मरीजों को मुस्कान देने का मुकम्मल इंतजाम
-डिस्ट्रिक्ट व फीमेल हॉस्पिटल का होगा अपग्रेडेशन
-बच्चा वार्ड में मिलेगी बेहतर एनआईसीयू की सुविधा -तीमारदारों को मिलेगी रोगी आश्रय स्थल व टॉयलेट्स की सुविधाBAREILLY: यूं तो बरेली को पिछले कई साल से मेडिकल हब का तमगा हासिल है। बीते दौर में जहां इस शहर की पहचान जितनी सुरमे से थी, उससे कहीं ज्यादा यहां के हॉस्पिटल्स व नर्सिग होम से आज के दौर में हैं। हर गली में न सही, लेकिन शहर की हर मेन रोड, चौराहे और बिजी प्वाइंट पर निजी हॉस्पिटल मोटी फीस पर मरीजों को इलाज दे रहे हैं। लेकिन मेडिकल हब की शानदार तस्वीर के पीछे जिले के इकलौते सरकारी हॉस्पिटल की हालत का सच भी है। जहां पूरे मंडल से मरीजों की भीड़ हर दिन मुफ्त और बेहतर इलाज की दरकार में कतार में घंटों खड़े रहती है। मंडल के ऐसे ही मरीजों की इकलौती उम्मीद बने इस ज्वाइंट डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में नए साल पर ऐसे सुविधाएं जुड़ने की राह बन चुकी है, जो जनता के लिए नए साल पर सुनहरी उम्मीदों का पिटारा खोलेगी।
अपग्रेडेशन का आगाजख्0क्0 से डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल और फीमेल हॉस्पिटल को अपग्रेड किए जाने के प्रपोजल को मंजूरी मिली थी, लेकिन उसके बाद इसे जमीन पर हकीकत की शक्ल देने में जिम्मेदार पिछड़ गए। अब शासन से पुरानी इमारतों के गिराए जाने का आदेश मिला। जिसके बाद साल के आखिरी हफ्ते से ही नए निर्माण से पहले पुराने के डिमोलिशन की कवायद शुरू हो गई। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में साढ़े चार करोड़ रुपये से नई ओटी, एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक व नए वार्ड्स बनाए जाएंगे। वहीं फीमेल हॉस्पिटल में भी साढ़े चार करोड़ रुपए से तीन मंजिला इमारत का निर्माण शुरू हो गया है, जिसमें ऑफिस, ओटी और वाड्सर्1 बनेंगे।
मैटरनिटी विंग का सपना जल्द फीमेल हॉस्पिटल में साल ख्0क्ख् में प्रसूताओं को बेहतर इलाज देने और जच्चा-बच्चा की सलामती के लिए सुपर स्पेशियलिटी सुविधा देने के मकसद से मैटरनिटी विंग बनाए जाने का प्रपोजल पास हुआ। क्00 बेड वाले मैटरनिटी विंग को प्राइवेट वार्ड की जगह पर बनाया जाना है। शासन से पुरानी इमारत को गिराए जाने की मंजूरी मिलते ही इसे जल्द बनाए जाने की कवायद भी फिर जिंदा हो उठी है। मैटरनिटी विंग बनने के बाद पूरे मंडल से डिलीवरी के लिए आने वाली प्रसूताओं को सुपर स्पेशियलिटी ट्रीटमेंट का फायदा मिलेगा। तीमारदारों को भी मिलेगी छतडिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल व फीमेल हॉस्पिटल में मरीजों की देखभाल में जुटे तीमारदारों के लिए रोगी आश्रय स्थल बनाए जाने की योजना है। अब तक इन दोनों हॉस्पिटल में तीमारदारों के रहने ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं। तीमारदार अक्सर खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर रहते हैं। जो शेड बनाए गए हैं, वह नाकाफी है। नए साल पर फीमेल हॉस्पिटल व डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में एक-एक रोगी आश्रय स्थल बनाया जाएगा। जिनमें से हर एक की निर्माण लागत ख्0 लाख ब्0 हजार रुपए होगी। इन रोगी आश्रय स्थल में मेल व फीमेल तीमारदारों के लिए सेपरेट हॉल होंगे। इनमें तीमारदारों के खाना पकाने के लिए किचेन की व्यवस्था भी होगी।
यह भी हैं इस साल की उम्मीदें क्- नए साल की जनवरी तक बच्चा वार्ड को अपग्रेड किए जाने का पूरा हो जाएगा। साथ ही नए साल से वार्ड में एडमिट बच्चों को हर दिन मुफ्त न्यूट्रिशियस डाइट दी जाएगी। मां को भी क्00 रुपए रोजाना के हिसाब से भत्ते के तौर पर दिए जाएंगे। ख्- बच्चा वार्ड में ही नवजातों के इलाज के लिए बने एनआईसीयू को भी नए सिरे से अपग्रेड किया जा रहा। नए साल पर एनआईसीयू वेंटीलेटर्स, नेबुलाइजर्स, वॉर्मर व फोटोथेरेपी मशीन समेत अन्य जरूरी इक्विपमेंट्स सहित ट्रेंड स्टाफ से लैस होगा।फ्- डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के सर्जिकल वार्ड के पास बने नए बर्न यूनिट के भी इस साल से मरीजों के लिए शुरू होने की उम्मीद है। मई ख्0क्ब् में क्.ख्8 करोड़ की लागत से तैयार बर्न यूनिट में प्लास्टिक सर्जरी व बर्न केसेज के इलाज की सुविधा मिलेगी।
ब्- डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में पिछले कई साल से बंद पड़ी डाइलिसिस यूनिट को संजीवनी मिलने की उम्मीद है। डायलिसिस मशीन खराब होने के बाद शासन से नई डायलिसिस मशीन मंगाने का प्रपोजल भेजा गया है। इसके अलावा हॉस्पिटल में टॉयलेट्स की परेशानी दूर करने को स्टेट फंड से तीन नए मॉर्डन टॉयलेट्स बनवाने की योजना है।