साल नया पर चुनौतियां पुरानी
-सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट शुरू कराना और डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन की कामयाबी
-यूआईडीएसएएमटी के तहत बरेली की पेयजल योजना की 35 करोड़ की किश्त रूकी -रिवाइज्ड टैक्स दरों में कमी कर जनता को राहत देना और वेडिंग पॉलिसी लागू कराना BAREILLY:समय जब भी पुराना चोला उतार कर नया पहनता है, तो लोगों में भविष्य से उम्मीदें और इच्छाएं भी बढ़ जाती है। बेहतरी की उम्मीद करना जायज भी और खुश रहने के लिए जरूरी भी। इसीलिए हर पुराने साल की विदाई और नए साल के आगाज का वेलकम दुनिया जश्न के साथ करती है। बरेली में भी लोग इस मौके पर खुश दिखे। लेकिन नए साल पर इस जश्न के साथ ही शहर की बेहतरी व विकास की उम्मीदों पर आशंकाएं भी कम नहीं। साल ख्0क्भ् में बरेली नगर निगम से बेहतर जनसुविधा देने व विकास का नया खाका खींचने की उम्मीदें तभी जिंदा हैं जब बीते साल के ऐसे मामलों से नगर निगम पार पा सके, जो नए साल पर निगम के लिए सबसे बड़ी चुनौतियां बनकर उभर रही हैं।
प्लांट पर परेशानी बरकरारसॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट को जल्द शुरू कराया जाना फिलहाल नगर निगम के लिए सबसे पहली और बड़ी चुनौती है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद जून ख्0क्ब् से बंद हो गए इस प्लांट को शुरू कराने की निगम की सारी कोशिशें नाकाम ही रही। बरेली से पहले दिल्ली और फिर राजधानी लखनऊ तक प्लांट का मामला मुद्दा बना रहा। नगर विकास मंत्री के आश्वासन और पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से प्लांट चलाने के लिए प्राधिकार पत्र मिलने की उम्मीदों के बावजूद इस पर पेंच फंसा हुआ है। वहीं प्लांट बंद होने से शहर के कूड़े की समस्या और बाकरगंज में विरोध ने भी निगम की नींद हराम की है।
डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन सुस्त बीते साल निगम के खाते में अगर कोई बड़ी जनसुविधा गई तो वह डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन रही। बड़े जोर शोर से इस मुहिम के लिए निगम की ओर से प्रचार किया गया। मुहिम को अमली जामा पहनाने में देरी हुई तो नवंबर ख्0क्ब् में वार्ड ब्ब् जनकपुरी में इसे शुरू भी करा दिया गया। लेकिन इसके बाद फिर किसी और वार्ड में निगम की इस स्मार्ट मुहिम के दर्शन जनता को न हुए। वहीं वार्ड ब्ब् में भी एक महीने में इस सुविधा की हवा निकलने लगी। कूड़ा कलेक्शन के लिए ट्रॉली की संख्या कम हो गई, साथ ही एजेंसी के सुपरवाइजर के खिलाफ काम न करने के आरोप लगने लगे।टैक्स विवाद ने पकड़ा तूल
बरेली में टैक्स की रिवाइज्ड दरों ने जनता से लेकर जनप्रतिनिधियों तक में नगर निगम के खिलाफ नाराजगी भर दी है। पूरे यूपी में बरेली नगर निगम में ही सबसे ज्यादा टैक्स की दरें बढ़ाए जाने से मेयर ने भी आपत्ति उठाई है। बोर्ड में टैक्स की दरें घटाए जाने का प्रस्ताव पास होने के बावजूद इसे कम नहीं किया गया। नगर आयुक्त की ओर से इस पर मंजूरी के लिए प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है। यहीं से बोर्ड सदस्यों और निगम प्रशासन के बीच विवाद बढ़ गया है। बढ़े टैक्स की मार से बेहाल जनता की नाराजगी ही रही कि निगम साल ख्0क्ब्-क्भ् में सबसे कम टैक्स वसूली कर सका। वहीं टैक्स के बढ़े बिल सही कराने के लिए अधिकारियों के वसूली के खेल ने भी विवाद में आग में घी डालने का काम किया है। सपना ही रहा वेंडर्स का अधिकारसड़क किनारे जमीन, ठेले और अस्थाई दुकान लगा कर अपना और अपने परिवार का पेट पालने वाले पटरी दुकानदारों के बेहतर जीवन स्तर के लिए वेंडिंग पॉलिसी बनी। ख्0क्ब् में इस पॉलिसी को स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट बनाकर कानून का रूप दिया गया। जिसे हर नगर निगम को जल्द से जल्द अपने वहां लागू करना था। बीते साल ख्0क्ब् में पहले अगस्त और फिर अक्टूबर तक बरेली नगर निगम में इसे लागू करने की कवायद फुस्स साबित रही। अधिकारी बाकी निकायों के मुकाबले बरेली में इस ओर काम ज्यादा होने का ही ढिंढोरा पीटते रहे। जनवरी ख्0क्भ् शुरू होने के बावजूद बरेली में पहले फेज में फेरी पटरी वालों का लाइसेंस बनाने और शहर में वेंडिंग व नॉन वेंडिंग जोन तय करने की पहल पूरी न हो सकी। जानकार इसमें अभी और देरी होने और प्रैक्टिकल लागू न हो पाने की आशंका जताने लगे हैं।
पेयजल योजना ने बढ़ाई प्यास सेंट्रल गर्वनमेंट की यूआईडीएसएएमयोजना के तहत ख्00भ् में 78.0ब् करोड़ रुपए से बरेली में नई पेयजल व्यवस्था शुरू करने का काम हुआ। जिसके तहत बरेली में ब्ब् नलकूप और क्7 ओवरहेड टैंक बनाए जाने हैं। इसके लिए 70 करोड़ रुपए केन्द्र सरकार और 8 करोड़ रुपए बरेली नगर निगम को परियोजना के लिए देने थे। इसमें ब्फ् करोड़ रुपए से काम शुरू भी हुआ लेकिन जलनिगम के अधिकारियों के करप्शन के चलते सेंट्रल गर्वनमेंट ने अक्टूबर में फ्भ् करोड़ की दूसरी किश्त जारी करने पर रोक लगा दी। इससे बरेली में नए साल के आगाज से पहले ही नई पेयजल व्यवस्था शुरू करने और पानी की कमी झेल रहे इलाकों को वॉटर सप्लाई मुहैया कराने की मुहिम औंधे मुंह गिर गई।
----------------------- नए साल पर निगम के सामने कई चुनौतियां हैं। डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन और वेंडिंग पॉलिसी पर काम सुस्त रहा। टैक्स की दरों में जल्द कमी न की गई तो स्थिति बिगड़ेगी। यदि पेयजल योजना की फ्भ् करोड़ की अगली किश्त जारी नहीं हुई तो बरेली में पानी की बड़ा समस्या होगी। - डॉ। आईएस तोमर, मेयर नगर निगम की ओर से पूरी कोशिशें हैं कि जिन मामलों में विकास रूका या प्रभावित हुआ, उनका हल निकल जाए। प्लांट के अगले कुछ महीनों में शुरू होने की उम्मीद है। कूड़ा कलेक्शन और वेंडिंग पॉलिसी पर काम चल रहा है। टैक्स पर जो विवाद है, वह भ्रामक है। - शीलधर सिंह यादव, नगर आयुक्त