मेरी train कब आएगी
Facility भी नहीं
कोहरे की वजह से एक तरफ जहां ट्रेन लगातार लेट होती जा रही है। वहीं दूसरी तरफ पैसेंजर्स को स्टेशन पर नॉर्मल फैसिलिटी भी नहीं मिल पा रही है। स्टेशन पर लगातार लेट होती जा रही ट्रेनों की वजह से लोगों को मजबूरी में प्लेटफार्म पर इंतजार करना पड़ रहा है। सुबह से ठंड के साथ तेज चली हवा ने पैसेंजर्स के हौसले पस्त कर दिए हैं। इसके बाद पैसेंजर जब स्टेशन पर पहुंचे तो वहां पर ज्यादातर ट्रेन लेट मिलीं। इंतजार करने के लिए लोग जब सीट तलाशने लगे तो उन्हें सीट भी नहीं मिली। नतीजतन खुले प्लेटफार्म पर अपने सामान पर ही छोटे बच्चों के साथ लोगों को बैठना पड़ा।
सफाई भी नहीं हुई
जंक्शन पर सफाई की स्थिति भी ठीक नहीं है। संडे को कुछ यही देखने को मिला। दिन भर पैसेंजर्स प्लेटफार्म पर ट्रेन के इंतजार भटकते रहे। प्लेटफार्म नं। 2 और 3 पर सफाई का आलम यह था कि प्लेटफार्म पर वेंडरों के पास भी डस्टबिन नहीं रखा गया था। नतीजे में लोगों ने खाया और जहां मन आया वहां फेंक दिया।
नहीं बजे रेलवे के भोंपू
दिन भर इंतजार करने वाले पैसेंजर्स के लिए संडे आफत से कम नहीं रहा। क्योंकि ट्रेन के आने का एनाउंसमेंट करने वाले हार्न नहीं बजे। एनाउंसमेंट हार्न न बजने की वजह से पैसेंजर्स को दिन भर प्लेटफार्म न। 1 पर इधर-उधर भटकना पड़ा। लोगों की इस परेशानी का कोई भी असर रेल प्रशासन पर नहीं हुआ और रेल का एनाउंसमेंट प्रोपर टाइम पर नहीं हुआ। ट्रेन का स्टेटस जानने के लिए लोगों को प्लेटफार्म नं। 1 पर ही जाना पड़ रहा था।
ठिठुरन में पेंसिल कैसे पकड़ेंगे ये हाथ?
विंटर की शुरुआत होते ही शुरू हो जाती है ठिठुरन वाली ठंडी। इससे सबसे ज्यादा परेशानी स्कूल जाने वाले बच्चों को होती है। ठंड के इस मौसम में कुछ स्कूल्स ने तो स्कूल टाइम चेंज करके बच्चों राहत दी है वहीं कुछ स्कूल्स अपने पुराने शेड्यूल को ही फॉलो कर रहे हैं.
मौसम की मार
शहर के ज्यादातर स्कूल ठंड को देखते टाइम चेंज नहीं किया है। इससे स्कूली बच्चों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। छोटे-छोटे बच्चे ठंड में ठिठुरने को मजबूर हैं। नींद पूरी न होने के चलते बच्चे रिक्शे और ऑटो में सो रहे हैं। यह उनके लिए कभी भी डेंजरस हो सकता है।
मौसम की मार को देखते हुए पैरेंट्स को अपने बच्चों की सेहत की चिंता भी सता रही है। बिशप कोनराड के प्रिंसिपल फादर ग्रेगरी ने बताया कि ठंड को देखते हुए क्लास नर्सरी से लेकर 12वीं तक की क्लास का टाइम चेंज कर दिया है। अब स्कूल मॉर्निंग 8.45 से 2.45 तक चलेगा।
विंटर के इस सीजन में कैसे रखें अपने बच्चे का खास ख्याल। इस संबंध में हमने चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ। अतुल से बात की। आम तौर पर यह देखा गया है कि विंटर में पैरेंट्स अपने बच्चों की सेहत को लेकर ज्यादा कांशियस हो जाते हैं। जबकि विंटर के सीजन से ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है।
४इस सीजन में खाने पीने की ज्यादा चीजें मौजूद होती हैं। बॉडी की हीट ज्यादा कंज्यूम होने के कारण लोगों को भूख भी ज्यादा लगती है। ऐसे में पैरेंट्स अपने बच्चों के खाने का विशेष ध्यान रखें। आप खाने की वैराइटी को बदल सकते हैं.बच्चों के कपड़ों का विशेष ध्यान रखें. ऑयली चीजें विंटर में जमती हैं. जंकफूड में जो अजीनोमोटो होता है वो हेल्थ के लिए ज्यादा खतरनाक होता है। चाउमीन जैसे फूड आइटम में पडऩे वाले अजीनोमोटो से कम उम्र के बच्चों में हाई बीपी की समस्या डेवलप हो जाती है. पैरंट्स अपने बच्चों को इनसे दूर रखें. बच्चों के कमरे में हीटर का यूज करने से बचें। क्योंकि जुकाम के दौरान हीटर की गर्मी से उन्हें घुटन महसूस हो सकती है, जिससे उनकी नाक बहने की समस्या में इजाफा हो सकता है.