लव बर्ड पर 'मौत' का साया
-झूठी शान की खातिर नहीं थम रहा मर्डर का सिलसिला
-जान का खतरा होने पर पुलिस से कर सकते हैं शिकायत BAREILLY: लव बर्ड पर मौत का साया छाया हुआ है। उनके अपने ही झूठी शान की खातिर उनकी जान ले रहे हैं। बरेली में भी इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं। जावित्री और दीपक की तरह कई और लव बर्ड की लव स्टोरी का झूठी शान के चलते अंत हो चुका है। ऐसे में सवाल उठता है कि लव बर्ड अपनी सिक्योरिटी के लिए जाएं तो जाएं कहां। आइए हम बताते हैं कि लव बर्ड किस तरह और कहां अपनी सिक्योरिटी के लिए लगा सकते हैं गुहार पेश करने होंगे मैरिज डॉक्यूमेंटप्रेमी जोड़ा यदि बालिग हैं तो उसे अपनी जिंदगी जीने का पूरा अधिकार है। कानून के जानकार बताते हैं कि बालिग प्रेमी जोड़ों को यदि लगता है कि उन्हें अपने माता-पिता या किसी और से जान का खतरा है तो वे पुलिस से सिक्योरिटी की डिमांड कर सकते हैं। इसके लिए वह अपने लोकल पुलिस स्टेशन या फिर एसपी या एसएसपी के पास जा सकते हैं। वह हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं। इसके लिए उन्हें मैरिज डॉक्यूमेंट कोर्ट में पेश करने होंगे।
नाबालिग दिखाने की होती है कोशिश
अक्सर देखने में आता है कि जब प्रेमी-प्रेमिका घर छोड़कर भागते हैं तो प्रेमिका के परिजन प्रेमी के खिलाफ आईपीसी की धारा फ्म्फ्-फ्म्म् के तहत एफआईआर दर्ज कराते हैं। ज्यादातर केस में परिजन बेटी के बालिग होने के बावजूद नाबालिग ही लिखाते हैं। पुलिस कई बार सिर्फ लड़की को ढूंढती है तो कई बार दोनों मिल जाते हैं। उसके बाद प्रेमी को जेल भेज दिया जाता है। लेकिन प्रेमिका का कोर्ट के निर्देशों के तहत मेडिकल कराने के साथ कोर्ट में बयान कराया जाता है। बालिग होने पर कोर्ट मैरिज सर्टिफिकेट के आधार पर लड़की के बयान के आधार पर उसे प्रेमी के साथ भेज देती है। लेकिन नाबालिग के केस में लड़की को उसके माता-पिता के साथ ही भेजा जाता है। यदि लड़की माता-पिता के साथ नहीं जाना चाहती है तो उसे नारी निकेतन भेज दिया जाता है। मर्डर में ही होती है सजा ऑनर किलिंग के मामलों में भी मर्डर की धाराओं में ही केस दर्ज होता है और सजा भी उसी धाराओं में मिलती है। मर्डर के मामले में उम्रकैद और फांसी की सजा कोर्ट सुना सकती है।प्रेमी जोड़े परिजनों से जान का खतरा होने पर पुलिस या फिर हाइकोर्ट की शरण में जा सकते हैं। झूठी शान के तहत हुई हत्याओं में भी मर्डर की धाराओं में सजा सुनाई जाती है।
जितेंद्र राणा, एडवोकेट