एक क्लिक और डीएल ऑनलाइन 'टै्रक' पर
-पुराने लाइसेंस को ऑनलाइन करने का काम हुआ शुरू
- ढाई लाख में 7,000 लाइसेंस हुए अब तक ऑनलाइन - इस वित्तीय वर्ष तक पुराने लाइसेंस हो जाएंगे ऑनलाइन BAREILLY: पुराने लाइसेंस धारकों का पूरा ब्योरा अब एक क्लिक करते ही सामने होगा। एआरटीओ विभाग ने ड्राइविंग लाइसेंस का स्टेट्स और फर्जीवाड़ा रोकने के लिए डाटा डिजिटाइजेशन का काम शुरू कर दिया है। विभाग ने इस काम की जिम्मेदारी एक प्राइवेट कंपनी को सौंपी है। लाइसेंस का स्टेट्स ऑनलाइन हो जाने के बाद देश में कहीं से भी व्यक्तिगत तौर पर लाइसेंस का सत्यापन किया जा सकता है। वर्तमान समय में स्मार्ट लाइसेंस को छोड़ दिया जाए तो, पुराने लाइसेंस का सत्यापन मैनुअली तौर पर ही संभव है, लेकिन इस सर्विस के बाद ड्राइविंग लाइसेंस का वेरीफिकेशन देश में कहीं पर भी करने की सुविधा होगी। बस 7 हजार लाइसेंस ऑनलाइनपायलट प्रोजेक्ट के तहत पुराने लाइसेंस को ऑनलाइन करने का काम किया जा रहा है। गाजियाबाद और लखनऊ में यह काम बहुत पहले ही हो चुका है। बरेली डिस्ट्रिक्ट में पिछले महीने से डाटा डिजिटाइजेशन का काम मुम्बई की एक प्राइवेट कंपनी ने शुरू किया था। कंपनी ने अब तक 7,000 लाइसेंस को ऑनलाइन अपलोड किया है। जबकि बरेली डिस्ट्रिक्ट में पुराने लाइसेंस धारकों की संख्या ढाई लाख है। विभाग के मुताबिक बरेली में स्मार्ट लाइसेंस एक साल से बन रहा है। इनके रिकॉर्ड कंप्यूटर में अपलोड है। सिर्फ पुराने लाइसेंस के रिकॉर्ड अपलोड किए जाने हैं।
इस वित्तीय वर्ष तक पूरा हो जाएगा काम एआरटीओ विभाग ने दावा किया है कि डाटा डिजिटाइजेशन का काम इस वित्तीय वर्ष में पूरा हो जाएगा। कंपनी के तीन कर्मचारी इस काम में लगे हुए हैं। अधिकारियों का कहना है कि, इस सर्विस के लिए विभाग ने लाइसेंस नवीनीकरण व्यवस्था भी बदल दिया है। इसके व्यवस्था के तहत लाइसेंस नवीनीकरण प्रक्रिया भी कंप्यूटरीकृत की जा रही है। अभी तक आरटीओ ऑफिस में ड्राइविंग लाइसेंस में ही लिखकर लाइसेंस का नवीनीकरण किया जा रहा था। मिलेगा काफी सहूलियतआरटीओ विभाग हर महीने में करीब ब् हजार ड्राइविंग लाइसेंस जारी करता है। बरेली में हैवी और लाइट लाइसेंस होल्डर्स की संख्या में ढाई लाख के करीब है। सारे रिकॉर्ड ऑनलाइन होने के बाद देश के किसी भी कोने से लाइसेंस का स्टेट्स पता किया जा सकता है। फिलहाल एआरटीओ विभाग ने नेशनल परमिट को ऑनलाइन जोड़ चुका है। अधिकारियों की मानें तो, ऑनलाइन प्रक्रिया के बाद लाइसेंस नंबर से ही लाइसेंस वैलिडिटी जानी जा सकती है। यही नहीं कार्ड को स्वैप करने से यह भी जानकारी मिल सकेगी कि, लाइसेंस होल्डर्स के कितनी बार चालान काटे जा चुके हैं। किसी कारणवश लाइसेंस गुम हो जाता है या फिर नष्ट हो जाता है तो दोबारा लाइसेंस बनवाने में आसानी होगी। लाइसेंस होल्डर्स को सिर्फ लाइसेंस नंबर याद रखने होंगे। विभाग को भी लाइसेंस के सारे रिकॉर्ड फिजिकली मेंटेन और स्टोर करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
। पुराने लाइसेंस के रिकॉर्ड ऑनलाइन किए जा रहे हैं। जल्द ही सारे रिकॉर्ड को विभाग के सर्वर से कनेक्ट कर दिया जाएंगे। फिर कहीं से भी लाइसेंस के बारे में ऑनलाइन जानकारी हासिल की जा सकती हैं। आरआर सोनी, एआरटीओ