ड्राइविंग सीट से बाहर होंगे 'क्रिमिनल्स'
जवाबदेही बस ओनर की परिवहन आयुक्त आलोक कुमार ने आरटीओ को इस संबंध में निर्देश जारी किया है। परिवहन आयुक्त द्वारा जारी लेटर में यह बात साफ कही गई है कि अक्सर ही बसों में पैसेंजर्स के साथ ड्राइवर और कंडक्टर द्वारा गलत बिहेवियर अपनाया जाता है। जो क्षमा योग्य नहीं है। अगर इस तरह की बात सामने आती है तो इसकी जवाबदेही बस ओनर की होगी। 15 दिन का मिला समय
परिवहन आयुक्त का निर्देश मिलने के बाद आरटीओ डिपार्टमेंट हरकत में आ गया है और प्राइवेट तथा गवर्नमेंट बस संचालकों को इस बात से अवगत करा दिया गया है। आरटीओ के अकॉर्डिंग बस स्टाफ (ड्राइवर और कंडक्टर) का पुलिस वैरीफिकेशन कराने के अलावा स्टाफ की डिटेल रिपोर्ट भी तैयार करनी होगी और इसकी सूचना परमिट जारी करने वाले प्राधिकारी को देनी होगी। इसके लिए बस संचालकों को 15 दिनों का समय दिया गया है। अगर निर्धारित समय में निमय का पालन नहीं किया जाता है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। मोबाइल नम्बर भी लिखा होना अब होगा जरूरी
बस ड्राइवर और कंडक्टर की आसानी से पहचान हो सकें, इसके लिए उन्हें ड्यूटी करते समय फोटो लगी आईडेंटिटी कार्ड भी लगाना होगा। साथ ही आईडेंटिटी कार्ड में दर्ज डिटेल भी साफ शब्दों में लिखी होनी चाहिए। यह निर्देश भी जारी किया गया है कि अगर बस स्टाफ बिना फोटो आईडेंटिटी कार्ड लगाए ड्यूटी करते पाए जाते हैं तो उन पर तो कार्रवाई होगी ही साथ ही बस ओनर पर भी कार्रवाई की जाएगी। बस के विंड स्क्रीन पर बस की परमिट संख्या, वाहन की वैधता, ओनर का नाम और मोबाइल नंबर स्पष्ट रूप से लिखा होना चाहिए, जो बाहर से पढ़ा जा सके।डेली वेजेज पर रखते हैं स्टाफ प्राइवेट बस ओनर्स ज्यादातर ड्राइवर और कंडक्टर डेली वेजेज पर ही रखते हैं। इनकी न तो कोई पुलिस वैरीफिकेशन ही होती है और न ही किसी प्रकार की आईडेंटी ही जारी की जाती है। ऐसे में बस स्टाफ मनमानी करने से नहीं चुकते हैं। बस संचालकों के अकॉर्र्डिग बस में रखे जाने वाले सभी स्टाफ पहचान के ही होते हैं। लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से जब अन्य पहलुओं पर बात की गई तो बस संचालकों ने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। चलती हैं एक हजार बसें
आरटीओ के फाइल में दर्ज आंकड़ों के अनुसार बरेली रीजन में वर्तमान समय में 998 बसों का संचालन हो रहा है। जिनपर 3 हजार से ज्यादा स्टाफ काम कर रहे हैं। अभी तक सुरक्षा की दृष्टि से बसों में ऐसा कोई इंतजाम नहीं था, जिससे बस स्टाफ की पहचान की जा सकी। ऐसे में पैसेंजर्स को हर वक्त एक डर के साथ सफर करना पड़ता था। दिल्ली में हुए गैंगरेप की घटना को देखते हुए परिवहन आयुक्तका निर्देश आया है। 15 दिन के भीतर बस स्टाफ का डिटेल तैयार करना है। निर्धारित समय के बाद बस का कोई स्टाफ दिए गए निर्देश का उल्लंघन करता है तो स्टाफ के साथ बस संचालक पर भी कार्रवाई की जाएगी। शिवपूजन त्रिपाठी, आरटीओहमें पैसेंजर्स की सुरक्षा का ख्याल रहता है। इसलिए हम अपने पहचान के ड्राइवर और कंडक्टर को बस में रखते हैं। विशम्भर सिंह, ओनर, शुभम ट्रेवेल्सजितने भी सरकारी स्टाफ है उनके डिटेल हमारे पास मौजूद है। अनुबंधित बस ओनर को इस बात की सूचना दे दी गई है कि वो उनकी रिपोर्ट मुहैया कराए।पीके बोस, क्षेत्रीय प्रबंधक, बरेली डिपोबरेली शहर में करीब 25 टे्रवेल्स एजेंसियां हैं। जिनके द्वारा लगभग 250 बसों का संचालन होता है। सुरक्षा के मद्देनजर स्थानीय ड्राइवर और कंडक्टर को ही बसों में रखा जाता है। अशोक कुमार गुप्ता, ओनर, गुप्ता बस सर्विस