बरेली में एआई से वॉयस क्लोनिंग कर किडनैपिंग का ड्रामा
हेलोपापा मुझे बचा लो, इस तरह का अगर आपके बच्चे की आवाज में कोई कॉल आए तो आप डरे नहीं बल्कि अलर्ट हो जाएं। क्योंकि यह कोई आपके बच्चे का किडनैपर नहीं बल्कि साइबर ठग हो सकता है। दरअसल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए साइबर ठग आपके बच्चे की वॉयस क्लोनिंग एप से हूबहू वॉयस बनाकर आपके लिए फोन पर ऐसी वॉयस सुनाकर आपसे ठगी का प्रयास करते हैँ। इसी तरह का एक मामला मढ़ीनाथ के युवक को कॉल करके ठगी की कोशिश की। हालांकि बच्चे के पेरेंट ने अवेयनेस दिखाई और साइबर ठगी होने से बच गए। पढि़ए हृदेश पाण्डेय की रिपोर्ट.
प्रोग्राम में गया था छात्र
मढीऩाथ निवासी एक युवक का बेटा निजी स्कूल से दसवीं का छात्र है। 11 फरवरी को ट्रैफिक अवेयरनेस रैली कार्यक्रम में स्कूल की तरफ से शामिल होने के लिए वह घर पर पेरेंट्स को बताकर शामिल होने के लिए आया था। वह प्रोग्राम में शामिल हुआ लेकिन इसी बची साइबर ठगों ने उस छात्र के पिता को कॉल करके बताया कि आपका बेटा हमारे कब्जे में हैँ। इसको छुड़ाना चाहते हो तो 30 रुपए अकाउंट में ट्रांसफर कर दो। इसके बाद छात्र के पिता से कहा कि बेटे से बात कर लीजिए। इतना कहने के बाद साइबर ठगों ने उनके बच्चे की वॉयस सुनाई। छात्र के पिता ने बताया कि वॉयस हू बहू उनके बेटे की तरह थी जिसमें बेटा चिल्ला रहा था कि पापा मुझे बचा लो इन लोगों को रुपए दे दो वर्ना ये मुझे मार डालेंगे।
वॉयस सुनकर घबराए पेरेंट्स
बेटी की रोने की आवाज सुनकर पेरेंट्स घबरा गए। छात्रा का पिता बेटे को तलाशने के लिए निकल पड़ा और पहले स्कूल गया जहां पर पता चला कि बेटा शहर के ही गांधी उद्यान में चल रही ट्रैफिक अवेयनेस कार्यक्रम में भाग लेने गया है। उसके बाद छात्र के पिता दौड़ते हांफते गांधी उद्यान पहुंचे। वहां पर बेटे को बेसब्री से तलाशते हुए पुलिस कमियों से मिले। वहां मौके पर साइबर सेल के लगे स्टॉल पर पहुंचे और पूरी बात बताई। हालांकि इसी दौरान प्रोग्राम में शामिल बेटा भी मिल गया। इसके बाद छात्र के पिता ने साइबर सेल के स्टॉल पर पूरी बात बताई। लेकिन बेटे को देखकर छात्र के पिता ने कोई तहरीर नहीं दी। वहीं साइबर सेल के स्टॉल पर छात्र के पिता और उनके परिजनों को बताया गया कि साइबर ठग बच्चों की वॉयस का क्लोन बनाकर पेरेंट्स को कॉल कर रहे हैं। इसीलिए इनसे सावधान रहे। हालांकि बेटे से प्रोग्राम में मिलकर पेरेंट्स खुशी से वापस लौटे गए।
साइबर ठग इतने शातिर हैं कि आपके परिवार के किसी भी मेंबर की आवाज सुनाकर आपसे रुपए मांगते हैं। लेकिन ये इतने कम रुपए मांगते हैँ कि आप उन रुपयों को बिना सोचे समझे अपने परिवार के मेंबर को बचाने के लिए उनके अकाउंट में ट्रांसफर कर देते हैं। साइबर ठग आपके परिवार के जब भी किसी मेंबर की वॉयस सुनकर रुपए ऐंठते हैं तो वह दस हजार से एक लाख तक ही मांगते हैं। दस, बीस और चालीस हजार रुपए अधिक डिमांड करते हैं। जिसे परिवार का मेंबर बिना सोचे समझे हड़बडाहट में ट्रांसफर भी कर देता है। लेकिन बाद में उसे पता चलता है कि वह साइबर ठग था।
बरतें सावधानी
अनजान शख्स की बातों में कभी न आएं और उस पर भरोसा न करें।
आवाज के जरिए रिश्तेदारी जोडऩे वाले जालसाजों से हमेशा सावधान रहें।
अनजान नंबर से भेजे गए बार कोड को स्कैन कर रुपए न भेजें।
अनजान नंबर से भेजे गए ऐप और लिंक पर क्लिक न करें।
बैंककर्मी बनकर क्रेडिट कार्ड अपडेट करने के नाम पर कॉल करने वालों से बचें।
साइबर ठग अब आपके परिवार के किसी भी मेंबर्स की वॉयस क्लोनिंग एप से वॉयस बनाकर सुनाते हैं और रुपए की डिमांड करते हैं तो रुपए बिल्कुल न दें। पुलिस को सूचना दें, ताकि पुलिस ठगों पर एक्शन ले सके। साइबर ठग शातिर अपराधी है, उनके झांसे में न आएं। ठग कई बार लालच देकर भी लोगों को ठगी का शिकार बना लेते हैं तो उनके लालच में बिल्कुल न आएं।
नीरज सिंह, इंस्पेक्टर साइबर सेल