- शासन ने सौंदर्यीकरण के लिए जिला अस्पताल को किया सिलेक्ट

- शासन की ओर से नामित कंपनी को दी जाएगी जिम्मेदारी, तैयार किया जा रहा एस्टीमेट

बरेली : ये खबर बरेलियंस के लिए खास है। वर्तमान में जिला अस्पताल का नाम सुनते ही लोगों के जहन में घोर अव्यवस्थाएं और इलाज में लापरवाही की छवि आती है, लेकिन अब जल्द ही जिला अस्पताल की सूरत चमकने वाली है। जी हां शासन की ओर से जिला अस्पताल का सौंदर्यीकरण कराने के लिए विभाग से एस्टीमेट तैयार करने का आदेश दिया गया है। जल्द ही सौंदर्यीकरण कराने का कार्य आरंभ भी किया जाएगा।

मंडल में एक हॉस्पिटल का चयन

शासन की ओर से महकमे के आलाधिकारियों को आदेश जारी कर मंडल के एक सरकारी अस्पताल का सौंदर्यीकरण कराने चुनाव करने के लिए कहा गया था, जिसमें बरेली जिला अस्पताल का जर्जर हालत देख इसको सौंदर्यीकरण कराने के लिए चुना गया है।

कराई गई वीडियोग्राफी

जिला महिला अस्पताल की तर्ज पर जिला अस्पताल का सौंदर्यीकरण कराया जाएगा, यहां जो भी नये निर्माण और दुरुस्तीकरण कराए जाने हैं इसका एस्टीमेट तैयार कर लिया गया है। वहीं दो दिन पहले शासन की ओर से आई टीम ने परिसर, वार्डो समेत अन्य स्थानों की वीडियोग्राफी कर शासन को भेज दी है।

आवासों की भी सुधरेगी हालत

जिस बिल्डिंग में जिला अस्पताल संचालित हो रहा है यह बिल्डिंग अंग्रेजों के समय की है, विभागीय उदासीनता के चलते यहां सौंदर्यीकरण कार्य भी नाम मात्र के लिए ही हुए हैं इसलिए वार्डो के साथ ही जिन आवासों में अधिकारी-कर्मचारी निवास कर रहे हैं उनकी भी हालत जर्जर है। शासनादेश के अनुसार, रेजिडेंशियल, नॉन रेजिडेंशियल समेत अन्य सुविधाओं को दुरुस्त कराया जाएगा।

नहीं भरेगा पानी, बनेंगी नई सड़कें

विभाग की ओर से जो एस्टीमेट तैयार किया गया है इसमें जिला अस्पताल गेट से इमरजेंसी वार्ड तक नई सड़क, वहीं परिसर में नई सड़कों का निर्माण कराया जाएगा, वहीं जिला अस्पताल की सबसे बड़ी समस्या है यहां सीवर लाइन चोक होने के चलते परिसर में अक्सर पानी भरा रहता है। वहीं बरसात के मौसम में पानी वार्डो में तक भर जाता है, लेकिन अब नई सीवर लाइन पड़ने से इस समस्या से भी निजात मिल जाएगी।

जिला अस्पताल के सौंदर्यीकरण के लिए एस्टीमेट तैयार किया जा रहा है, एस्टीमेट को शासन को भेजा जाएगा, जिसके बाद शासन की ओर से नामित कंपनी निर्माण कार्य प्रारंभ करेगी, इससे मरीजों के साथ ही स्टाफ को भी काफी सहूलियत मिल सकेगी।

डॉ। सुबोध शर्मा, एडीएसआईसी

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