डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की ओपीडी में इलाज के लिए जमीन पर इंतजार कर रहे मरीज

मरीजों की औसत तादाद के 3 फीसदी के बराबर भी सीट-कुर्सियों का इंतजाम नहीं

BAREILLY:

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में उमड़ने वाली मरीजों की भीड़ इलाज मिलने से पहले एक कड़े इम्तिहान से होकर गुजरती है। ओपीडी में लंबी लाइनों में लगकर इलाज का यह इंतजार मरीज के पैरों की मजबूती पर टिका होता है। वजह बरेली के इकलौते मंडलीय हॉस्पिटल की ओपीडी में मरीजों के लिए बैठने तक की प्रॉपर व्यवस्था नहीं है। बेशक ओपीडी में मरीजों की तादाद के मुताबिक हर किसी के लिए कुर्सी की व्यवस्था नहीं हो सकती। लेकिन ओपीडी में बैठने के इंतजाम इतने कम और नाकाफी हैं कि अक्सर मरीज इलाज के लिए फर्श पर बैठने को मजबूर हाेते हैं।

अब तक 56 सीट

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की ओपीडी में रोजाना ही औसतन 1800 से 2000 नए मरीज इलाज के लिए जुटते है। मौसमी बीमारी वाले सीजन में यह आंकड़ा 2100-2200 तक पहुंच जाता है। वहीं रोजाना पुराने पर्चे वाले मरीजों का औसत आंकड़ा मिलाकर यह तादाद 3000-3500 तक पहुंच जाती है। इतनी तादाद में पहुंचने वाले मरीजों के मुताबिक ओपीडी में कुर्सियों की तादाद महज 20 है। वहीं सीमेंट की बनी बेंच की संख्या भी महज 9 है। जिनमें से हर एक में ज्यादा से ज्यादा 4 मरीज ही बैठ सकते हैं। कुल मिलाकर ओपीडी में एक बार में 55-60 से ज्यादा मरीज नहीं बैठ सकते। उन्हें घंटों इलाज के लिए खड़ा रहना पड़ता है।

बुजुर्गो के लिए नहीं व्यवस्था

हॉस्पिटल की ओपीडी भी मरीजों का भारी दबाव झेलने लायक नहंी रही। बीते 10 साल में ओपीडी में मरीजों का औसत आंकड़ा 5 गुना से भी ज्यादा बढ़ गया है। साल 2014-15 और 2015-16 के दौरान ही ओपीडी में 90 हजार मरीजों का अंतर रहा। ऐसे में ओपीडी का साइज मरीजों की तादाद के मुकाबले छोटा पड़ गया है। हालत यह रहती है कि मरीजों की लंबी लाइन ओपीडी के बाहर तक पहुंच जाती है। इलाज के इंतजार में अक्सर मरीज थक कर सीढि़यों पर ही बैठने को मजबूर होते है। वहीं गंभीर रूप से बीमार बुजुर्ग फर्श पर ही बैठने को मजबूर हैं। बुजुर्गो के लिए ओपीडी में अलग से सीटों की व्यवस्था नहीं।

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Posted By: Inextlive