मौसम कोई भी हो लेकिन मच्छरों से होने वाली संक्रामक रोग कभी भी हो सकते हैं. खासतौर पर इसका सीजन बारिश के समय होता है गर्मी में होता है. मच्छरों को प्रकोप कभी कम तो कभी अधिक हो सकता है. इसमें सबसे अहम है कि मच्छरों द्वारा फैलाई जाने वाली संक्रामक बीमारियों से अलर्ट रहकर ही जान बचाई जा सकती है. डेंगू की पहले पहचान मतलब खतरे से बाहर जान. इसी थीम पर अगर ध्यान से हम काम करेंगे तो डेंगू को हम सभी मिलकर हरा सकते हैं.

बरेली (ब्यूरो)। मौसम कोई भी हो लेकिन मच्छरों से होने वाली संक्रामक रोग कभी भी हो सकते हैं। खासतौर पर इसका सीजन बारिश के समय होता है गर्मी में होता है। मच्छरों को प्रकोप कभी कम तो कभी अधिक हो सकता है। इसमें सबसे अहम है कि मच्छरों द्वारा फैलाई जाने वाली संक्रामक बीमारियों से अलर्ट रहकर ही जान बचाई जा सकती है। डेंगू की पहले पहचान, मतलब खतरे से बाहर जान। इसी थीम पर अगर ध्यान से हम काम करेंगे तो डेंगू को हम सभी मिलकर हरा सकते हैं। विभाग के इस वर्ष के आंकड़ों पर ही गौर करें तो जनवरी से 15 नवम्बर तक 64 केसेस सामने आ चुके हैं। वहीं बीते वर्ष 2020 के बाद से डेंगू के केसेस में लगातार बढ़ोत्तरी हुई है। वर्ष 2023 में ही डेंगू के केसेस की संख्या जिले में 1065 तक पहुंच गई थी। जबकि शासन ने जिला मलेरिया डिपार्टमेंट के सहयोग के लिए 13 अन्य सहयोगी डिपार्टमेंट को भी डेंगू से जंग लडऩे के लिए लगाया है। ताकि डेंगू और मलेरिया पर कांट्रोल किया जा सके। यही कारण है कि साल दर साल डेंगू केसेस का आंकड़ा विभाग ने बढऩे से कंट्रोल कर लिया है।


इस तरह बढ़ा आंकड़ा
वर्ष 2020 में डेंगू के जिले में सिर्फ 8 केसेस थे। जो डेंगू से संक्रमित हुए थे। वर्ष 2021 में अचानक डेंगू का डंक बढ़ा और डेंगू की केसेस की संख्या 595 तक पहुंच गई। वर्ष 2022 में डेंगू के कसेेस की संख्या थोड़ी कंट्रोल हुई और डेंगू के केसेस की संख्या 474 तक पहुंची। लेकिन वर्ष 2023 में यही डेंगू केसेस की संख्या अचानक 1065 तक पहुंच गई। यानि कहा जाए अब तक डेंगू के रिकार्ड पेशेंट्स वर्ष 2023 में मिले। इतने पेशेंट डेंगू के पिछले वर्षो में कभी नहीं मिले। हालांकि इससे अलर्ट होकर जिला अस्पताल का मलेरिया डिपार्टमेंट अपने सहयोगी 13 डिपार्टमेंट के साथ डेंगू को कंट्रोल करने के लिए अभी से प्रयास कर रहा है। ताकि इससे लोगों को नुकसान न होने पाए। ये मेहनत विभाग की काम भी आई और 2024 में डेंगू के 15 नवम्बर तक मात्र 64 केसेस ही सामने आए।

डेंगू के लक्षण
- तेज बुखार आना
- बुखार के साथ सिर दर्द होना
- जोड़ो और मांसपेशियों में दर्द
- वीकनेस या थकान होना
- जी मिचलाना या उल्टी होना
- त्वचा पर लाल चकत्ते होना


8-मरीज मिले वर्ष 2020 में
595-मरीज मिले थे वर्ष 2021 में
474-मरीज मिले थे वर्ष 2022 में
1065-मरीज मिले थे वर्ष 2023 में
64-मरीज मिले 15 नवम्बर 2024 तक


ये होते हैं संचारी रोग
-मलेरिया
-टायफाइड
-चेचक
-इन्फ्लूएंजा
-डेंगू
-डायरिया
-हैजा
-हेपेटाइटिस ए
-हेपेटाइटिस बी
-हेपेटाइटिस सी
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ये चलाए गए थे अभियान
11-से 31 जुलाई तक चलाया गया था दस्तक अभियान
1-से 31 जुलाई तक चलाया गया था संचारी रोग अभियान
13-विभाग मलेरिया डिपार्टमेंट के साथ मिलकर करते हैं सहयोग

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मलेरिया डिपार्टमेंट में स्टॉफ का स्थित
पद स्वीकृति तैनात
जिला मलेरिया अधिकारी 01 01
स। मलेरिया अधिकारी 02 02
वरिष्ठ मलेरिया इंस्पेक्टर 01 01
मलेरिया इंस्पेक्टर 02 06
सीनियर फील्ड वर्कर 02 00
लैब टेक्निशियन 16 03
हेल्थ वर्कर 181 15
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डेंगू की पहचान
डेंगू बुखार एक संक्रमित बीमारी है जो तेजी से फैलती है। इसके साथ ही शरीर पर भी इसका असर तेजी से फैलता है। यदि समय रहते इसकी पहचान और इलाज शुरु नहीं किया गया तो ये बीमारी जानलेवा भी साबित हो सकती है। ऊपर दिए गए किसी भी लक्षण के महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। खून की जांच में कन्फर्म होने होने के बार ही डेंगू की पुष्टि की जा सकती है।

डेंगू की डायग्नोसिस
डेंगू की पहचान के बाद ही इसका इलाज शुरु किया जा सकता है। जांच में डेंगू की पुष्टि होने के साथ ही जितना जल्दी हो सके इसके इसके डायग्नोसिस शुरू की जानी चाहिए। क्योंकि डेंगू संक्रमित व्यक्ति से मच्छर बहुत ही तेजी से अन्य लोगों को संक्रमित कर सकता है। इसलिए व्यक्ति के उपचार के साथ ही इसके बचाव से संबंधित टीम को इसकी सूचना देनी चाहिए। संबंधित टीम डेंगू के संवेदनशील जगह पर जाकर जागरुकता अभियान, एंटी लार्वा फॉगिंग और संक्रमित ऐरिया में घर-घर जाकर बचाव कार्य करने का काम करती है।

डीवीसी टीम
डेंगू की रोकथाम के लिए शहर में डीवीसी (डुमैस्टिक ब्रीडर चैकर)टीम को तैनात किया जाता है। यह टीम संक्रमित ऐरिया में घर-घर जाकर डेंगू से बचाव अभियान चलाती है। टीम के सदस्य संक्रमित घरों में जाकर बारीकी से हर कोने, बर्तन, गमला, फ्रिज और कूलर आदि में भरे पानी में डेंगू के लार्वा की पहचान करते हैं। विशेषज्ञों को मानना है कि डेंगू का लार्वा साफ पानी में पनपता है। इसलिए घर में किसी भी जगह 7 दिन ज्यादा पानी भरा नहीं छोडऩा चाहिए।

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ये डिपार्टमेंट मिलकर लड़ते हैं डेंगू और मलेरिया से जंग
नगर निगम: शहरी एरिया में साफ सफाई, एंटी लार्वा छिड़काव, फागिंग आदि का काम कराता है
-पंचायती राज ग्रामीण विभाग: देहात एरिया में साफ-सफाई, एंटी लार्वा छिड़काव, फागिंग आदि का काम कराता है
-बेसिक शिक्षा विभाग: ये विभाग क्लास एक से आठवीं तक के स्कूल में आने वाले बच्चों को डेंगू मलेरिया और संचारी रोग से बचाने को अवेयर करता है। उनके पेरेंट्स और स्कूल स्तर की कमेटी को भी अवेयर करता है।
-माध्यमिक शिक्षा विभाग: ये विभाग क्लास नौ से 12वीं तक के स्कूल में आने वाले बच्चों को डेंगू मलेरिया और संचारी रोग से बचाने को अवेयर करता है। उनके पेरेंट्स और स्कूल स्तर की कमेटी को भी अवेयर करता है।
-कृषि रक्षा विभाग: किसानों को अवेयर करके बताता है कि फसल में जल जमाव ने होने दें और जल जमाव होता है तो उसमें मच्छरों का लार्वा न पनपे अगर लार्वा है तो उसे कैसे पहचाने और उसे नष्ट कैसे करें।
-आईसीडीएस विभाग: इस डिपार्टमेंट से आंगनबाड़ी आशा वर्कर लोगों को डोर-टू-डोर जाकर लोगों को अवेयर करती है। स्क्रीनिंग करती हैं लक्षण दिखाई देने पर जांच के लिए हॉस्पिटल भेजती हैं और उन्हें सावधानी बरतने के लिए बताती हैं
-पशु चिकित्सा विभाग: पशु चिकित्सा विभाग पशु पालकों को खासकर सूकर पालकों को बताता है कि वह आबादी से दूर पालन करें। क्योंकि इससे संक्रामक रोग फैल सकता है। बाड़े को ढककर रखने को आगाह करता है।
-जल निगम: सभी को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के साथ शुद्ध पानी पीने के लिए भी अवेयर करता है। बताता है कि शुद्ध पेयजल नहीं पीएंगे तो इससे बीमारी फैल सकती है।
-सिंचाई विभाग: नहर या फिर किनारों आदि में कर्मचारियों को निर्देश दें कि कहीं पर अनियंत्रित पानी एकत्र न होने पाए।
-सूचना विभाग: कोई भी सूचना जनहित के लिए प्रसारित करने लोगों तक पहुंचाने के लिए माध्यमों को प्रयोग करना सूचना विभाग को दिया गया है। ताकि वह लोगों तक सूचना पहुंचा सके।
-दिव्यांग कल्याण विभाग: दिमागी बुखार और संक्रमक रोग आदि से अगर कोई दिव्यांग होता है तो उसके लिए दिव्यांग कल्याण विभाग उसके लिए उपकरण आदि मुहैया कराता है।
-उद्यान विभाग: मच्छरों से बचाव के लिए कहीं पर भी नर्सरी आदि में पानी एकत्र न होने दें। इसके साथ ही मच्छरों को भगाने वाले पौधे रोपने के लिए लोगों को अवेयर करें। इसमें तुलसी, गेंदा और लेमन ग्रास आदि।
-खाद्य एवं औषधि विभाग: रेस्टोरेंट, होटल्स आदि में खाने पीने के सामान के पास गंदगी न होने दें कोई भी खाने पीने का सामान खुले में बेंचता पाया जाता है तो उसे रोकना एवं कार्रवाई करना है।

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-डेंगू और मलेरिया सहित संक्रामक रोगों के कंट्रोल के लिए समय समय पर टीम सर्वे करती है। स्टॉफ को ट्रेनिंग भी कराई जाती है। जिस एरिया में सदिग्ध मरीज मिलते हैं उस एरिया में एंटी लार्वा आदि का छिड़काव भी कराया जाता है। जिन एरिया में पिछले वर्षो में अधिक केसेस मिले हैं उस एरिया की खास निगरानी भी की जाती है।
डॉ। सतेन्द्र सिंह, जिला मलेरिया अधिकारी

Posted By: Inextlive