पॉलीथिन पर दिखावे का प्रतिबंध
फैक्ट एंड फिगर
2,89,000 रुपए का हुआ चालान (अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक)
2000 रुपए अप्रैल 2022 से 12 मई तक वसूले गए
बरेली(ब्यूरो)। पॉलीथिन का बढ़ता इस्तेमाल पर्यावरण के लिए बहुत गंभीर समस्या है। समय-समय पर इसे रोकने के लिए अभियान चलाए जाते हैं पर अधिकारी प्रतिबंध के नाम पर कागजी खानापूरी करके अपनी पीठ थपथपा लेते हैं और शासन को झूठी रिपोर्ट भेज दी जाती है। बाजार में पॉलीथिन पहले की तरह ही यूज होती रहती है। अब केंद्र सरकार की ओर से एक जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक को पूर्णत: प्रतिबंधित करने की घोषणा की गई है। 100 माइक्रोन से कम वाले प्लास्टिक या पीवीसी के बैनर को भी प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। दरअसल पॉलीथिन का प्रयोग शहर से लेकर देहात तक इतना अधिक हो चुका है कि रोज सैकड़ों टन से अधिक पॉलीथिन वेस्ट प्रोड्यूस हो रहा है, जिसका निस्तारण करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। इसको लेकर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से &रूोंट यूज पॉलीथिन&य नाम से कैंपेन शुरू किया गया है, जिसके माध्यम से लोगों को अवेयर किया जाएगा। इसके साथ ही जिम्मेदारों द्वारा की गई कागजी कार्रवाई की पोल भी खोली जाएगी।
पर्यावरण की दुश्मन
शहर में जगह-जगह लगे डस्टबिन से लेकर बाकरगंज में कूड़े के ढेर तक पॉलीथिन बड़ी मात्रा में मिल जाएगी। इसका पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। कहीं यह पॉलीथिन लोगों को बीमार तो कहीं यह नालों को चोक कर रहीं है। इसका बढ़ता इस्तेमाल पर्यावरण को दूषित कर रहा है।
-प्लेट्स, कप्स, ग्लासेस, प्लास्टिक स्टिक वाली ईयरवट, प्लास्टिक स्टिक वाले गुब्बारे, प्लास्टिक के झंडे, टॉफी की स्टिक, आईसक्रीम की स्टिक आदि
-सजावट वाले थर्माकोल
-मिठाई के डिब्बे, निमंत्रण कार्ड, सिगरेट पैकेट पर रैप किए जाने वाली पन्नी
-100 माइक्रोन से कम वाले प्लास्टिक या पीवीसी बैनर इस्तेेमाल जारी
पॉलीथिन व सिंगल यूज प्लास्टिक को भले ही प्रतिबंधित किया गया हो। लेकिन, उसके बाद भी पॉलीथिन का इस्तेमाल किया जा रहा है। शहर की बड़ी दुकानों पर खुलेआम थर्माकोल से बने प्रोडक्ट्स बेचे जा रहे हैैं। हालांकि जब इनके पास नगर निगम की टीम कार्रवाई करने के लिए पहुंंचती है तो दुकानदार द्वारा इन्हें छिपाकर रख लिया जाता है। टीम के जाने के बाद स्थिति फिर पहले जैसी हो जाती है। प्रभावी कार्रवाई के आभाव में प्लास्टिक करने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही हैैं। रोकथाम के लिए इनके उत्पादन को बंद कराने पर भी जोर देेने की आवश्यकता है।
दुकानों पर बिक्री
श्यामगंज स्थिति अधिकतर दुकानों पर आईनेक्स्ट की टीम जब पहुंची, तब व्यापारियों ने बताया कि पुराना स्टॉक पड़ा हुआ। इसको निकालना भी जरूरी है। इसके साथ ही दुकानों के बाहर प्लास्टिक के गिलास, थर्माकोल की प्लेट्स बिक खुलेआम बिक रहीं थी। लोगों ने बताया कि टीम के आने पर इन्हें हटा लिया जाता है। बाद में फिर से बिक्री शुरु कर दी जाती है।
श्यामगंज मोड़ पर फलों का ठेला लगाने वाले अधिकांश लोग पॉलीथिन में फल बेचते हैैं। कई बार टीम कार्रवाई करती है, इसको लेकर ठेले वालों का कहना था कि पब्लिक फल खरीदने आती है, साथ में थैला नहीं लेकर आती है। जिसके कारण मजबूरी में पॉलीथिन में फल देने पड़ते है। अगर ऐसा नहीं करेंगे तो ग्राहक दूसरी दुकान पर चला जाएगा।
बीमारी का कारण
अक्सर देखने को मिलता है कि प्रतिबंधित पॉलीथिन में रखे खाद्य पदार्थ का इस्तेमाल करने के बाद लोग उसे नाली में फेंक देते है। जिससे नाले-नालियां तो चोक होते ही हैैं, साथ ही कचरे के ढेर में खाने की तलाश में जब आवारा पशु इनका सेवन करते हैैं। इससे उनको स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैैं। आवारा पशु होने के कारण उनको उपचार नहीं मिल पाता है और वे असमय ही बीमार होकर मर जाती हैैं। कई बार डॉक्टर्स द्वारा पशुओं का इलाज करने के दौरान पॉलीथिन खाने की समस्या सामने आती हैैं।
महाराणा प्रताप संयुक्त मंडलीय चिकित्सालय में तैनात वरिष्ठ फिजिशियन डॉ। अजय मोहन अग्रवाल ने बताया कि कई बार यात्रा के दौरान या बाहर जाने पर लोग गर्म खाने को पॉलीथिन का इस्तेमाल करते हैैं, साथ ही आजकल ज्यादातर रेस्टोरेंट खाने की पैकिंग में पॉलीथिन का इस्तेमाल करते है, जोकि स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक होती है। वहीं अगर इसे लंबे समय तक यूज किया जाए तो कैंसर की समस्या भी हो सकती है। वर्जन
नगर निगम की ओर से प्लास्टिक इस्तेमाल को लेकर समय-समय पर कार्रवाई की जाती रहती हैै। केंद्र सरकार के आदेश के बाद अभियान को एक जुलाई से और भी तेज किया जाएगा।
-डॉ। अशोक कुमार, नगर स्वास्थ्य अधिकारी