेशाब की समस्या होना सायकोलॉजिकल भी है परेशानीफिजिकल परेशानियों के अलावा भूकंप के दौरान कइयों को मेंटली या मानसिक बीमारियां भी घेर लेती हैं। इस दौरान सबसे ज्यादा दिक्कत लोगों में मूड स्विंग होना यानि तेजी से मूड बदलते रहना है। इसके अलावा चिड़चिड़ाहट, सिर में दर्द, उलझन होना, घुटन महसूस करना, बार बार पसीना, बेचैनी होना और माइग्रेन के मरीजों का दर्द उभर आना जैसी दिक्कतें भी हैं। यह परेशानियां दरअसल सायकलॉजिकल होती हैं। जो कमजोर दिल व इच्छाशक्ति वाले लोगों (मेडिकल जुबान में इसे न्यूरोटिक कहा जाता है) को आसानी से चपेट में लेती हैं।
प्रेग्नेंट महिलाएं भी खतरे में भूकंप के दौरान धरती के वाइब्रेट करने से प्रेग्नेंट महिलाओं पर भी खतरे का आशंका बढ़ जाती है। पैनिक डिसऑर्डर के चलते प्रेग्नेंट महिलाओं में समय से पहले ही लेबर पेन शुरू होने लगता है। मरीज में डी के चलते इससे प्री-मेच्योर डिलिवरी होने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में डिलिवरी के दौरान कॉम्पलिकेशंस बढ़ने व एक्सेसिव ब्लीडिंग बढ़ने का डर भी बढ़ जाता है। जिससे खून की कमी के चलते महिला के एनिमिक होने की स्थिति हो जाती है। ऐसी हालत में मां व होने वाले बच्चे की जान पर खतरा बढ़ने के चांसेज में इजाफा हो जाता है।