दहेज लोभी अभी भी बेखौफ
फैक्ट एंड फिगर
वर्ष हत्या बलात्कार दहेज हत्या
2015 28 63 46
2016 27 56 70
2017 36 63 55
2018 31 72 64
2019 25 61 51
2020 21 26 53
2021 10 17 62
बरेली( ब्यूरो) । दहेज लेना और देना दोनों ही अपराध है, इसके लिए सजा का भी प्रावधान है। इसके बावजूद आजादी के 70 साल बाद भी विवाहिताएं दहेज की बलि चढ़ रही हैं। सख्त कानून बनने के बावजूद समाज से दहेज का दंश नहीं मिट पा रहा है। कहने को महिला सशक्तिकरण के नाम पर तमाम दावे किए जाते हैं लेकिन हकीकत यह है कि महिलाएं अपने घर में भी सुरक्षित नहीं हैं। पिछले छह साल के दहेज हत्या के आंकड़ों पर नजर डालें तो इसमें कमी आने की बजाए लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। इस दौरान जिले भर में 400 से ज्यादा महिलाओं को दहेज की मांग पूरी नहीं होने पर मौत के घाट उतार दिया गया। वहीं महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाएं भी लगातार सामने आ रही हैं। इससे साफ है कि अभी भी महिलाएं समाज में पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं।
नहीं रुकी दहेज हत्याएं
दहेज प्रथा को रोकने के लिए कानून बने दशकों बीत गए, इसके बावजूद न तो दहेज देने की प्रथा रुकी और न ही दहेज के लिए हाथ फैलाने वालों ने हाथ खींचे। इसके चलते इस पर रोक नहीं लग पा रही है। इसकी बड़ी वजह है लोगों की मानसिकता। जब तक मानसिकता में बदलाव नहीं होगा तब तक महिलाएं दहेज के नाम पर बलि चढ़ाई जाती रहेंगी।
दहेज हत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। पिछले छह साल में दहेज हत्या के 401 मामले दर्ज किए गए। इसमें सबसे ज्यादा 70 मामले वर्ष 2016 में दर्ज किए गए। वहीं सबसे कम 46 मामले मामले वर्ष 2015 में जिले के थानों में दर्ज हुए। इस साल नवंबर तक दहेज की खातिर 62 विवाहिताओं को मौत के घाट उतार दिया गया।
हत्या के मामलों में आई कमी
दहेज हत्या से इतर पिछले 6 सालों में महिलाओं की हत्या सबसे ज्यादा 31 हत्याएं 2018 में हुई। जिसके बाद प्रशासन ने महिलाओं को महिला सशक्तिकरण से जोड़ा जिससे महिलाएं सशक्त होकर अपनी रक्षा कर सकें। जिससे बदलाव भी देखने को मिला। इसके साथ पुलिस प्रशासन ने भी अलर्टनेस दिखाई जिससे महिलाओं की हत्या का ग्राफ कुछ हद तक गिरा है।
महिलाओंं के साथ छेड़छाड़ और बलात्कार को लेकर सख्त कानून बनने के बाद इसमें पिछले दो सालों में खासी कमी आई है। पिछले छह सालों की बात करें तो इस दौरान जिले भर के थानों में 358 मामले दर्ज किए गए। इसमें सबसे ज्यादा 72 मामले वर्ष 2018 में दर्ज किए गए। इसके बाद वर्ष 2019 में 61, वर्ष 2020 में 26 मामले सामने आए। इस साल नवंबर तक जिले के थानों में 17 मामले दर्ज किए गए हैं। इससे साफ है कि जिस तरह से पिछले कुछ सालों में बलात्कार के मामलों में कोर्ट ने जो सख्त फैसले लेकर दोषियों को सजा सुनाई उससे बलात्कार के मामलों में कमी आई है।
महिला सशक्तिकरण के तमाम दावों के बावजूद बढ़ रहे दहेज हत्या के मामले पछले छह साल में जिले में 400 से ज्यादा महिलाओं की दहेज के लिए की गई हत्या सख्त कानून के चलते बलात्कार के मामलों में आई कमी ।
दहेज हत्या के मामले मे पुलिस सख्त से सख्त कार्रवाई करती है। इस तरह के अपराधियों को कोर्ट से आजीवन कारावास ही सजा दी जाती है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए सभी जरूरी प्रयास किए जा रहे हैं।
रोहित सिंह सजवाण, एसएसपी