..और कूड़ा हो गए कूड़ेदान
फैक्ट एंड फिगर
250-बड़े कूडे़दान 650-छोटे कूड़दान लगे 25-हजार रुपए है कीमत है बड़े कूड़ेदान की 3-हजार से चार हजार रुपए कीमत है छोटे कूड़ेदान की बरेली:शहर को स्वच्छ बनाने के लिए स्मार्ट सिटी के तहत शहर भर में नगर निगम ने कूडे़दान लगवाए थे। इसमें पहले तो नगर निगम ने प्लास्टिक के कूड़ेदान जगह-जगह लगवाए लेकिन वह या तो टूट या फिर जल गए। इसके बाद करीब दो साल पहले नगर निगम ने दोबारा लाखों रुपए खर्च किए और लोहे के कूड़ेदान स्टैंड पर जगह-जगह फिर लगवा दिए। इन कूड़ेदान का शहर के अलग-अलग एरिया में क्या हाल है इसकी हकीकत जानने के लिए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने रियलिटी चेक किया तो पता चला कि ज्यादातर कूड़ेदान ही कूड़ा हो गए। यानि पूरे शहर में जहां-जहां कूड़ेदान लगवाए गए थे या तो वहां से चोरी हो गए, उखाड़ गए या फिर शहर में चल रहे निर्माण कार्य के लिए उखाड़ कर कूड़ेदान को कूड़े में ही फेंक दिया गया।
सिर्फ पैसे की बर्बादीनगर निगम ने जहां पूरे शहर में दो-दो बार डस्टबिन लगवाए, कहने को उनकी जियो टैगिंग भी करवा दी, लेकिन नतीजा फिर भी सिफर। क्योंकि जितना पैसा नगर निगम ने डस्टबिन को लगवाने के लिए खर्च किया वह तो अधिकांश बर्बाद ही हो गया। शहर में निर्माण कार्य के चलते उखाड़ कर इधर-उधर फेंके गए कूड़ेदान को नगर निगम ने उठाकर भी नहीं रखवाया है इससे वह कूड़े में पड़े गल रहे हैं। शहर के प्रमुख चौराहों के आसपास और कॉलोनी में बड़े कूड़ेदान और अन्य जगह छोटे कूड़दान लगाए गए थे।
सिर्फ नाम के स्टैंड नगर निगम की तरफ से लगाए गए स्टैंड पर कूड़ेदान के स्टैंड इतने कमजोर लगाए गए कि वह हल्का झटका लगने पर भी या फिर अपने आप ही उखड़ कर गिरे पड़े हुए है। इसीलिए अधिकांश कूड़ेदान कूड़ा होने की स्थित में पहुंच गए हैं। इस्लामिया ग्राउंड में कबाड़ कूड़ेदान नगर निगम ने कबाड़ कूडे़दान को शहर के इस्लामिया ग्राउंड में जमा कर रखा है। यहां पर कूड़ेदान लावारिस हालत में पड़े हुए हैं जो कबाड़ हो गए हैं। इसके साथ ही गांधी उद्यान के पास नगर निगम के गोदाम के पास भी कई नए कूड़ेदान भी पड़े-पड़े कबाड़ की हालत में पहुंच गए हैं। पब्लिक भी नहीं अवेयरबरेली सिटी कहने तो अब स्मार्ट सिटी में शुमार करती है लेकिन स्मार्टनेस के नाम पर उतना अवेयर नहीं है, जितना होना चाहिए। यही कारण है कि कूड़ादान में कूड़ा न डालकर इधर-उधर भी फेंक देते हैं इससे सुंदर स्वच्छ शहर में भी गंदगी दिखाई देने लगती है।
सीन:-1 बियावानी कोठी बियावानी कोठी के पास स्टैंड पर दो कूड़ेदान लगाए गए थे। ताकि लोग सूखा और गीला कूड़ा अलग-अलग डाल सकें। यहां पर कोई निर्माण कार्य भी नहीं चल रहा है। इसके बाबजूद स्टैंड सहित कूड़ेदान कूड़ा में पड़े हुए हैं। जबकि कूड़ा भी उसके आसपास रोड किनारे पड़ा हुआ है। सीन:-2 सेठ दामोदर स्वरूप पार्क चौकी चौराहा सेठ दामोदर स्वरूप पार्क के पास सीवर लाइन डालने का काम चल रहा है। यहां पर पार्क की दूसरी तरफ लगे दोनों कूड़ेदान उखड़े हुए एक तरफ पड़े हुए हैं। जबकि कूड़ेदान के आसपास कूड़ा भी बिखरा हुआ पड़ा था। सीन:-3 अवंतीबाई कॉलेज गेट अवंतीबाई राजकीय महिला महाविद्यालय गेट पर कूड़ा इधर-उधर न फेंका जाए इसके लिए कॉलेज गेट पर कूड़ादान लगाया गया। लेकिन इस कूड़ेदान को पूरा मिट्टी से दबा दिया गया। ऐसे में कूड़ादान आधा गल चुका है। इसके लिए कोई देखरेख करने वाला नहीं है इसीलिए अच्छे कूड़दान भी कबाड़ हो रहे हैं। सीन:-4 चौकी चौराहा से गांधी उद्यान रोडचौकी चौराहा से गांधी उद्यान को जाने वाली रोड पर कूड़ादान लगा हुआ है। इस कूड़ादान को लगाने के बाद नगर निगम के किसी कर्मचारी ने देखने की भी जहमत नहीं उठाई। पूरा कूड़ादान टूट चुका है।
सीन:-5 मैथोडिस्ट चर्च मैथोडिस्ट चर्च के सामने भी नगर निगम ने कूड़ादान तो लगाया लेकिन यह कूड़ादान लगने के कुछ दिन बाद ही उखड़ गया। तब से आज तक उखड़ा हुआ पड़ा है। अब ऐसे में कूड़ा डालने वालों को इधर-उधर कूड़ा फेंकना पड़ता है। इससे रोड पर भी गंदगी होती है। सीन:-6 पटेल चौक से चौकी चौराहा रोड पटेल चौक से चौकी चौराहा जाने वाली रोड पर भी यह कूड़ादान उखाड़ा पड़ा है। जबकि इस रोड पर कोई निर्माण कार्य भी अभी नहीं हुआ है। आसपास के लोगों का कहना है कि ठीक तरीके से और अच्छा मैटेरियल लगाकर इसका स्टैंड लगाया ही नहीं गया जिस कारण यह उखड़ गया है। सीन:-7 सिविल लाइंस शहर के सिविल लाइंस स्थित हनुमान मंदिर के पास भी कूड़ा दान लगाया गया ताकि लोग कूड़ा इधर-उधर न फेंके। मंदिर के आसपास सफाई भी रहे लेकिन यहां पर नगर निगम ने ही रोड साइड वर्क कराया तो कूड़ादान उखाड़ दिया वर्क तो पूरा हो गया लेकिन कूड़ादान भी कूड़ा हो गया। जिम्मेदार की बातशहर में सीवर ट्रंक लाइन डाली जा रही है, उसके लिए रूट निर्धारित किए गए। अगर उस रूट में कोई भी कूड़ादान आता है तो उसे हटाया जा रहा है, काम पूरा होने पर लगवा दिया जाएगा। इसके लिए बैठक में भी चर्चा हो चुकी है।
डॉ। अशोक कुमार, नगर स्वास्थ्य अधिकारी