-ट्रेनिंग कंप्लीट होने से पहले ही डॉग के पैर हुए खराब

-पहले से मौजूद डॉग की डेढ़ साल पहले हो गई थी मौत

-केसेस वर्कआउट करने में होती है काफी प्रॉब्लम

BAREILLY: बरेली पुलिस का डॉग स्क्वायड पैरालाइज्ड हो गया है। करीब डेढ़ साल से बरेली पुलिस बिना डॉग स्क्वायड के ही वर्क कर रही है। ब्रूटो की मौत के बाद पप्पी को कुछ महीने की ट्रेनिंग दी गई, लेकिन उसकापैर पैरालाइज्ड हो गया। अब तीसरा पप्पी आया है जिसे ट्रेनिंग दी जा रही है। लेकिन इसकी भी ट्रेनिंग पूरी होने में करीब एक साल का वक्त लगेगा। ऐसे में आने वाले एक साल तक भी पुलिस को बिना डॉग स्क्वायड के ही वर्क करना होगा, जबकि ब्लाइंड केसेस वर्कआउट करने में डॉग स्क्वायड काफी हेल्प फुल होता है। इसके अलावा किसी भी आतंकी या अन्य अलर्ट पर भी डॉग स्क्वायड की भी हेल्प ली जाती है।

जून ख्0क्फ् में हुई थी ब्रूटो की डेथ

वैसे तो प्रत्येक जिले में डॉग स्क्वायड टीम के पास दो डॉग होने चाहिए, लेकिन बरेली पुलिस के पास एक भी डॉग नहीं है। अब बरेली रेंज में सिर्फ शाहजहांपुर डिस्ट्रिक्ट में ही एक डॉग है। डेढ़ साल पहले तक बरेली पुलिस के पास एक डॉग था। इसका नाम ब्रूटो था। यह लेब्राडॉग ब्रीड का था। यह डॉग बरेली पुलिस में ख्007 में शामिल हुआ था और इसे बीएसएफ से ट्रेनिंग भी प्राप्त थी। लेकिन क्9 फरवरी ख्0क्फ् से अचानक ब्रूटो की तबियत खराब हो गई थी। ब्रूटो का आईवीआरआई से इलाज चल रहा था। डॉक्टरों ने उसका ऑपरेशन भी किया था लेकिन क्म् जून को उसकी मौत हो गई थी। ब्रूटो की मौत के बाद उसका पोस्टमार्टम भी कराया गया था।

हिना को हुआ पैरालाइसिस अटैक

ब्रूटो की मौत के बाद तत्कालीन एसएसपी आकाश कुलहरि ने डॉग स्क्वायड के प्रभारी कपिल देव को डॉबरमेन ब्रीड का एक पप्पी दिया था। पप्पी का नाम हिना रखा गया था। हिना को कुछ ट्रेनिंग भी दी जा चुकी थी, लेकिन अचानक हिना की अगस्त ख्0क्ब् में तबियत खराब हो गई। उसे आईवीआरआई में ले जाया गया, लेकिन उसके बाद उसका पैर खराब हो गया।

डायना को ट्रेंड होने में लगेगा काफी वक्त

अगस्त माह में आए पप्पी का नाम डायना रखा गया है। यह भी डॉबरमेन ब्रीड का है। लेकिन अभी इसे बड़ा होने में काफी समय लगेगा। बड़ा होने के बाद उसे सबसे पहले बेसिक की ट्रेनिंग दी जाएगी। इस तरह से उसे आठ माह की ट्रेनिंग दी जाएगी। तब कहीं वह वर्क करने के लायक होगा। ऐसे में करीब एक साल और बरेली पुलिस को बिना डॉग स्क्वायड के ही काम करना होगा।

इस तरह से होती है ट्रेनिंग

डॉग स्क्वायड में शामिल डॉग को सबसे पहले चार महीने की बेसिक एवीडेंस की ट्रेनिंग दी जाती है। उसके बाद यूजफुल एवीडेंस की ट्रेनिंग दी जाती है। तीन महीने का कार्यकाल ट्रैकिंग का होता है। उसके बाद दो महीने सर्चिग या फाइंड आउट की ट्रेनिंग में लगते हैं और फिर दो महीने अन्य ट्रेनिंग दी जाती हैं।

पूरी प्रोसेस में लगता काफी समय

पुलिस में डॉग के शामिल होने की प्रोसेस काफी लंबी है। इसके लिए डिस्ट्रिक्ट से शासन को लेटर लिखा जाता है। शासन से बीएसएफ को लेटर लिखा जाता है। साल में कुछ डॉग का सेलेक्शन कर बीएसएफ के द्वारा प्रदेशों में भेजा जाता है। जिसके बाद डिस्ट्रिक्ट में डॉग भेजा जाता है। उसके बाद उसे फिर से बीएसएफ में ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है तब कहीं उसकी हेल्प ली जाती है। इस तरह की प्रोसेस में कई साल लग जाते हैं। लेकिन अल्टरनेट तरीके से पुलिस अधिकारी डिस्ट्रिक्ट लेवल पर रजिस्टर्ड ब्रीडर से पपी मंगा लेते हैं और फिर ट्रेनर द्वारा उसे ट्रेनिंग दी जाती है।

डॉग स्कवायड के वर्क

-चोरी, डकैती, मर्डर व अन्य बड़े केसेस के वर्कआउट में हेल्प करना

- क्रिमिनल्स के आने जाने की दिशा को ट्रेक करना

-संदिग्ध अपराधियों को पता लगाना

-घर या आसपास छुपे हुए अपराधियों को खोज निकालना

-वारदात में लूट के बाद छुपाए गए सामान को ट्रेक करना

न होने से आने वाली दिक्कतें

-कोई अपराधी वारदात के बाद आसपास ही छिपा है उसके बारे में डॉग आसानी से सूंघ कर पता लगा सकता है।

-संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान कराने में भी दिक्कत आती है

-आने-जाने के संभावित रास्तों का पता नहीं चल पाता है

-संदिग्ध वस्तुओं का पता नही चलता है

पुलिस में तीन तरह के डॉग

पुलिस में तीन तरह के डॉग ट्रेकर, एक्सप्लोसिव और सर्च रेस्क्यू होते हैं। इनमें लेब्राडोर, गोल्डन रिटीवर, जर्मन शेफर्ड, डॉबरमेन, व अन्य ब्रीड के डॉग शामिल होते हैं।

बरेली डॉग स्क्वायड द्वारा वर्कआउट मेन केसेस

-वर्ष ख्0क्फ् में डॉग स्क्वायड ने भुता में मर्डर केस में डॉग स्क्वायड ने पुलिस को आरोपी के घर तक पहुंचा दिया था।

-वर्ष ख्0क्क् में सुभाषनगर में हुई चोरी में अहम सुराग तलाशे थे

-वर्ष ख्0क्क् में सुभाषनगर में बुजुर्ग महिला की हत्या के केस में अहम रोल निभाया था

-वर्ष ख्009 में सिरौली में डकैती का खुलासा हुआ था, जिसमें ब्रूटो ने मैथा को सूंघकर पहचान लिया था

किसी केस में डॉग स्क्वायड अहम रोल प्ले करता है। डॉग ना होने से दिक्कतें आ रही हैं। एक पप्पी को ट्रेनिंग दी जा रही है। ट्रेनिंग के बाद डॉग स्क्वायड फिर से पूरी तरह से वर्क करने लगेगा।

डॉ। एसपी सिंह, एसपी क्राइम

Posted By: Inextlive