जिंदा ही नहीं यहां तो मुर्दे भी 'लापता'
2014 में अब तक 71 जिंदा लोगों की खबर नहीं
65 लावारिस लाशें की भी नहीं हो सकी पहचान BAREILLY: बरेली पुलिस का भी अजब हाल है, लॉ एंड आर्डर के मसले पर अक्सर नाकाम रहने वाली पुलिस गायब लोगों को खोजने में भी पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है। बात चाहे जिंदा लोगों की हो या फिर मुर्दा, करीब क्भ्0 लोग फाइलों मे मिसिंग के तौर पर दर्ज हैं। खास बात यह कि लापता लोगों की परिजनों की गुहार पर भी पुलिस की नींद नहीं टूट रही है। सबसे ज्यादा बारादरी से गायबयूपी पुलिस क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो- मिसिंग पर्सन्स की वेबसाइट में दर्ज आंकड़ों के अनुसार ख्0क्ब् में अब तक 7क् लोगों की मिसिंग दर्ज है। इनमें बच्चों से लेकर बुजुर्ग सभी कैटेगरी के लोग शामिल हैं। रिकॉर्ड के अनुसार सबसे ज्यादा क्ब् लोग बारादरी थाना क्षेत्र से गायब हैं। इसके बाद किला से क्क्, सुभाषनगर से 7, प्रेमनगर से म्, नवाबगंज और शाही से ब्-ब् और कोतवाली के तीन लोगों की पुलिस को खबर नहीं है। डिस्ट्रिक्ट के अन्य थानों में एक या दो लोगों की ही मिसिंग दर्ज की गई है।
रसूख देखकर होती है खोजबीनमिसिंग लोगों के बारे में पता लगाना पुलिस की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है लेकिन पुलिस पहले पीडि़त को कागजी कार्यवाही में उलझा कर रखती है और फिर जब यह पूरी हो जाती है तो शांत होकर बैठ जाती है। पुलिस कोई भी एक्स्ट्रा एफर्ट नहीं करती हैं। लेकिन यदि किसी अमीर या ऊंची पहुंच वाले शख्स के परिवार से कोई मिस हो जाता है तो पुलिस उसका पता लगाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ती है। इसके लिए कई टीमें गठित की जाती हैं और नंबर भी सर्विलांस पर लगाए जाते हैं।
भ्ब् में नहीं दर्ज जीडी नंबरपुलिस रिकॉर्ड के बहाने पीडि़त को कई चक्कर लगवाती है लेकिन इसके बावजूद भी रिकॉर्ड में कोई न कोई कमी छोड़ ही देती है। इस साल यूपी पुलिस की वेबसाइट पर दर्ज मिसिंग के ज्यादातर मामलों में जीडी का क्रमांक ही नहीं दर्ज किया गया है, जो रिकॉर्ड के लिहाज से काफी अहम है। 7क् जिंदा मिसिंग लोगों में से भ्ब् में जीडी का नंबर भी नहीं डाला गया है। क्या इसका मतलब है कि जीडी ने मिसिंग की इंट्री ही नहीं की गई है। इसके अलावा भी रिकॉर्ड में कुछ खामियां हैं। पुलिस को सभी थानों में पंपलेट भिजवाने के साथ-साथ न्यूज पेपर, रेडियो और टीवी में भी विज्ञापन देना होता है लेकिन ज्यादातर मामलों में पुलिस कार्रवाई ही पूरी नहीं करती है। इस काम की जिम्मेदारी पुलिस की ही होती है लेकिन इसे पुलिस पीडि़त से करवाती है।
फैक्ट फाइल -मिसिंग पर्सन वषर् नंबर ख्0क्ब् - 7क् ख्0क्फ्- 80 ख्0क्ख्- म्क् ख्0क्क्- 77 ख्0क्0- फ्ख् इन लाशों का नहीं कोई मिला ठिकाना जिंदा लोगों के साथ-साथ पुलिस लाशों की पहचान नहीं कर पा रही है। अभी तक के रिकार्ड के आधार पर म्भ् लोगों की लाश मिल चुकी हैं। सबसे ज्यादा लाशें जीआरपी रेलवे स्टेशन पर मिली हैं। जीआरपी इनकी पहचान करने में कोई ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाती है। ज्यादातर को ट्रेन से कटकर मौत बता दिया जाता है या फिर पागल या भिखारी में उसकी इंट्री कर दी जाती है। थानों की पुलिस भी बड़ा केस होने पर ही खोजबीन करती है। तीन दिन पहले बारादरी में भी एक महिला की लाश मिली थी लेकिन पुलिस ने उसकी पहचान में अभी तक कोई इंट्रेस्ट नहीं दिखाया है। मिसिंग डेडबॉडी वर्ष नंबर ख्0क्ब् म्भ् ख्0क्फ् 78ख्0क्ख् ख्ख्
ख्0क्क् ब्7 ख्0क्0 क्क् कोट